Monday

10-03-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

मतदाता क्यों मुंह मोड़ रहे हैं?

मतदाता क्यों मुंह मोड़ रहे हैं?

छह चरण के चुनाव के बाद मतदान के आंकड़े दूसरी कहानी बयां कर रहे हैं।
सीटों की संख्या का मनोवैज्ञानिक दांव

सीटों की संख्या का मनोवैज्ञानिक दांव

इस बार हर व्यक्ति एक दूसरे से पूछ रहा है कि क्या भाजपा को 370 और एनडीए को चार सौ सीटें आ जाएंगी?
छह मुद्दे, जो इस चुनाव में नहीं हैं

छह मुद्दे, जो इस चुनाव में नहीं हैं

दोनों तरफ से गारंटियों की बात हो रही है। एकदम खटाखटा! और साथ ही दोनों तरफ से एक दूसरे के बारे में झूठ बोला जा रहा है।
चुनाव आयोग गूंगा, अंधा, बहरा है!

चुनाव आयोग गूंगा, अंधा, बहरा है!

ऐसा नहीं है कि सिर्फ प्रधानमंत्री ने चुनाव आयोग की बात पर ध्यान देने की जरुरत नहीं समझी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी आयोग की बात पर कोई...
क्षेत्रीयता की भावना बढ़ रही है

क्षेत्रीयता की भावना बढ़ रही है

पहले भी अलग अलग राज्यों के नेता प्रधानमंत्री होते थे लेकिन उनकी वजह से राज्यों में विभाजन इसलिए नहीं होता था क्योंकि प्रधानमंत्री ही हर राज्य में चुनाव लड़ते...
विपक्ष है 2004  के सिंड्रोम में!

विपक्ष है 2004 के सिंड्रोम में!

विपक्षी पार्टियां 2004 के लोकसभा चुनाव के सिंड्रोम से प्रभावित दिख रही हैं।
भाजपा का उलझा हुआ चुनाव प्रचार

भाजपा का उलझा हुआ चुनाव प्रचार

भारतीय जनता पार्टी बहुत स्पष्ट और वैचारिक रूप से ठोस मुद्दों के ऊपर लोकसभा चुनाव का प्रचार नहीं कर रही है और न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों का...
चार चरण के बाद चुनाव कहां?

चार चरण के बाद चुनाव कहां?

लोकसभा चुनाव 2024 समापन की ओर बढ़ रहा है। चार चरण में दो तिहाई से ज्यादा सीटों पर मतदान हो चुका है। आखिरी तीन चरण में अब 163 सीटों...
विपक्ष आराम से चुनाव लड़ रहा है

विपक्ष आराम से चुनाव लड़ रहा है

10 साल तक प्रधानमंत्री रहने के बाद नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में जी जान लगाए हुए हैं तो इस चुनाव को आखिरी चुनाव बता रहा विपक्ष रूटीन अंदाज में...
झूठे वादों के जाल में नहीं फंसते मतदाता

झूठे वादों के जाल में नहीं फंसते मतदाता

हमें जनता के नीर क्षीर विवेक पर भरोसा करना चाहिए। वे जिसे चुन रहे होंगे, ठीक ही चुन रहे होंगे।
चुनाव के मुद्दे पहले से तय होते हैं

चुनाव के मुद्दे पहले से तय होते हैं

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जमानत पर जेल से छूटने के बाद भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ा रहे हैं।
सिर्फ आचार संहिता काफी नहीं है

सिर्फ आचार संहिता काफी नहीं है

लोकतंत्र के लिए एक बड़े राजनीतिक विचारक ने कहा था कि इसमें अधिकतम भ्रम दिया जाता है और न्यूनतम सत्ता दी जाती है। जनता के हाथ में कुछ नहीं...
बिना लहर के चुनाव का सस्पेंस

बिना लहर के चुनाव का सस्पेंस

नरेंद्र मोदी के नाम के अंडरकरंट से इनकार नहीं किया जा सकता है लेकिन ऊपर से कोई चुनावी लहर नहीं दिखाई दी।
भाजपा के सहयोगियों का क्या होगा?

भाजपा के सहयोगियों का क्या होगा?

एक श्रेणी ऐसी पार्टियों की है, जो अब भी भाजपा के साथ हैं और दूसरी श्रेणी ऐसे दलों की है, जो कभी भाजपा के साथ रहे हैं लेकिन अब...
रायबरेली, अमेठी का बेसिर पैर का फैसला

रायबरेली, अमेठी का बेसिर पैर का फैसला

राहुल जीत कर सीट खाली कर देंगे और तब प्रियंका लड़ेंगी लेकिन अभी यह मैसेज गया है कि कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में राहुल की टीम ने प्रियंका को...
अभिनेताओं और खिलाड़ियों को क्यों चुनना?

अभिनेताओं और खिलाड़ियों को क्यों चुनना?

तभी सवाल है कि फिर अभिनेता, अभिनेत्री, खिलाड़ी या गैंगेस्टर और बाहुबली को क्यों संसद सदस्य के तौर पर चुनना चाहिए?
भाजपा जीती तो क्या कयामत आएगी?

भाजपा जीती तो क्या कयामत आएगी?

अगर राहुल गांधी और कांग्रेस व दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बातों पर यकीन करें तो ऐसा ही होगा।
भाजपा प्रोपेगेंडा में, कांग्रेस आई तो यह होगा…

भाजपा प्रोपेगेंडा में, कांग्रेस आई तो यह होगा…

भाजपा ऐसी बातें कर रही हैं, जिनका जिक्र सारे फसाने में नही है। यहां वही बातें लिखी जा रही हैं, जो भाजपा कह रही है।
चुनाव का जोश कहां नदारद है?

चुनाव का जोश कहां नदारद है?

इस बार चुनाव प्रचार में कोई केंद्रीय मुद्दा नहीं है। राज्यों में भाजपा के नेतृत्व और कैडर दोनों में कंफ्यूजन रहा कि किस मुद्दे पर चुनाव लड़ना है।
कांग्रेस के मुद्दों पर लड़ रही भाजपा!

कांग्रेस के मुद्दों पर लड़ रही भाजपा!

भाजपा का पूरा चुनाव प्रचार ही बदल गया है। भाजपा अब तक जिन मुद्दों पर प्रचार कर रही थी वो सारे मुद्दे हाशिए में चले गए हैं। उनकी जगह...
केंद्र और राज्यों में इतने झगड़े!

केंद्र और राज्यों में इतने झगड़े!

केंद्र में बहुत मजबूत सरकार होती है तो राज्यों के साथ विवाद बढ़ता है क्योंकि तब केंद्र की प्रवृत्ति किसी न किसी तरह से राज्यों को नियंत्रित करने की...
मोदी का वह अंहकार और अब?

मोदी का वह अंहकार और अब?

सवाल है कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि भाजपा के शीर्ष नेताओं को यह चिंता सताने लगी कि कांग्रेस सत्ता में आ गई तो क्या कर देगी?
विचारधारा की लड़ाई कहां है?

विचारधारा की लड़ाई कहां है?

विचारधारा के स्तर पर लड़ाई की बात में भी सिर्फ आंशिक सचाई है। असल में पिछले कुछ बरसों में पहली बार दक्षिणपंथी राजनीति मुख्यधारा के तौर पर स्थापित हुई...
संवेदनशील मुद्दों को चुनाव से दूर रखें

संवेदनशील मुद्दों को चुनाव से दूर रखें

देश के आदिवासी और अनुसूचित जाति समूहों की खान-पान की संस्कृति के बारे में भी जानना चाहिए और चुनावी लाभ हानि के लिए ऐसी संवेदनशील मुद्दों को राजनीति में...
इस चुनाव को इस तरह समझे!

इस चुनाव को इस तरह समझे!

यह स्थापित किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले कोई नहीं है। यह सवाल पूछा जा रहा है कि मोदी को वोट नहीं दें तो किसको...
भाजपा का घोषणापत्र और वापसी का भरोसा

भाजपा का घोषणापत्र और वापसी का भरोसा

भाजपा का 78 पन्नों का घोषणापत्र देख कर कहा जा सकता है कि यह बहुत सीधा सपाट एक दस्तावेज है, जिसमें राजनीति कम और सरकारी कामकाज की झलक ज्यादा...
ज्यादा जान कर क्या करेंगे मतदाता?

ज्यादा जान कर क्या करेंगे मतदाता?

हलफनामा देकर जानकारी देने की व्यवस्था के साथ साथ अगर पार्टियां भी उम्मीदवार के गुण दोष को महत्व देना शुरू करें तभी संसद और विधानसभाओं की तस्वीर में कुछ...
एक बार में क्यों नहीं मानते अदालत की बात?

एक बार में क्यों नहीं मानते अदालत की बात?

जब तक अदालत कई बार नहीं कहे तब तक या तो समय मांगते रहे, उस पर अमल टालते रहो या सीधे सीधे अनदेखी कर दो? 
किसी बहाने सही घोषणापत्र की चर्चा तो हुई

किसी बहाने सही घोषणापत्र की चर्चा तो हुई

नेताओं तक को पता नहीं होता है कि उनकी पार्टी का घोषणापत्र तैयार करने वाली समिति ने उसमें क्या क्या लिखा है या क्या क्या ऊंचे वादे किए हैं।
धारणा और लोकप्रियता दोनों गवां रहे केजरीवाल

धारणा और लोकप्रियता दोनों गवां रहे केजरीवाल

अगर बारीकी से देखें तो समझ में आता है कि उनकी लोकप्रियता मुफ्त बिजली और पानी की वजह से है।
संविधान बदलने का इतना हल्ला क्यों मचा है?

संविधान बदलने का इतना हल्ला क्यों मचा है?

इस मसले पर भाजपा क्यों बैकफुट पर आती है? क्या उसके मन में कोई चोर है, जिसकी वजह से वह घबरा जाती है और सफाई देने लगती है?
चुनाव आयोग व सरकार दोनों की अब साख का सवाल

चुनाव आयोग व सरकार दोनों की अब साख का सवाल

इस बार चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई और विपक्ष के शोर मचाने की वजह से दुनिया का ध्यान भारत के चुनाव की ओर...
दलबदल के दलदल में राजनीति

दलबदल के दलदल में राजनीति

ऐसा नहीं है कि दलबदल पहले नहीं होता था लेकिन पहले कभी इतने सांस्थायिक रूप से दलबदल देखने को नहीं मिली।
देर से ही सही पर साथ आया विपक्ष

देर से ही सही पर साथ आया विपक्ष

सवाल है कि क्या देश के लोग मान रहे हैं कि भारत में तानाशाही आ गई है और लोकतंत्र खतरे में है? और क्या वे इसे बचाने के लिए...
संपूर्ण प्रभुत्व के लिए भाजपा की राजनीति

संपूर्ण प्रभुत्व के लिए भाजपा की राजनीति

भारतीय जनता पार्टी इस बार अखिल भारतीय राजनीति कर रही है। वह सिर्फ उत्तर भारत या पश्चिम और पूरब के अपने असर वाले इलाकों तक ही सीमित नहीं दिख...
विपक्ष क्यों नाकाम हो रहा है

विपक्ष क्यों नाकाम हो रहा है

विपक्ष एक भी मौके का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। क्या विपक्षी पार्टियां इस उम्मीद में हैं कि अपने आप लोगों को सारी जानकारी मिल रही है और...
आखिर क्यों केजरीवाल गिरफ्तार हुए?

आखिर क्यों केजरीवाल गिरफ्तार हुए?

केजरीवाल की गिरफ्तारी का कारण वह नहीं है, जो दिख रहा है, बल्कि कुछ और है। मुख्य रूप से इसके तीन कारण समझ में आते हैं।
भाजपा की असली लड़ाई प्रादेशिक पार्टियों से

भाजपा की असली लड़ाई प्रादेशिक पार्टियों से

प्रादेशिक पार्टियों के साथ विधानसभा चुनाव की लड़ाई में भाजपा कमजोर पड़ती है लेकिन लोकसभा में वह उनको मात दे देती है।
बॉन्ड और ईवीएम पर विपक्ष का दोहरा रवैया

बॉन्ड और ईवीएम पर विपक्ष का दोहरा रवैया

ईवीएम से चुनाव भी लड़ते रहे। जीत गए तो चुप हो गए और हारे तो ईवीएम पर दोष मढ़ दिया।
ऐसे कराएंगे एक साथ चुनाव!

ऐसे कराएंगे एक साथ चुनाव!

पार्टियां तो चाहती थीं कि एक साथ चुनाव हो लेकिन अर्धसैनिक बलों की तैनाती और दूसरे सुरक्षा सरोकारों की वजह से इसे टाल दिया गया। One Nation one election
चुनावी बॉन्ड से आगे क्या रास्ता?

चुनावी बॉन्ड से आगे क्या रास्ता?

चुनावी चंदे को साफ-सुथरा बनाने और राजनीति में काले धन का प्रवाह रोकने के घोषित उद्देश्य से लाया गया यह कानून अपने उद्देश्य में पूरी तरह से असफल रहा...
भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां

भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां

यह नहीं कहा जा सकता है कि इसी चुनाव में भाजपा जीत जाएगी या बड़ी पार्टी हो जाएगी लेकिन यह तय है कि दक्कन के पठार उसके लिए बहुत...
क्या सैनी से भाजपा के हित सधेगें?

क्या सैनी से भाजपा के हित सधेगें?

क्या राजनीति सचमुच इस तरह एकरेखीय और इतनी ही सरल होती है कि चुनाव से पहले एक चेहरा बदल देने से पूरी राजनीति बदल जाएगी? Nayab singh saini
इस समय भला क्यों सीएए?

इस समय भला क्यों सीएए?

दुनिया के किसी भी देश में अगर हिंदू धर्म, राजनीति या वहां की सामाजिक व्यवस्था की वजह से प्रताड़ित होते हैं तो उनके लिए निश्चित रूप से भारत में...
भाजपा और कांग्रेस गठबंधन का अंतर

भाजपा और कांग्रेस गठबंधन का अंतर

भाजपा का गठबंधन उसकी शर्तों पर हो रहा है, जबकि कांग्रेस सहयोगी पार्टियों की शर्तों पर गठबंधन कर रही है। Lok Sabha election 2024
विशेषाधिकार में घूस लेने की छूट नहीं

विशेषाधिकार में घूस लेने की छूट नहीं

सिर्फ रिश्वत लेकर वोट डालने के मामले पर विचार करने की बजाय सांसदों के आचरण, भाषण आदि पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए
एक साथ चुनाव,आम सहमति जरूरी

एक साथ चुनाव,आम सहमति जरूरी

मतदाताओं की व्यापक भागीदारी के बिना अगर सरकार अपनी मर्जी से एक देश, एक चुनाव के विचार को लागू करती है तो यह लोकतंत्र को कमजोर करने वाला होगा।...
चुनाव क्या सिर्फ औपचारिकता?

चुनाव क्या सिर्फ औपचारिकता?

तो क्या यह मान लिया जाए कि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे तय हैं और चुनाव एक औपचारिकता भर है? Lok sabha election 2024