Sunday

09-03-2025 Vol 19

अजीत द्विवेदी

रोहित शर्मा पर बेवजह विवाद

रोहित शर्मा पर बेवजह विवाद

rohit sharma : कप्तान रोहित शर्मा को लेकर बहस छिड़ी है। निकट अतीत में शायद ही कोई ऐसा खिलाड़ी होगा, जिसको लेकर इतनी बार बहस और विवाद हुए होंगे।
दोषी नेताओं पर स्थायी रोक का विवाद

दोषी नेताओं पर स्थायी रोक का विवाद

Ban On Convicted Leaders : इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में कुछ बड़े चुनाव सुधारों की जरुरत है। उनमें एक सुधार धनबल और बाहुबल के असर को...
परिसीमन का फॉर्मूला बनाना बड़ी चुनौती

परिसीमन का फॉर्मूला बनाना बड़ी चुनौती

Delimitation Formula : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार और भाजपा से लड़ने के लिए हिंदी और परिसीमन को माध्यम बनाया है।
कृपया हिंदी को खलनायक न बनाएं

कृपया हिंदी को खलनायक न बनाएं

नई शिक्षा नीति और त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर जो विवाद केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच छिड़ा है वह कोई भाषा और संस्कृति का विवाद नहीं है, बल्कि...
भाजपा ने क्या अमृत पा लिया?

भाजपा ने क्या अमृत पा लिया?

प्रयागराज में त्रिवेणी के संगम पर हुए पूर्णकुंभ, जिसे महाकुंभ कहा जा रहा है, से जो कुछ प्राप्त हुआ है उसकी अनेक प्रकार की व्याख्या हो रही है।
शेयर बाजार और आर्थिकी की हकीकत

शेयर बाजार और आर्थिकी की हकीकत

भारत के शेयर बाजार में अफरातफरी मची है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई और निफ्टी दोनों में लगातार गिरावट हो रही है।
विपक्षी गठबंधन में क्या कांग्रेस बाधक ?

विपक्षी गठबंधन में क्या कांग्रेस बाधक ?

वे यह बात भी भूल गए कि विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर ले आने और ‘इंडिया’ ब्लॉक का गठन करने में एक प्रादेशिक क्षत्रप नीतीश कुमार ने ही...
तो अब दिल्ली समस्यामुक्त होगा?

तो अब दिल्ली समस्यामुक्त होगा?

Delhi new cm : सत्ता विरोध का माहौल उसको राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों में भी नुकसान पहुंचा सकता है और राष्ट्रीय स्तर पर भी हानिकारक हो सकता है।
चुनाव आयोग में कुछ नहीं बदलेगा!

चुनाव आयोग में कुछ नहीं बदलेगा!

election commission : निकट अतीत में सबसे लंबे समय तक और सबसे ज्यादा विवादों में रहे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रिटायर हो गए हैं।
राहुल गांधी आखिर करना क्या चाहते?

राहुल गांधी आखिर करना क्या चाहते?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी संगठन के साथ क्या करना चाहते हैं यह समझना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है।
यात्री अपनी जान की रक्षा खुद करें!

यात्री अपनी जान की रक्षा खुद करें!

delhi railway station stampede : यात्रा करते समय हर व्यक्ति ने कहीं न कहीं यह लाइन पढ़ी होगी कि यात्री अपने सामान की सुरक्षा के जिम्मेदार खुद हैं।
राज्यों में भी ‘इंडिया’ ब्लॉक की जरुरत

राज्यों में भी ‘इंडिया’ ब्लॉक की जरुरत

‘इंडिया’ ब्लॉक का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए हुआ था और राज्यों के चुनाव में इसकी जरुरत नहीं है।
केजरीवाल की पांच रणनीतिक भूलें

केजरीवाल की पांच रणनीतिक भूलें

delhi election kejriwal : जैसे अरविंद केजरीवाल दिल्ली में विधानसभा का चुनाव क्यों हार गए और क्या किया होता तो नहीं हारते, यह बताने वाले असंख्य लोग हैं।
राज्यों की आर्थिक सेहत का बड़ा सवाल

राज्यों की आर्थिक सेहत का बड़ा सवाल

चुनावों में ‘मुफ्त की रेवड़ी’ बांटने के चलन को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने जनहित याचिका...
ओबीसी राजनीति और राहुल का अधूरा सच

ओबीसी राजनीति और राहुल का अधूरा सच

delhi election 2025: पिछड़ों और दलितों के अपने नेतृत्व की तलाश पूरी हो गई है। उनको किसी और की ओर देखने की जरुरत नहीं है।
बिहार से किस बात का बैर है?

बिहार से किस बात का बैर है?

अब बिहार के लोग केंद्र सरकार और भाजपा को डिफेंड करने में लगे हैं और कह रहे हैं कि ‘बिहार को उसका हक मिला है’ या ‘क्या हो गया,...
मजबूरी में मध्य वर्ग को रैवड़ी

मजबूरी में मध्य वर्ग को रैवड़ी

modi budget 2025: सरकार ने कोई नीतिगत बदलाव नहीं किया है। जिस आर्थिक सुधार की उम्मीद की जा रही थी वह कहीं नहीं दिखी है।
जनता के मुद्दों पर नहीं, रेवडियों पर चुनाव

जनता के मुद्दों पर नहीं, रेवडियों पर चुनाव

लोकतंत्र की अनेक परिभाषाओं में एक परिभाषा यह है कि, ‘इसमें जनता को अधिकतम भ्रम दिया जाता है और न्यूनतम अधिकार दिए जाते हैं’।
बजट से सबकी अपनी अपनी उम्मीदें

बजट से सबकी अपनी अपनी उम्मीदें

budget 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट एक फरवरी को पेश होगा।
लोगों की शोषक, नाकारा नियामक एजेंसियां

लोगों की शोषक, नाकारा नियामक एजेंसियां

भारत में जितनी नियामक एजेंसियां हैं, शायद दुनिया के किसी और देश में उतनी नहीं होंगी।
कांग्रेसी की दिल्ली चुनाव की दुविधा

कांग्रेसी की दिल्ली चुनाव की दुविधा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी दुविधा में दिख रही है। पार्टी ने जिस उत्साह और जोश के साथ चुनाव अभियान की शुरुआत की थी वह धीरे धीरे समाप्त...
राजनीतिक रूपकों को बदलने की जरुरत

राजनीतिक रूपकों को बदलने की जरुरत

राजनीति में हमेशा ऐसा होता है कि सेमीफाइनल हारने वाला भी फाइनल खेलता है और कई बार तो ऐसा भी होता है कि सेमीफाइनल हारने वाला फाइनल जीत जाता...
जन आंदोलनों का बंद होता रास्ता

जन आंदोलनों का बंद होता रास्ता

इतिहास के अंत की घोषणा की तरह क्या जन आंदोलनों के अंत की भी घोषणा की जा सकती है? कई लोग मानेंगे कि ऐसा कहना जल्दबाजी है या आधा...
महाकुंभ पर तो चुप रह सकते थे!

महाकुंभ पर तो चुप रह सकते थे!

क्या वे मान रहे हैं कि महाकुंभ में जो लोग डुबकी लगा रहे हैं वे भाजपा के मतदाता हैं और जितनी ज्यादा संख्या बताई जाएगी उतना ज्यादा फायदा भाजपा...
सब कुछ मुफ्त, बम्पर घोषणाएं!

सब कुछ मुफ्त, बम्पर घोषणाएं!

चुनाव जीतने के लिए मुफ्त में चीजें और सेवाएं बांटने की राजनीति की जड़ें और गहरी होती जा रही हैं। हर चुनाव के बाद पार्टियां कुछ नई चीज ला...
सेवा विस्तार और ‘मुफ्त की रेवड़ी’ पर चर्चा

सेवा विस्तार और ‘मुफ्त की रेवड़ी’ पर चर्चा

पिछले हफ्ते दो खबरें आईं, जिन पर मीडिया में ज्यादा चर्चा नहीं हुई। परंतु दोनों खबरें ऐसी हैं
सोशल मीडिया की राजनीतिक ताकत कितनी?

सोशल मीडिया की राजनीतिक ताकत कितनी?

दुनिया में और खास कर अमेरिका में तो प्रमाणित है कि सोशल मीडिया के दम पर चुनाव लड़ा और जीता जा सकता है।
चुनाव को लेकर विपक्ष की क्या योजना?

चुनाव को लेकर विपक्ष की क्या योजना?

अगर विपक्ष का आचरण ऐसा ही रहा तो वह आम मतदाताओं के मन में अपने प्रति कोई सहानुभूति पैदा नहीं कर पाएगा।
शोषण का विचार ही खतरनाक है

शोषण का विचार ही खतरनाक है

ग्रीस यानी यूनान के ‘एक्सीडेंटल वित्त मंत्री’ रहे यानिस वरौफाकिस ने पुरानी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को खत्म करके तकनीक की सामंतवादी व्यवस्था, जिसे उन्होंने ‘टेक्नोफ्यूडलिज्म’ नाम दिया है
बहुकोणीय लड़ाई और लोकतंत्र की चुनौती

बहुकोणीय लड़ाई और लोकतंत्र की चुनौती

भारत में बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाई गई है। तभी इस बात की शिकायत नहीं की जा सकती है कि बहुत सारी पार्टियां हर दिन बन रही हैं और चुनाव...
दिल्ली में क्या खत्म होगा भाजपा का इंतजार?

दिल्ली में क्या खत्म होगा भाजपा का इंतजार?

दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी तीन दशक से सत्ता में आने की प्रतीक्षा कर रही है। उसने 1993 में दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव जीता था और उसके बाद...
नेताओं का आचरण कैसे सुधरेगा?

नेताओं का आचरण कैसे सुधरेगा?

भाजपा में तो इस बात की होड़ मची है कि कौन सा नेता विपक्ष के नेताओं को कितनी बुरी तरह से जलील कर सकता है
किसान और छात्र आंदोलन की चुनौती

किसान और छात्र आंदोलन की चुनौती

नए साल की शुरुआत किसान और छात्रों के आंदोलन के साथ हुई है। पिछले साल फरवरी में पंजाब और हरियाणा के शंभू व खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने आंदोलन...
मजूबती के लिए क्या करेगी कांग्रेस?

मजूबती के लिए क्या करेगी कांग्रेस?

कांग्रेस को जनता से कनेक्ट और संवाद का पुराना तरीका विकसित करना होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बात शीर्ष नेताओं को सुननी होगी।
परिवारवाद कैसे समाप्त होगा?

परिवारवाद कैसे समाप्त होगा?

नए साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख लक्ष्य राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति दिलाने का होना चाहिए। उन्होंने बड़ी प्रतिबद्धता के साथ यह लक्ष्य तय किया है।
सदी की चौथाई तक का सफर

सदी की चौथाई तक का सफर

इक्कीसवीं सदी का 25वां साल शुरू हो गया। सबको बधाई! मंगल शुभकामनाएं! वर्ष 2025 समाप्त होगा तो यह सदी एक चौथाई गुजर चुकी होगी।
वर्ष 2024 का राजनीतिक सूत्र क्या है?

वर्ष 2024 का राजनीतिक सूत्र क्या है?

दुनिया भर में अंग्रेजी शब्दकोष के लिए वर्ष के शब्द चुने जाते हैं। जैसे ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ‘ब्रेन रॉट’ को वर्ष का शब्द चुना है।
दलित जागृति का लाभार्थी कौन होगा?

दलित जागृति का लाभार्थी कौन होगा?

उत्तर प्रदेश कांशीराम के प्रयोग की धरती थी, जहां मायावती के नेतृत्व में उनका प्रयोग सफल हुआ। परंतु यह सफलता ज्यादा समय तक कायम नहीं रह सकी।
दलित राजनीति का मंडल काल

दलित राजनीति का मंडल काल

जिस तरह से नब्बे के दशक में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद पिछड़ी जातियों की राजनीतिक चेतना का उफान आया था और देश की पूरी राजनीति...
विपक्ष को मानों जीत का मंत्र मिला हो?

विपक्ष को मानों जीत का मंत्र मिला हो?

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पूरे देश में इस मुद्दे पर जन आंदोलन शुरू करने के ऐलान किया है।
ताकतवर जातियों का सियासी समय खत्म!

ताकतवर जातियों का सियासी समय खत्म!

भारत की राजनीति का सिर्फ ऊपरी आवरण नहीं बदल रहा है, बल्कि वह अंदर से बदल रही है।
एक साथ चुनाव से पहले सुधारों की जरुरत

एक साथ चुनाव से पहले सुधारों की जरुरत

चुनाव आयोग यह जरूर कहता है कि वह पूरे देश का चुनाव एक साथ कराने में सक्षम है और तैयार है। यह अलग बात है कि चार राज्यों के...
‘एक देश, दो चुनाव’ ज्यादा बेहतर विकल्प है

‘एक देश, दो चुनाव’ ज्यादा बेहतर विकल्प है

देश में हर साल चुनाव हो या हर छह महीने पर चुनाव हो यह सचमुच अच्छी बात नहीं है।
कांग्रेस को पंचर तृणमूल, सपा को क्या मिला?

कांग्रेस को पंचर तृणमूल, सपा को क्या मिला?

संसद का शीतकालीन सत्र कई मायने में बहुत दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम वाला रहा है।
संविधान के 75 साल का क्या हासिल?

संविधान के 75 साल का क्या हासिल?

भारत के संविधान का 75 साल का क्या वही हासिल है, जो लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों ने बताया है
ब्याज दर में कटौती समाधान नहीं है

ब्याज दर में कटौती समाधान नहीं है

भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कामकाज संभाल लिया है। उनको भी उसी तरह वित्त मंत्रालय का अनुभव है, जैसे उनके पूर्ववर्ती शक्तिकांत दास को था।
केजरीवाल अब लहर पर सवार नहीं हैं

केजरीवाल अब लहर पर सवार नहीं हैं

दिल्ली का इस बार का चुनाव पिछले तीन चुनावों से अलग होने जा रहा है।
नेता विपक्ष ‘गद्दार’ और अमेरिका दुश्मन!

नेता विपक्ष ‘गद्दार’ और अमेरिका दुश्मन!

संसद के शीतकालीन सत्र में हर दिन राजनीति का नया रंग देखने को मिल रहा है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने किसी हाल में अडानी का मुद्दा नहीं छोड़ने...