Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

ये तुलना गौरतलब है

ऑक्सफोर्ड इकॉनमिक्स की ताजा रिपोर्ट का सार यह है कि भारत भले दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश बन गया हो, लेकिन जहां तक श्रम-शक्ति का बात है, तो इस क्षेत्र वह चीन से कोसों से पीछे है।

ब्रिटेन की कंसल्टिंग एजेंसी ऑक्सफोर्ड इकॉनमिक्स ने भारत और चीन की श्रम-शक्ति की जो तुलना पेश की है, उसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसलिए कि अगर भारत सचमुच एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरना चाहता है, जो इस तुलना जो कमियां सामने आई हैं, उन्हें दूर किए बना वह अपनी मंजिल नहीं पा सकता। ऑक्सफोर्ड इकॉनमिक्स की ताजा रिपोर्ट का सार यह है कि भारत भले दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश बन गया हो, लेकिन जहां तक श्रम-शक्ति का बात है, तो इस क्षेत्र वह चीन से कोसों से पीछे है। ये एजेंसी अनेक प्रासंगिक आंकड़ों के आधार पर इस नतीजे पर पहुंची है। मसलन, उसने ध्यान दिलाया है कि श्रम-शक्ति भागीदारी (15 से 64 वर्ष उम्र के जो लोग काम की सक्रिय तलाश में हों, उनकी संख्या) भारत में सिर्फ 51 प्रतिशत है, जबकि चीन में ये आंकड़ा 76 प्रतिशत है।

और मगर महिलाओं की बात करें, तो भारत में उनकी भागीदारी तो महज 25 फीसदी है, जबकि चीन में यह आंकड़ा 71 प्रतिशत है। मगर बात सिर्फ संख्या की नहीं है। श्रमिक उत्पादकता के मामले में भारत और भी पीछे है। उत्पादकता मानव पूंजी की गुणवत्ता से तय होती है, जिसका संबंध बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य से है। इस मामले भारत चीन से बहुत पीछे है। मसलन, भारत में 2018 में साक्षरता दर 74 प्रतिशत थी, जबकि चीन में यह आंकड़ा 97 फीसदी था। भारत में शिक्षा की गुणवत्ता दयनीय बनी हुई है। उधर स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति पर ध्यान दें, तो भारत में हर दस हजार आबादी पर सिर्फ 7.3 डॉक्टर उपलब्ध हैं, जबकि चीन में यह संख्या 23.9 है। जिस समय पश्चिमी और भारतीय मीडिया में भारत को चीन का विकल्प बताया जा रहा है, कहा जा सकता है कि ऑक्सफोर्ड इकॉनमिक्स ने यथार्थ के प्रति हमें सचेत किया है। उसने जो कमियां बताई हैं, उन्हें दूर कर बेशक भारत महाशक्ति बनने की ओर बढ़ सकता है। वरना, सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री ली क्वान यू की यह टिप्पणी हकीकत बनी रहेगी कि भविष्य भारत का है, लेकिन वह भविष्य हमेशा ही वर्तमान जितना ही दूर बना रहेगा।

Exit mobile version