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बोइंग कथा के सबक

विशेषज्ञों ने कहा है कि एमबीए डिग्रीधारियों को इंजीनियरों पर तरजीह देना कंपनी को बहुत भारी पड़ा है। यह कहानी उन सभी देशों और कंपनियों के लिए एक सबक है, जो अर्थव्यवस्था के वित्तीयकरण के दौर में अपनी विशिष्टता की अनदेखी कर रही हैं।

अमेरिका की विमान बनाने वाली मशहूर कंपनी बोइंग को नया झटका लगा है। खबर है कि बीते तीन वर्षों में 32 ह्विशलब्लोअर्स ने अमेरिका के कार्यस्थल सुरक्षा विनियामक के पास शिकायतें दर्ज कराईं। अभी कुछ ही समय पहले कंपनी के एक ह्विशलब्लोअर की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उस मामले की चल रही जांच के दौरान अन्य ह्विशलब्लोअर शिकायतों का खुलासा हुआ है। इनमें ऐसी शिकायतें भी हैं, जिनमें कहा गया है कि कंपनी के अंदर सुरक्षा नियमों की अनदेखी की शिकायत करने पर कंपनी की तरफ से शिकायतकर्ता कर्मचारियों को ही निशाना बना लिया गया।

बोइंग को एक समय अमेरिका की शान समझा जाता था। 1992 तक विमान के वैश्विक बाजार पर उसका 70 फीसदी कब्जा था। विमान का उत्पादन बेहद पेचीदा और ऊंची लागत का काम है, जिसमें असाधारण दर्जे के तकनीकी कौशल की जरूरत पड़ती है। इसी कारण अभी तक दुनिया में सिर्फ दो बड़ी विमान निर्माता कंपनियां ही मौजूद हैं। दूसरी कंपनी फ्रांस की एयरबस है।

बोइंग के बुरे दिन 2018-19 में शुरू हुए, जब उसके दो विमान तकनीकी कारणों से दुर्घटनाग्रस्त हो गए। उसके बाद से उसके विमानों में तरह-तरह की समस्याएं सामने आई हैँ। 2024 में अब तक बोइंग विमानों के कई छोटे हादसे हो चुके हैँ। इसी पृष्ठभूमि में ह्विशलब्लोअर्स की शिकायतें चर्चित हुई हैं। तब से यह बहुचर्चित मुद्दा है कि आखिर कंपनी की बीमारी क्या है? इस दौरान इस ओर ध्यान गया है कि कैसे कंपनी ने अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश में अपनी उत्पादन इकाई पर अपनी नई बनी वित्तीय इकाई को महत्त्व दिया, जिसका काम शेयर बाजार पर केंद्रित रहा है। विशेषज्ञों ने कहा है कि एमबीए डिग्रीधारियों को इंजीनियरों पर तरजीह देना कंपनी को बहुत भारी पड़ा है। यह कहानी उन सभी देशों और कंपनियों के लिए एक सबक है, जो अर्थव्यवस्था के वित्तीयकरण के दौर में अपनी विशिष्टता की अनदेखी कर रही हैं। वित्तीयकरण ने अमेरिका जैसे बलशाली देश की उत्पादक क्षमता में घुन लगा दिया है। बोइंग उसी घटनाक्रम की एक मिसाल है। सबक यह है कि वित्तीय बाजार उत्पादन एवं वितरण आधारित कारोबार का विकल्प नहीं हो सकते।

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