Monday

10-03-2025 Vol 19

बेबाक विचार

Main Stories, बेबाक विचार, editorial news from india’s best writer and journalists.

बिहार में जात जोड़ो और भारत तोड़ो

बिहार में जात जोड़ो और भारत तोड़ो

मुख्यमंत्री नीतीशकुमार ने बिहार में उस भारत-तोड़ू जन-गणना को फिर से शुरु करवा दिया है।
भारत का टर्निंग वर्ष है 2023

भारत का टर्निंग वर्ष है 2023

हां, सन् 2023 के अप्रैल महीने से भारत दुनिया में नंबर एक होगा। पृथ्वी का वह देश, जिसकी सर्वाधिक आबादी।
140-170 करोड़ लोगों में कमाने वाले और खाने वाले!

140-170 करोड़ लोगों में कमाने वाले और खाने वाले!

भारत में पिछले पच्चीस वर्षों में नौजवान आबादी तेजी से बढ़ी है। अगले चालीस सालों में और बढ़ेगी। मतलब काम कर सकने की उम्र की वर्कफोर्स का बढ़ना!
बेरोजगार नौजवानों से बरबादी के खतरे!

बेरोजगार नौजवानों से बरबादी के खतरे!

ध्यान नहीं आ रहा है कि आबादी से जुड़े आंकड़ों के अलावा भारत किसी और मामले में दुनिया में नंबर एक है। भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी है,...
शिक्षा में विदेशी दखल: इसके खतरे भी हैं ?

शिक्षा में विदेशी दखल: इसके खतरे भी हैं ?

विश्व विद्यालय अनुदान आयोग ने एक जबर्दस्त नई पहल की है। उसने दुनिया के 500 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए हैं। वे अब भारत में...
यूरोप का असमंजस

यूरोप का असमंजस

चीन को दंडित करने का जब कभी मौका सामने आए, यूरोप में उत्साह दौड़ उठता है। लेकिन जब उसके आर्थिक परिणामों पर ध्यान जाता है, तो यूरोपीय देशों का...
यूएनः सवाल और भी हैं

यूएनः सवाल और भी हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा ढांचे पर वाजिब सवाल उठाए हैं। उनकी इस बात से शायद ही कोई असहमत होगा कि यह ढांचा वर्तमान विश्व...
नेताओं पर कैसे लगाम लगाएंगी पार्टियां!

नेताओं पर कैसे लगाम लगाएंगी पार्टियां!

यह सुप्रीम कोर्ट की सदिच्छा है, जो उसने कहा कि नेताओं, सांसदों, विधायकों या मंत्रियों के बेतुके बयानों पर रोक लगाने का काम पार्टियों को खुद करना चाहिए।
अंग्रेजी गुड़क रही अब नीचे

अंग्रेजी गुड़क रही अब नीचे

देश का राज-काज, संसद का कानून, अदालतों के फैसलों और ऊँची नौकरियों में अंग्रेजी का वर्चस्व बना हुआ है।
विपक्षी स्वरों को जोड़ना

विपक्षी स्वरों को जोड़ना

भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले यह सवाल उठा कि क्या राहुल गांधी का यह प्रयास विपक्षी दलों को एक साथ लाने में कामयाब...
ये रहस्यमय मौतें!

ये रहस्यमय मौतें!

ओडिशा में एक के बाद एक तीन रूसी नागरिकों की मौत की खबर रहस्यमय है। अगर आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी को मानें, तो यह महज एक संयोग...
चुनाव हैं पर उनसे 2024 तय नहीं होगा

चुनाव हैं पर उनसे 2024 तय नहीं होगा

वैसे तो भारत में हर साल चुनाव होते हैं लेकिन 2023 का साल इस मायने में अलग है क्योंकि इस साल जितने चुनाव हैं उतने किसी एक साल में...
नेताओं की बदजुबानी कैसे रूके?

नेताओं की बदजुबानी कैसे रूके?

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया है कि कोई मंत्री यदि आपत्तिजनक बयान दे दे तो क्या उसके लिए उसकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सकता...
नोटबंदी पर अपेक्षित फैसला

नोटबंदी पर अपेक्षित फैसला

इस निर्णय से विपक्षी समूहों को यह सबक लेना चाहिए कि हर चीज को न्यायपालिका के दायरे में ले जाना सही रणनीति नहीं है।
आर्थिक तर्क के अनुरूप

आर्थिक तर्क के अनुरूप

एक अमेरिकी अखबार के विश्लेषण के मुताबिक बीते साल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने की अमेरिकी रणनीति एशिया में कामयाब नहीं हुई।
माफी तो फिर भी सरकार को ही मांगनी चाहिए!

माफी तो फिर भी सरकार को ही मांगनी चाहिए!

सर्वोच्च अदालत ने बहुमत के फैसले में कहा है कि नोटबंदी का फैसला करने की प्रक्रिया सही थी। हालांकि उसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
नोटबंदीः मोदी को माफी क्यों मिली?

नोटबंदीः मोदी को माफी क्यों मिली?

किसी भी जज ने असली मुद्दे पर अपनी कोई राय जाहिर नहीं की है। असली मुद्दा क्या है? वह यह है कि क्या नोटबंदी करना ठीक था?
अब यूक्रेन युद्ध किधर?

अब यूक्रेन युद्ध किधर?

यूक्रेन में रूस की विशेष सैनिक कार्रवाई पिछले साल की सबसे चर्चित अंतरराष्ट्रीय घटना रही। उसके प्रभाव लंबे समय तक दुनिया में देखने को मिलेंगे।
काल्पनिक भेड़िये का भय?

काल्पनिक भेड़िये का भय?

कोरोना संक्रमण की नई लहर को लेकर भारत में बनाभय, इस बात की ही मिसाल है कि देश में मेडिकल हालात के राजनीतिक दुरुपयोग की प्रवृत्ति किस हद तक...
2024 की प्रतीक्षा और तैयारियों का वर्ष

2024 की प्रतीक्षा और तैयारियों का वर्ष

अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले 2023 का साल उस चुनाव की तैयारियों और उसकी प्रतीक्षा का साल होगा।
जैन-तीर्थ की पवित्रताः चिंता?

जैन-तीर्थ की पवित्रताः चिंता?

झारखंड के गिरीडीह जिले में सम्मेद शिखर नामक एक जैन तीर्थ स्थल है। एक दृष्टि से यह संसार के संपूर्ण जैन समाज का अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
हीरा बा को ममता की श्रद्धांजलि

हीरा बा को ममता की श्रद्धांजलि

क्या हमारे विरोधी दलों के नेता, जहाँ तक मोदी का सवाल है, वे किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से भी ज्यादा खफा हैं?
आप का समय शुरू होता है, अब!

आप का समय शुरू होता है, अब!

2023 के गर्भ से 2024 का जन्म होगा। 2023 के प्रसव-काल में जैसी देखभाल हम कर पाएंगे, जैसा खानपान हम दे पाएंगे, वैसी ही संतान 2024 की गोद में...
कितना रोए? किस-किस पर रोइए?

कितना रोए? किस-किस पर रोइए?

लिखना मेरा कर्म, धर्म और आदत है। मेरा यह शगल 1976 से है। तभी कोई 45 वर्षांत और नव वर्ष! मैं साल-दर-साल देश-दुनिया की समीक्षा में कलम घसीटता आया...
वह मजेदार दिल्ली तब… और अब?

वह मजेदार दिल्ली तब… और अब?

मैं साल पचहत्तर में दिल्ली आया। उसके पांच-आठ साल बाद नरेंद्र मोदी दिल्ली आए होंगे। वे 11, अशोक रोड के पार्टी दफ्तर के पिछवाड़े में रहते छे।
किस किस का जिक्र कीजिए?

किस किस का जिक्र कीजिए?

यह सिर्फ वर्ष 2022 की बात नहीं है, हर साल की बात है। भारत वह देश है जिसे  किसी बात से फर्क नहीं पड़ता।
वोट और इलाजः दो सुंदर पहल

वोट और इलाजः दो सुंदर पहल

देश में शिक्षा और चिकित्सा सर्वसुलभ हो, इसके लिए जरुरी है कि ये दोनों लगभग मुफ्त हों।
रोइए जार जार क्या, कीजिए हाय हाय क्यों

रोइए जार जार क्या, कीजिए हाय हाय क्यों

देश के 81 करोड़ लोग इस बात से संतुष्ट और खुश हैं कि उनको पांच किलो अनाज मुफ्त में मिल रहा है और आगे भी मिलता रहेगा।
की फर्क पैंदा!

की फर्क पैंदा!

कोई 42 करोड़ लोग भारत में फेसबुक इस्तेमाल करते हैं। ट्विटर, गूगल और यूट्यूब का इस्तेमाल करने वाले भी करोड़ों में हैं।
भले न माने, सबकुछ खत्म होता हुआ!

भले न माने, सबकुछ खत्म होता हुआ!

ऐसे ही सन् 2022 के भारत में कला और संस्कृति में ऐसा क्या है, जिसे देख कर दुनिया वाह करे? क्या कोई नया एमएफ हुसैन या सैयद हैदर रजा...
घाटी, श्रीनगर में बहुत कुछ आगे बढ़ता हुआ!

घाटी, श्रीनगर में बहुत कुछ आगे बढ़ता हुआ!

उपराज्यपाल मनोज सिंहा ने भूमि सम्बन्धी कानूनों को बदलना शुरू कर दिया है और मंदिरों को उनकी ज़मीनों पर कब्ज़ा दिलाने और मंदिरों का पुनर्निर्माण करने के लिए टीमों...
पुतिन कितना ही दहाड़े, रूस पर मुसीबते!

पुतिन कितना ही दहाड़े, रूस पर मुसीबते!

गत 30 सितंबर को व्लादिमीर पुतिन शेर के मानिंद दहाड़े। उनकी दहाड़ पश्चिमी देशों, यूक्रेन और पूरी दुनिया के लिए तो थी ही, वह सबसे ज्यादा रूस के लोगों...
इतिहास था सुनहरा और वर्तमान व भविष्य है काला

इतिहास था सुनहरा और वर्तमान व भविष्य है काला

ईरान में आज महिलाएं आजादी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी हुई है। इसका दुनिया में जबरदस्त हल्ला है, कवरेज है।
‘वे’ और ‘हम’ में बदला उदयपुर!

‘वे’ और ‘हम’ में बदला उदयपुर!

मौसम मानसूनी था। काले बादल गरज रहे थे। शहर खाली था, शटर गिरे हुए थे और सड़क पर एक शख्स भी नहीं।