Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

चीन के सहारे सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भरता

अमेरिका में जांच के हवाले गौतम अडानी की ग्रीन ऊर्जा कंपनी की जो पोल खुली है उसमें एक पहलू तो रिश्वत देकर राज्यों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट का है लेकिन दूसरा पहलू यह है कि भारत सरकार ने अडानी समूह के साथ किस वजह से दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा का समझौता किया था? यह तथ्य है कि अडानी समूह के साथ सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने जो करार किया था वह सौर ऊर्जा का दुनिया का सबसे बड़ा करार था और इसी रूप में उसे अमेरिका में प्रचारित भी किया गया था। लेकिन सवाल है कि इतनी बड़ी परियोजना को पूरा करने के लिए अडानी समूह के पास क्या बुनियादी ढांचा था? क्या अडानी समूह चीन से जरूरी उपकरणों का आयात करके भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने वाले थे? यह कौन सा बिजनेस मॉडल है?

गौरतलब है कि भारत का सोलर ऊर्जा सेक्टर लगभग पूरी तरह से चीन से आयात पर निर्भर है। भारत में जहां सौर ऊर्जा के प्लांट लगे हैं उसमें इस्तेमाल होने वाले सोलर पीवी मॉड्यूल का 60 फीसदी हिस्सा चीन से आयात किया जाता है। इतना ही नहीं भारत में सोलर पीवी मॉड्यूल बनाने के जो कारखाने लगे हैं उसमें 80 फीसदी से ज्यादा मशीनें चीन की बनी हुई हैं और चीन की तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है। यानी जहां सोलर पीवी मॉड्यूल बन रहे हैं वह भी चीन की मशीनों के सहारे बन रहे हैं और बाकी जरुरत के लिए सीधे बने बनाए मॉड्यूल चीन से आयात किए जा रहे हैं। सोलर पीवी मॉड्यूल बनाने लिए भारत सरकार पीएलआई यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव दे रही है लेकिन अभी उत्पादन में बहुत इजाफा नहीं हुआ है। अगर हो भी जाता है तो वह भी चीन की मशीनरी और तकनीक के सहारे ही होगा।

सोलर पीवी मॉड्यूल यानी सोलर पैनल बनाने के काम में अडानी समूह ज्यादा सक्रिय नहीं है और इसमें इस्तेमाल होने वाली दूसरे उपकरणों के निर्माण का भी कारखाना उसका नहीं है। उसमें इसमें कुछ भी निवेश नहीं किया है। दूसरी तरफ चीन सौर ऊर्जा के विश्व बाजार पर नियंत्रण करने के लिए लगातार उसमें निवेश कर रहा है। पिछले साल यानी 2023 में उसने इस सेक्टर में 1.8 ट्रिलियन डॉलर यानी भारत के कुल जीडीपी के 50 फीसदी के बराबर रकम का निवेश किया है। अभी पूरी दुनिया का 80 फीसदी बाजार उसके कब्जे में है। सो, भारत में भी उसी के सहारे अडानी समूह को सौर ऊर्जा की परियोजनाएं चलानी थीं और भारत को आत्मनिर्भर बनाना था। इसी के लिए उन्होंने अमेरिका के बाजार से इतनी बड़ी रकम उठाई थी।

Exit mobile version