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01-03-2025 Vol 19

Category: लेख-स्तंभ

मनुष्यों की जान की कीमत ही क्या है!

मनुष्यों की जान की कीमत ही क्या है!

mahakumbh 2025 : एक छोटी बच्ची, थोड़ी देर पहले ही संगम में डुबकी लगाई थी। बाल अभी भी गीले थे, लेकिन शरीर ठंडा, मृत पड़ा था।
बजट से सबकी अपनी अपनी उम्मीदें

बजट से सबकी अपनी अपनी उम्मीदें

budget 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट एक फरवरी को पेश होगा।
तबादले होंगे बशर्ते….

तबादले होंगे बशर्ते….

कुल मिलाकर लंबे अरसे बाद मंत्रियों के प्रयास कामयाब हुए और शर्तों के साथ ही सही लेकिन कुछ तो तबादला करने के अधिकार मिल गये
स्वस्थ जीना है तो शीतल पेय से सावधान!

स्वस्थ जीना है तो शीतल पेय से सावधान!

शर्बत और लस्सी के देश भारत के अधिकांश लोग पश्चिमी बयार में बहकर खुद को ‘मॉडर्न’ साबित करने के लिए ‘दूषित’ शीतल पेयों का जमकर उपयोग कर रहे हैं।
लोगों की शोषक, नाकारा नियामक एजेंसियां

लोगों की शोषक, नाकारा नियामक एजेंसियां

भारत में जितनी नियामक एजेंसियां हैं, शायद दुनिया के किसी और देश में उतनी नहीं होंगी।
डीपसीक का तुरंत ही भूचाल!

डीपसीक का तुरंत ही भूचाल!

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) वह दिमाग, वह औजार है, जो हमें जल्दी ही बेरोजगार बना देगा।
मानव की सबसे ‘कमजोर नस के सहारे’ शराबबंदी…?

मानव की सबसे ‘कमजोर नस के सहारे’ शराबबंदी…?

भारतीय राजनीति में संभवतः पहली बार मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ दल ने अपने उद्धेश्य की पूर्ति हेतु मानव मनोविज्ञान का सहारा लिया है
संघ परिवार: विचित्र व्यवहार

संघ परिवार: विचित्र व्यवहार

जब हिन्दुओं पर सीधी चोट पड़ती है, तो संघ परिवार के नेता चुप रहते हैं। बयान तक नहीं देते।
कांग्रेसी की दिल्ली चुनाव की दुविधा

कांग्रेसी की दिल्ली चुनाव की दुविधा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी दुविधा में दिख रही है। पार्टी ने जिस उत्साह और जोश के साथ चुनाव अभियान की शुरुआत की थी वह धीरे धीरे समाप्त...
ऑशविट्ज:  प्रतीक, मनुष्यों की पशुता का!

ऑशविट्ज: प्रतीक, मनुष्यों की पशुता का!

सोवियत संघ के युद्धबंदियों, समलैंगिक पुरूषों, राजनैतिक बंदियों और अन्यों का भी कत्ल किया गया था। ऑशविट्ज इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य पशुओं से भी गिरा-गुज़रा हो...
जलवायु परिवर्तन का बतगंड

जलवायु परिवर्तन का बतगंड

अमेरिका का 47वां राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने जिन दर्जनों कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए, उसमें से एक ‘पेरिस जलवायु समझौते’ से अमेरिका को बाहर करना भी रहा।
मोदी, अडानी और मोनोपॉली कथा

मोदी, अडानी और मोनोपॉली कथा

दुनिया में बहु-ध्रुवीयता की संभावना पर चल रही चर्चा के सिलसिले में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ रशियन फेडरेशन (सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तराधिकारी) ने हाल में एक विश्लेषण प्रकाशित किया।
संविधान सुरक्षित हाथों में है

संविधान सुरक्षित हाथों में है

‘हम भारत के लोग’ द्वारा संविधान अंगीकार करने के 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं। समस्त देशवासियों के लिए यह गर्व और प्रेरणा का दिन है।
सनातन संस्कृति में है गणतंत्र विचार

सनातन संस्कृति में है गणतंत्र विचार

गणतंत्र की अवधारणा यूनान, यूरोपादि पश्चिमी देशस्थ पाश्चात्य ज्ञान की नहीं, अपितु भारत, भारतीय और भारतीयता के प्राण वेदों की देन है।
पाताल लोक: ख्वाहिशों के ख़ूबसूरत झमेले

पाताल लोक: ख्वाहिशों के ख़ूबसूरत झमेले

2025 की शुरुआत, दर्शकों के लिए वेब सीरीज़ की दुनिया में एक सुनहरा दौर लेकर आई है।
वहां देशभक्ति यहां वोट भक्ति!

वहां देशभक्ति यहां वोट भक्ति!

डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी में क्या फर्क है, इस पर 2017 में मैंने ट्रंप के पहले महीने के फैसलों के हवाले लिखा था।
वहां काबिलियत यहां आरक्षण!

वहां काबिलियत यहां आरक्षण!

डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर वहा हड़ताल नहीं हुई। न विरोधी पार्टी और सांसदों का हल्ला हुआ।
वहां विपक्ष और भारत में विपक्ष!

वहां विपक्ष और भारत में विपक्ष!

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप चार साल राष्ट्रपति रहे और चुनाव हार गए। चार साल विपक्ष में रहे तो उन्होंने क्या किया? पुराने ही मुद्दों की राजनीति। अपने विचार में...
वहां अमल यहां झांसा!

वहां अमल यहां झांसा!

भारत दस वर्षों से नाकाबिल-लालफीताशाह-भ्रष्ट नौकरशाही से ‘मेक इन इंडिया’ का फर्जीवाड़ा बनाए हुए है। चीन पर निर्भरता कम करने, स्वदेशीकरण का राग अपनाए हुए है।
काबिल और कारिंदे!

काबिल और कारिंदे!

भारत में जिसको सुनिए वो कहेगा कि काबिल लोगों की कमी नहीं हैं। कमी नहीं है तो फिर कहां हैं काबिल लोग?
भाजपा सबसे धनवान, जो सत्ता में वहीं सिकन्दर…!

भाजपा सबसे धनवान, जो सत्ता में वहीं सिकन्दर…!

राजनीतिक दलों के ये आर्थिक आंकड़े हाल ही में चुनाव आयोग ने जारी किए है।
राजनीतिक रूपकों को बदलने की जरुरत

राजनीतिक रूपकों को बदलने की जरुरत

राजनीति में हमेशा ऐसा होता है कि सेमीफाइनल हारने वाला भी फाइनल खेलता है और कई बार तो ऐसा भी होता है कि सेमीफाइनल हारने वाला फाइनल जीत जाता...
फ़र्ज़ी कॉलेज के जाल में मासूम छात्र

फ़र्ज़ी कॉलेज के जाल में मासूम छात्र

देश में सूचना क्रान्ति, उदारीकरण और उपभोक्ता संस्कृति तीनों ने मिलकर गांव और कस्बों के नौजवानों के मन में कुछ नया सीखने और व्यावसायिक जगत में आगे बढ़ने की...
जन आंदोलनों का बंद होता रास्ता

जन आंदोलनों का बंद होता रास्ता

इतिहास के अंत की घोषणा की तरह क्या जन आंदोलनों के अंत की भी घोषणा की जा सकती है? कई लोग मानेंगे कि ऐसा कहना जल्दबाजी है या आधा...
नेताओं का आईने में इतराना !

नेताओं का आईने में इतराना !

बच्चों की एक प्रसिद्ध कहानी “स्नोवाइट और सात बौने” की एक पात्र है एक दुष्ट रानी। उसके पास एक जादुई आईना है, जिससे वह रोज़ सुबह उठने के बाद...
विंध्य में बिगड़ रही भाजपा की सेहत

विंध्य में बिगड़ रही भाजपा की सेहत

कुल मिलाकर बिना विंध्य क्षेत्र में भाजपा नेताओं के बीच लगातार तनातनी बढ़ रही है जिससे भाजपा की सेहत बिगड़ रही है।
ट्रम्प के राष्ट्रपति होने के अर्थ दुनिया को डराना

ट्रम्प के राष्ट्रपति होने के अर्थ दुनिया को डराना

ट्रम्प एक व्यपारी है और वे सिर्फ लाभ या मुनाफे का ही सौदा करते हैं ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है।
महाकुंभ पर तो चुप रह सकते थे!

महाकुंभ पर तो चुप रह सकते थे!

क्या वे मान रहे हैं कि महाकुंभ में जो लोग डुबकी लगा रहे हैं वे भाजपा के मतदाता हैं और जितनी ज्यादा संख्या बताई जाएगी उतना ज्यादा फायदा भाजपा...
क्या न्यायपालिका मोदी सरकार से नाराज है…?

क्या न्यायपालिका मोदी सरकार से नाराज है…?

आखिर सर्वोच्च न्यायालय को सरकार से ऐसे तीखे सवाल करने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या सरकार या किसी राजनीतिक दल ने इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने की कौशिश की?
सब कुछ मुफ्त, बम्पर घोषणाएं!

सब कुछ मुफ्त, बम्पर घोषणाएं!

चुनाव जीतने के लिए मुफ्त में चीजें और सेवाएं बांटने की राजनीति की जड़ें और गहरी होती जा रही हैं। हर चुनाव के बाद पार्टियां कुछ नई चीज ला...
पश्चिम एशिया में चैन के लम्हे!

पश्चिम एशिया में चैन के लम्हे!

आखिरकार वह दिन आ ही गया। वह दिन जब दुनिया राहत की सांस ले सकती है। हमास-इजराइल युद्ध विराम लागू हो गया है। हालांकि यह केवल कुछ समय के...
इंदौरी लाल जावरा वाले

इंदौरी लाल जावरा वाले

डॉक्टर हरीश भल्ला जैसे हंसमुख जीए वैसे ही हंसते-मुस्कुराते चले गए। हंसमुख जीवटता के ही कारण वे एक विशाल समृद्ध परिवार को दुखी छोड़ गए।...
ट्रम्प एक अपराधी के रूप में भी लेंगे शपथ

ट्रम्प एक अपराधी के रूप में भी लेंगे शपथ

ट्रम्प का सत्तारोहण इस तथ्य को रेखांकित करता हैं की आज की राजनीति इसकाउड्रल लोगों का खेल हैं।
दो लोकतंत्र, एक चिंता !

दो लोकतंत्र, एक चिंता !

भारत और हम हिंदुओं का क्या होगा, यह अपनी चिंता है! वही दुनिया इस चिंता में है कि अमेरिका और पश्चिमी सभ्यता का क्या होगा
‘ट्रम्पवाद’ का समय आया!

‘ट्रम्पवाद’ का समय आया!

कल सुबह (21 जनवरी) दुनिया ट्रंपकाल में प्रवेश करेगी। और ‘ट्रम्पवाद’ आने वाले समय का प्रतीक चिन्ह होगा।
तो क्या इस बार संघियों का वोट कांग्रेसी को

तो क्या इस बार संघियों का वोट कांग्रेसी को

बड़ा दम भरा था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का,पर भारत की बात तो बाद की है पहले तो खुद भाजपा ही कांग्रेस युक्त होती दिखने लगी...
दिल्ली में दम दिखाएंगे मध्यप्रदेश के नेता

दिल्ली में दम दिखाएंगे मध्यप्रदेश के नेता

कुल मिलाकर दिलचस्प होते दिल्ली के चुनाव में प्रदेश के नेता दिल्ली पहुंच गए हैं और पूरी दम खम के साथ चुनावी कमान सभाल ली है और भी नेता...
अब मन मोहने लगे हैं मोहन…बजाओ ताली…

अब मन मोहने लगे हैं मोहन…बजाओ ताली…

युवाओं को स्किल्ड करने के ट्रेनिंग सेंटर खोलने का फैसला भी उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के साथ बेरोजगारों की जिंदगी बदलने वाला साबित होगा।
ट्रंप अमेरिका की सूरत बदल देने को तैयार

ट्रंप अमेरिका की सूरत बदल देने को तैयार

अमेरिकी सत्ता के तमाम केंद्र आज ट्रंप के पीछे एकजुट नजर आ रहे हैं। इसका दूरगामी परिणाम अमेरिकी सियासत के साथ-साथ विश्व शक्ति संतुलन पर भी पड़ेगा।
वाह उस्ताद, वाह !

वाह उस्ताद, वाह !

बिगुलवादकों ने ज़ोर-शोर से यह धुन बजानी शुरू कर दी है कि राहुल ने भारत गणराज्य के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है। इंडिया समूह की सीटें पिछली बार से...
दिल्ली के गौरव की स्थापना का चुनाव

दिल्ली के गौरव की स्थापना का चुनाव

जनसंख्या और भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर भले दिल्ली का आकार छोटा प्रतीत हो लेकिन राजनीतिक प्रभाव और वैश्विक महत्व की दृष्टि से यह संपूर्ण देश का प्रतिनिधित्व करने...
दिल्ली के चुनाव में ‘इंडी’ बेमानी

दिल्ली के चुनाव में ‘इंडी’ बेमानी

आई.एन.डी.आई. (इंडी) गठबंधन तले इकट्ठा हुआ विपक्ष, एक नजर नहीं आ रहा है।
‘बीहड़’ में किसकी, कब ‘आजादी’?

‘बीहड़’ में किसकी, कब ‘आजादी’?

‘गुलामी’ और ‘स्वतंत्रता’ दोनों मनुष्य जनित हैं! मनुष्य वह जानवर है, जिससे पृथ्वी पर गुलाम, पालतू, बंधुआ और ‘स्वतंत्र’ ‘आजाद’, ‘स्वच्छंद’ की विभिन्न किस्मों के विभिन्न वर्ग तथा सिस्टम...
आजादी का मान घटाने की मुहिम

आजादी का मान घटाने की मुहिम

जो यह मानते हैं कि भारत दो सौ साल के करीब गुलाम रहा और फिर कांग्रेस की लड़ाई से आजादी मिली।
उफ! ‘हिंदू’ स्वतंत्रता का यह सत्तापथ!

उफ! ‘हिंदू’ स्वतंत्रता का यह सत्तापथ!

मोहन भागवत के कहे पर व्यर्थ का बवंडर है। इसकी सघनता से अपना शक है कि मोदी सरकार व भाजपा में उनके विरोधियों ने इस पर तिल का ताड़...
ताकि संघ को भी मिले श्रेय

ताकि संघ को भी मिले श्रेय

सवाल है भाजपा और आरएसएस में अनेक लोगों द्वारा ऐसा क्यों हो रहा है?
संघ, भाजपा की कुंठा गहरी

संघ, भाजपा की कुंठा गहरी

आजादी की लड़ाई को लेकर भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के लोग इतनी कुंठा में रहते हैं, जिसकी मिसाल नहीं है।
आजादी के नारे लगे तो देशद्रोह!

आजादी के नारे लगे तो देशद्रोह!

अगर कन्हैया की तरह उन्होंने ‘हमें चाहिए आजादी’ का नारा लगाया तो देशद्रोही घोषित कर दिए जाएंगे।