Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

भारत अब डेमोक्रेसी नहीं?

Democracy Index

Democracy Index

वी-डेम के 179 देशों के सूचकांक में भारत को 104वें पायदान पर रखा गया है। संस्था के मुताबिक 2013 के बाद भारत में तानाशाही प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। वह उन 10 देशों में शामिल हो गया है, जहां ये प्रवृत्ति सबसे तेजी से बढ़ी है।

अंतरराष्ट्रीय संस्था- वेराइटी ऑफ डेमोक्रेसीज (वी-डेम) ने दोहराया है कि भारत अब लोकतंत्र नहीं है। उसने भारत को निर्वाचित अधिनायकतंत्र की श्रेणी में 2018 में ही रख दिया था। उसके बाद से वी-डेम के सूचकांक में भारत का दर्जा और गिरा ही है। इस बीच लोकतंत्र की सूरत पर रिपोर्ट तैयार करने वाली अमेरिकी संस्था फ्रीडम हाउस भारत को आजाद देशों की श्रेणी से गिराकर उसे आंशिक आजादी वाले देशों की श्रेणी में रख चुकी है।

वी-डेम ने इस वर्ष अपने सूचकांक में 179 देशों को शामिल किया है। उनके बीच भारत को 104वें पायदान पर रखा गया है। संस्था ने कहा है- 2013 के बाद भारत में तानाशाही प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। इस तरह वह उन देशों में शामिल हो गया है, जहां हाल के समय में तानाशाही सबसे तेजी से बढ़ी है। इस रूप में भारतीय लोकतंत्र उस जगह पहुंच गया है, जहां 1975 में था- यानी जब देश में इमरजेंसी लागू हुई थी।

वी-डेम ने कहा है कि इस समय दुनिया में तानाशाही प्रवृत्ति बढ़ने की लहर आई हुई है। यह प्रक्रिया 42 देशों में चल रही है, जहां की कुल आबादी दो अरब 80 करोड़ हैं- यानी जहां दुनिया की कुल आबादी का 35 प्रतिशत हिस्सा रहता है। दुनिया की 18 फीसदी आबादी भारत में है। इस तरह जो आबादी बढ़ रही तानाशाही प्रवृत्ति वाले देशों में है, उनका आधा हिस्सा भारत में मौजूद है। भारत की वर्तमान सरकार ऐसी रिपोर्टों को तव्वजो नहीं देती (या कम-से-कम वह ऐसा करने के संकेत ही देती है)। सार्वजनिक बयानों में वह इन्हें भारत विरोधी सोच से प्रेरित करार देती है।

मगर यह बात अवश्य याद रखनी चाहिए कि भारत की पहचान अगर एक लोकतांत्रिक देश की बनी, तो वह उन पैमानों पर बेहतर सूरत की वजह से ही बनी, जिनको लेकर वी-डेम या फ्रीडम हाउस जैसी संस्थाएं सूचकांक बनाती हैँ। अब इन कसौटियों पर भारत का दर्जा गिर रहा है, तो इसके लिए उन संस्थाओं की कथित दुर्भावना को कारण मानना अतार्किक होगा। वैसे भी जो बातें वो संस्थाएं कह रही हैं, वैसा ही अनुभव बहुत सारे भारतवासियों का भी है।

यह भी पढ़ें:

मराठा नेताओं का खुला परिवारवाद

क्या विपक्षी नेता जुटेंगे राहुल की रैली में?

प्रशांत किशोर चुनाव नहीं लड़ेंगे

वेणुगोपाल की जिद में राहुल वायनाड लड़ रहे हैं

भाजपा की ओर बढ़ रहा अब्दुल्ला परिवार

Exit mobile version