Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

अब आगे की बात

india china

india china: सेनाओं के बीच आमने-सामने तैनाती की सूरत खत्म हो गई है, इसलिए भारत सरकार की राय में बुनियादी मसला हल हो गया है और अब वक्त चीन से संबंध सामान्य करने का है। इसी नजरिए की झलक रियो में हुई वार्ता में मिली।

also read: अजित पवार की दशा दुष्यंत चौटाला वाली

ब्राजील के रियो द जनेरो में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत का निष्कर्ष है कि दोनों देशों ने 2020 में लद्दाख सेक्टर में हुई घटनाओं को भूल कर अब आगे बढ़ने का फैसला किया है।

खास कर भारत के नजरिए से यह महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि तब, जैसाकि मीडिया रिपोर्टों, स्थानीय नेताओं और यहां तक कि लद्दाख पुलिस की रिपोर्ट में बताया गया था, चीनी सेना एक बड़े दायरे में उन इलाकों तक घुस आई, जहां पहले भारत का नियंत्रण था।

इसी क्रम में गलवान की वारदात भी हुई थी। वैसे, भारत सरकार ने कभी नहीं माना कि चीनी सेना ने कोई घुसपैठ की है।

चीन ने अपनी फौजों को सरहद पर खड़ा किया

मोदी सरकार का घोषित रुख यही रहा है कि भारत ने उसके कार्यकाल में एक इंच भी जमीन नहीं गंवाई है। भारत सरकार की निगाह में मुद्दा सिर्फ यह था कि चीन ने अपनी फौजों को बिल्कुल सरहद पर ला खड़ा किया है, जो भारतीय बलों को उस इलाके में गश्त लगाने से रोक रहे हैं। (india china) 

अब चूंकि घोषित तौर पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच आमने-सामने तैनाती की सूरत खत्म हो गई है, इसलिए उसकी राय में बुनियादी मसला हल हो गया है।

ऐसे में स्वाभाविक है कि दोनों देश 2020 में संबंधों में आई अड़चनों से आगे निकलने पर सोचें। इसी नजरिए की झलक रियो में हुई वार्ता में मिली।

भारत-चीन संबंध विश्व राजनीति के लिए खास महत्त्व’

दोनों विदेश मंत्रियों ने कैलाश मानसरोवर तक भारतीय नागरिकों की तीर्थयात्रा फिर शुरू करने, दोनों देशों के बीच विमानों की सीधी उड़ान चालू करने, और एक से दूसरे के यहां बहने वाली नदियों से संबंधित आंकड़ों को साझा करने पर बातचीत की।

साथ ही सीमा विवाद हल करने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की तारीख तय करने पर विचार हुआ। दोनों विदेश मंत्री रजामंद हुए कि ‘भारत-चीन संबंध का विश्व राजनीति के लिए खास महत्त्व’ है।

ये सहमतियां अक्टूबर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दरम्यान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में बनी सहमति के अनुरूप ही हैं। तो स्पष्ट है, अब बात संबंधों को सामान्य करने के उपायों पर आ गई है।

Exit mobile version