Monday

10-03-2025 Vol 19
चीन आखिर तक लड़ने को तैयार!

चीन आखिर तक लड़ने को तैयार!

छह मार्च 2025 की तारीख चीन और विश्व राजनीति में निश्चित ही याद रहेगी। कोई न माने इस बात को लेकिन चीन ने इस दिन अपने को विश्व की...
‘प्रथम’ है फिर भी ‘प्रथम’ की सनक!

‘प्रथम’ है फिर भी ‘प्रथम’ की सनक!

डोनाल्‍ड ट्रंप का जवाब नहीं हैं। अमेरिका को सनका दिया है। और सनक मानो छूत की बीमारी जो कई योरोपीय देशों में भी दक्षिणपंथियों की पौ-बारह है। सियासी उथलपुथल...
मकड़ी अपने ही बनाए जाल में मरती है!

मकड़ी अपने ही बनाए जाल में मरती है!

delhi assembly election: भ्रष्टाचार के खिलाफ भभके में केजरीवाल का चेहरा, चाल, चरित्र वह सब लिए हुए था, जिससे पूरे देश में झाड़ू से उनकी पहचान बनी।
दो लोकतंत्र, एक चिंता !

दो लोकतंत्र, एक चिंता !

भारत और हम हिंदुओं का क्या होगा, यह अपनी चिंता है! वही दुनिया इस चिंता में है कि अमेरिका और पश्चिमी सभ्यता का क्या होगा
डॉ. मनमोहन सिंह और जिमी  कार्टर की अंत्येष्टि का फर्क!

डॉ. मनमोहन सिंह और जिमी कार्टर की अंत्येष्टि का फर्क!

मौत भी कौम और देश की मानवीय बुनावट का अंतर प्रकट करती है!
नाम न पूछो बीहड़ का !

नाम न पूछो बीहड़ का !

न संस्कृत पांडुलिपियों की खोज हो पाती। न उनका संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद हो पाता और न कश्मीर व भारत का इतिहास (जैसा भी हो) लिखा होता।
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आखिरी बुद्धिवान और उम्दा प्रधानमंत्री !

डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आखिरी बुद्धिवान और उम्दा प्रधानमंत्री !

शीर्षक चौंका सकता है। पर जरा समकालीन भारत अनुभवों और उनकी दिशा में झांके तो अगले बीस-पच्चीस वर्षों की क्या भारत संभावना दिखेगी?
खबर एक ही है, सिर्फ एक- मौसम!

खबर एक ही है, सिर्फ एक- मौसम!

हरे भरे चरागाहों, संसाधनों तथा जिंदगी जीने लायक अनुकूल मौसम और स्थितियों को तलाशते रहने की नियति लिए हुए है!
बच्चे पैदा करने से ज्यादा जरूरी हिंदू बच्चों को भेड़ नहीं सत्यवादी इंसान बनाएं!

बच्चे पैदा करने से ज्यादा जरूरी हिंदू बच्चों को भेड़ नहीं सत्यवादी इंसान बनाएं!

अपने सिन्हा साहब ने दिल्ली लौट पुश्तैनी प्रदेश के हाल बताए। लखनऊ के महानगर इलाके में उनके भाई-बंदों का घर है।
अडानी पर कुरबान भारत!

अडानी पर कुरबान भारत!

भारत पूंजीवाद का नया इतिहास रच रहा है! भारत मानों गौतम अडानी का गिरवी हो गया है! यदि अडानी ग्रुप का कोई भी भंडा फूटे तो वह दुश्मन के...
उपसंहारः मध्यकाल की ओर!

उपसंहारः मध्यकाल की ओर!

हम हिंदुओं की नियति है कि आगे बढ़ते हैं, फिर पीछे लौटते हैं। आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाते हैं और पुरातन में लौटते हैं!
मुसलमान को धिम्मी बनाकर रखेंगे या धर्मांतरित करेंगे या मारेंगे?

मुसलमान को धिम्मी बनाकर रखेंगे या धर्मांतरित करेंगे या मारेंगे?

कितना खराब है जो भारत ने संविधान में ‘सेकुलर’ रखा हुआ है और व्यवहार उस हिंदूपने का है, जिसमें न उद्देश्य मालूम है और न स्पष्टता और न बहादुरी...
संविधान में ‘सेकुलर’ और बगल में बुलडोजर!

संविधान में ‘सेकुलर’ और बगल में बुलडोजर!

आखिर भारत हिंदुओं का अपना घर, घरौंदा है। वे जो चाहेंगे वही होना चाहिए। खासकर तब जब हमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, गिरिराज सिंह जैसे योद्धा और...
समस्या मुसलमान से नहीं  हिंदू ‘निरुद्देश्यता’ से है!

समस्या मुसलमान से नहीं  हिंदू ‘निरुद्देश्यता’ से है!

दुनिया भर में भटकते, खटकते, मरते हुए भी यहूदियों ने अपनी जिजीविषा में अपना बौद्धिक बल बनाए रखा। वे हम हिंदुओं की तरह कलियुगी बुद्धि में कलुषित नहीं हुए।
जिन्ना का सपना पूरा करना या भारत के टुकड़े?

जिन्ना का सपना पूरा करना या भारत के टुकड़े?

हम हिंदू फड़ाफड़ा रहे हैं! इतिहास में लौट रहे हैं। और नरेंद्र मोदी हों या योगी आदित्यनाथ, कोई बूझ नहीं रहा है कि वे मनसा, वाचा, कर्मणा भारत के...
हम हिंदू क्या चाहते है?

हम हिंदू क्या चाहते है?

क्या मुसलमान का भुर्ता बनाना हैं? उन्हे पालतू बनाना हैं? या आ बैल मुझे मार में 1947 से पहले के मुस्लिम डायरेक्ट एक्शन को न्योतना है? 
अडानीः मोदी का राजधर्म!

अडानीः मोदी का राजधर्म!

याद करें भारत में कौन सा राजा (सम्राट अशोक से लेकर पृथ्वीराज चौहान या मुस्लिम-अंग्रेज शासकों के कार्यकाल में), प्रधानमंत्री ऐसा हुआ, जिसने किसी उद्योगपति-व्यापारी की पैरोकारी को अपना...
विपक्ष न बेईमान और न एकजुट!

विपक्ष न बेईमान और न एकजुट!

जो हरियाणा में हुआ वह महाराष्ट्र में है! ऐसा ही आगे दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी होगा। इसलिए क्योंकि विपक्ष लगातार मोदी-शाह को कमतर आंकते हुए है।
बीहड़ में प्रदूषण!

बीहड़ में प्रदूषण!

फिर वहीं राग पुराना है! आंखों में जलन, गले में खराश, दिल में धुआं और दिमाग में बेचैनी कि करें तो क्या करें!
पहिया पीछे घूम रहा है!

पहिया पीछे घूम रहा है!

अच्छा है या बुरा, पता नहीं लेकिन पहिया पीछे की ओर घूम रहा है। हिंदू महाभारत के द्वापर युग में लौट रहे हैं।
आंखों के आगे इतिहास!

आंखों के आगे इतिहास!

अमेरिकी मतदाता तय करेंगे कि वे अपने सभ्यतागत मूल्यों और सांचे की निरंतरता में कमला हैरिस को जिताते हैं या वैयक्तिक तानाशाही जिद्द वाले डोनाल्ड़ ट्रंप को
अमेरिका क्या बरबादी न्योतेगा?

अमेरिका क्या बरबादी न्योतेगा?

यों कोई भी देश हार्ट अटैक से नहीं मरा करता। सभ्यता-संस्कृति अचानक मुर्दा नहीं बनती।
गृहयुद्ध कितने दशक बाद?

गृहयुद्ध कितने दशक बाद?

सवाल चौंका सकता है। लेकिन यदि विदेशियों के शासन को छोड़ कर सोचें तो हिंदू शासनों के दौरान हिंदुस्तान में स्थिरता कब, कहां, कितनी रही है?
‘घृणा’ अब अपना धर्म

‘घृणा’ अब अपना धर्म

कैसा तो विकसित भारत होगा? कैसे एक भारत, श्रेष्ठ भारत जैसी जुमलेबाजी कोई शक्ल लेगी?
मुसलमान क्या मनुष्य नहीं?

मुसलमान क्या मनुष्य नहीं?

दि ऐसा है तो गाजा, पश्चिमी बैंक, लेबनान, सीरिया आदि में इजराइली सेना की कार्रवाई से बचने के लिए भयाकुल, भूखे-बेहाल मुसलमानों को बगल के इस्लामी देश शरण क्यों...
सौ साल के जिमी कार्टर!

सौ साल के जिमी कार्टर!

वे अमेरिकी इतिहास के पहले शतायु राष्ट्रपति हैं। इसलिए स्वाभाविक है जो मंगलवार को अमेरिका उनका अभिनंदन करता हुआ होगा।
मोदी राज का ‘प्रसादम्’

मोदी राज का ‘प्रसादम्’

तब मैंने और प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या गए सभी हिंदू भद्रजनों, साधु-संतों ने पशुचर्बीयुक्त घी का प्रसाद खाया? और बतौर मुख्य यजमान मोदी ने उसी का भोग रामलला...
बीहड़ (भारत) में बारिश!

बीहड़ (भारत) में बारिश!

सुध नहीं इसलिए ओझल है अन्यथा मौजूदा भारत बीहड़ है। तभी भारत का हर दिन बीहड़ कथा का दिन है। और कथा दिन में एक नहीं, बल्कि असंख्य।
गधेड़ो!

गधेड़ो!

क्या ‘गधा’ मनुष्य हो सकता है? हां, भारत में सब संभव है! वह राजा बन सकता है, मंत्री बन सकता है, कलेक्टर, तहसीलदार, पटवारी कुछ भी बन सकता है।
राजनीति हमें बीहड़ में ले आई!

राजनीति हमें बीहड़ में ले आई!

बंगाल बदनाम है और बांग्ला मानस घायल। उधर बांग्लादेश में हिंदुओं को जान के लाले पड़े हैं। और नरेंद्र मोदी, अमित शाह, हिमंत बिस्वा सरमा उसमें हवा दे रहे...
शिखर से जब लुढ़के हैं तो मोदी को और लुढ़कना ही है!

शिखर से जब लुढ़के हैं तो मोदी को और लुढ़कना ही है!

सोचें, कोई व्यक्ति एवरेस्ट पर खड़ा है। वह शिखर पर अपने को शिव मान तांडव कर रहा है और एक दिन अचानक उसके पांव के नीचे की जमीन-बर्फ खिसकी
भीड़ है तो बुद्धी संभव ही नहीं!

भीड़ है तो बुद्धी संभव ही नहीं!

सोचना संभव नहीं है पर देखना तो है! और हाल में दिखा क्या बतलाता है? भारत तांबा है सोना नहीं! यदि ओलंपिक में लौह पदक होते तो वे भी...
हसीना का हश्र और भारत!

हसीना का हश्र और भारत!

हां, सबक इस नाते कि बांग्लादेश में उलटफेर न केवल भू राजनीति में भारत को भारी झटका है वही भारत के अंदरूनी हालातों में सोचने का एक पहलू भी...
तो अमित शाह अब अहमद शाह अब्दाली!

तो अमित शाह अब अहमद शाह अब्दाली!

अमित शाह की छाती छप्पन इंची हो गई होगी। आखिर उद्धव ठाकरे ने उन्हे अहमद शाह अब्दाली जो बताया।
भागवत में क्यों हिम्मत नहीं?

भागवत में क्यों हिम्मत नहीं?

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नरेंद्र मोदी को लक्षित कर वह सब कहा, जिसकी कल्पना नहीं थी। और भागवत ने एक शब्द गलत नहीं बोला।
‘ठग’ से ‘सज्जन’ और ‘झूठ’ से ‘सत्य’ कैसे लड़े!

‘ठग’ से ‘सज्जन’ और ‘झूठ’ से ‘सत्य’ कैसे लड़े!

यदि ठग व्यक्ति, झूठ बोलने में गुरू हो तो करेला नीम पर चढ़ा। तभी इन दिनों डोनाल्ड ट्रम्प जैसा ठग और झूठा राजनीति का प्रतिमान है।
मानव त्रासदी की यह सदी!

मानव त्रासदी की यह सदी!

न अमेरिका और ब्रिटेन जैसे सिरमौर विकसित देश मौसम का बिगड़ना रोक पा रहे हैं और न संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियां
सच्चाई

सच्चाई

इस सच्चाई में यदि सदी के पहले 25 वर्षों के भारत के अनुभव पर गौर करें तो क्या तस्वीर उभरेगी? क्या हम 25 वर्षों में महज भीड़ बन कर...
आभार!

आभार!

आजाद भारत के इतिहास में सन् 2024 का जनादेश 1977 जैसा न होते हुए भी इतिहासजन्य है और अभिनंदनीय है।
चुनाव 2024 का सत्य

चुनाव 2024 का सत्य

हां, आग्रह है आम चुनाव 2024 के पचहत्तर दिनों में मेरे लिखे कॉलम ‘अपन तो कहेंगे’ और ‘गपशप’ के शीषर्क, और उनके सार-संक्षेप (विस्तार से पूरा पढ़ना हो तो...
अंहकार हारा, वानर सेना जीती!

अंहकार हारा, वानर सेना जीती!

मगर अहंकार हार नहीं माना करता। नरेंद्र मोदी स्क्रीन पर लौट आए हैं। दंभ के साथ देश को संदेश दे दिया है कि वे हार नहीं मानेंगे।
ट्रंप के जेल जाने के दिन!

ट्रंप के जेल जाने के दिन!

डोनाल्ड ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति चार वर्षों में अपना खुद का और अमेरिका का कैसा-क्या कलंक बनाया, यह इतिहास में अंकित है।
संघ के भगवान (मोदी) क्या सेना का भी उपयोग करेंगे?

संघ के भगवान (मोदी) क्या सेना का भी उपयोग करेंगे?

अफवाह का आधार यह रिपोर्ट है कि सेना प्रमुख मनोज पांडे 31 मई को रिटायर होने थे लेकिन कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी ने अप्रत्याशित तौर पर उनका कार्यकाल एक...
चुनाव अब जनमत संग्रह!

चुनाव अब जनमत संग्रह!

इतिहास बनता लगता है। जनवरी में जो देश अबकी बार चार सौ पार के हुंकारे में गुमसुम था वह मई में विद्रोही दिख रहा है। इसलिए चुनाव अब जनमत...
नरेंद्र मोदी और गोबर भारत!

नरेंद्र मोदी और गोबर भारत!

चार जून को चाहे जो नतीजा आए, कोई प्रधानमंत्री बने, भारत उस गोबर पथ से मुक्त नहीं होगा, जिस पर वह 2014 से चला है।
मोदी का सिक्का, हुआ खोटा!

मोदी का सिक्का, हुआ खोटा!

सही है कि मोदी नाम का चेहरा जिन भक्तों में पैंठा हुआ है उन वोटों का सहारा अभी भी कम नहीं है। लेकिन चुनाव तो मनचले, फ्लोटिंग वोटों तथा...
उम्मीद रखें, समय आ रहा!

उम्मीद रखें, समय आ रहा!

उम्मीद रखिए और मानिए समय बलवान है। याद है न- तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान। भीलां लूटी गोपियां, वही अर्जुन वही बाण।
भाजपा फंसी!

भाजपा फंसी!

400 पार की सुनामी तो दूर सामान्य बहुमत के लिए भी अगले छह चरणों में भाजपा को बहुत पसीना बहाना होगा।