एसी, जलवायु परिवर्तन,चर्चाएं

पोलैंड के शहर काटोविस में संयुक्त राष्ट्र का 24वां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू हो चुका है। जाहिर है, एक बार फिर चर्चा कार्बन उत्सर्जन रोकने के उपायों को लागू पर है। इस क्रम में एयर कंडीशनर चर्चा में आए हैं, तो ये लाजिमी ही है। आखिर एयर कंडीशनर सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाली चीजों में शामिल हैं। इस सिलसिले में चर्चा में भारत भी आ रहा है। कारण है कि यहां एसी का उपयोग तेजी से बढ़ा है। भारत का एसी बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अभी तीन करोड़ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। आने वाले दशकों में इसमें भारी इजाफे का अनुमान है। जनसंख्या के लिहाज से दुनिया का दूसरा बड़ा देश एसी कूलिंग का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी बन सकता है। भारत दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला बड़ा देश है, जहां हर साल 80 करोड़ टन कोयला जलता है। ऐसे में देश का एसी उपयोग में बढ़ोतरी से स्थिति को और भी भयावह बन सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एसी के इस्तेमाल के चलते बिजली की मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन को तीन गुना करना होगा। आज भारत के महज पांच फीसदी घरों में ही एसी का इस्तेमाल होता है। एसी इस्तेमाल की यह दर अमेरिका में 90 फीसदी तो चीन में 60 फीसदी है। लेकिन अब भारत का ऐसी बाजार तेजी से उभर रहा है। पिछले एक दशक में लोगों की आमदनी में जमकर इजाफा हुआ है, जिसके चलते लोगों की खरीदने की क्षमता बढ़ी है। आम लोग गर्मी से निपटने के लिए फ्रीज और एसी का इस्तेमाल करते हैं। वहीं ये इलेक्ट्रॉनिक आइटम ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार गैसों का उत्सर्जन करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक एसी से निकलने वाली गैसें तापमान में इजाफा कर देती हैं। भारत अपनी दो-तिहाई बिजली का उत्पादन करने के लिए कोयले और गैस पर निर्भर करता है। अक्षय ऊर्जा के लिए महत्वाकांक्षी योजनाओं के बावजूद देश आने वाले दशकों तक हाइड्रोकार्बन पर अत्यधिक निर्भर रह सकता है। ऐसे में भारत को एक मदद कम ऊर्जा खपत वाले एसी से मिल सकती है। हालांकि नई तकनीक अब भी महंगी है और उपभोक्ता पुरानी तकनीक से नई तकनीक पर स्विच करने में थोड़े धीमे हैं।
बहरहाल, उसका उपयोग करने के अलावा कोई और चारा नहीं है। जलवायु परिवर्तन वैश्विक समस्या है, जिसे नजरअंदाज करना संभव नहीं है।
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