Saturday

29-03-2025 Vol 19

लेख स्तम्भ

किसान करें भी तो क्या?

किसान करें भी तो क्या?

कहा जा सकता है कि ये तमाम मांगें चिरंतन किस्म की हैं क्योंकि किसानों की समस्याएं भी चिरंतन ही हैं, इस हाल में सड़क पर उतरना ही किसानों को...
उथल-पुथल का नया दौर

उथल-पुथल का नया दौर

श्रीलंका में आईएमएफ का नुस्खा अब एक बड़ी उथल-पुथल वजह बन रहा है, ट्रेड यूनियनों ने मंगलवार आधी रात से सारे देश को ठप कर दिया है।
सामान्य समझ से बाहर

सामान्य समझ से बाहर

भारतीय चिंतन परंपरा की विदेशियों को जानकारी दी जाए, यह एक अच्छा मकसद है, लेकिन तालिबान से यह अपेक्षा रखना कि वे परंपरागत भारतीय संस्कृति के मुरीद हो जाएंगे,...
वैदिक अंकल

वैदिक अंकल

समय कई बार अपनी निर्मम और नितांत अनापेक्षित मार से हमें भौचक्का कर देता है। समझ ही नहीं आता कि…
अब विश्व मंच पर

अब विश्व मंच पर

जिस चीज के लिए बॉलीवुड तरसता रहा है, वह विश्व मंच पर गुणवत्ता के लिहाज से सराहना और सम्मान है। संभवतः इनके लिए इसे अभी और इंतजार करना होगा।
यह कैसा लोकतंत्र है?

यह कैसा लोकतंत्र है?

भारतीय जनता पार्टी को अतीत में कही अपनी ही यह अवश्य याद रखनी चाहिए कि देश के मतदाताओं ने सरकार और संसद को चलाने की जिम्मेदारी उसके कंधों पर...
मृत्युदंड और अहम सवाल

मृत्युदंड और अहम सवाल

पिछले महीने में उत्तर प्रदेश की एक विशेष अदालत ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के मॉड्यूल को संचालित करने के आरोप में सात लोगों को मौत की सजा सुनाई।
समीकरण पलट गए हैं

समीकरण पलट गए हैं

चीन की मध्यस्थता में सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता हो जाने से अमेरिका के रणनीतिक हलके हतप्रभ हैँ।
मृत्युशैय्या पर लोकतंत्र, हम खुद जिम्मेवार!

मृत्युशैय्या पर लोकतंत्र, हम खुद जिम्मेवार!

एक साबित हुई बात है कि लोकतंत्र एक दिन में नहीं मरता। बल्कि उसे व्यस्वथित और योजनाबद्ध ढंग और जानते-बूझते मारा जाता है।
कितना कसेगा शिकंजा?

कितना कसेगा शिकंजा?

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे पोंजी स्कीम के समान हैं। लेकिन सरकार ने यह सलाह नहीं मानी है।
बड़े संकट की शुरुआत

बड़े संकट की शुरुआत

अमेरिका की विनियामक संस्था का सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) को बंद कर देने के फैसले से पूरी दुनिया के वित्तीय बाजारों को गहरा झटका लगा है।
चीन की बढ़ती चिंताएं

चीन की बढ़ती चिंताएं

चीन की 5-जी कंपनियों के कुछ हिस्सों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी हो रही है।
अफवाहों पर टिकी सियासत

अफवाहों पर टिकी सियासत

तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले की अफवाह को लेकर जैसी सियासत गरमाई, वह आज के भारत का आईना है।
बदहाली की गहरी जड़ें

बदहाली की गहरी जड़ें

पाकिस्तान बदहाल है। डिफॉल्टर होने से वह कब तक बच पाएगा, यह कहना लगातार कठिन बना हुआ है।
चेतावनी में दम है

चेतावनी में दम है

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आगाह किया है कि भारत के फिर से ‘हिंदू रेट और ग्रोथ’ में फंस जाने का अंदेशा है।
जहां मोटापा है समस्या

जहां मोटापा है समस्या

जिस समय दुनिया में बढ़ती गरीबी और कुपोषण की चर्चा है, उसके बीच अचानक मोटापे की समस्या पर बात होने लगे, तो यह बहुत से लोगों को अजीब-सा लगेगा।
अभी भी सांस ले सकती है जी नहीं सकती!

अभी भी सांस ले सकती है जी नहीं सकती!

हे दुनिया की महिलाओं, क्या हमने एक लंबी और कठिन यात्रा तय कर ली है? क्या हमने अपनी मंजिल पा ली है? आसान शब्दों में, क्या हम खुश हैं?
विपक्षी एकता की मरीचिका

विपक्षी एकता की मरीचिका

देश में बुद्धिजीवियों के एक हिस्से में मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के राज से मुक्त होने एक बेसब्री है।
सब ताकत का खेल

सब ताकत का खेल

अब तक दुनिया में समझौतों से एकतरफा ढंग से हटना पश्चिमी देशों (खास कर अमेरिका) का विशेषाधिकार समझा जाता था।
नई दुनिया की हकीकत

नई दुनिया की हकीकत

नई दिल्ली में गुजरे हफ्ते हुई कूटनीतिक घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि गुजरे दौर में बने मंच अप्रासंगिक हो रहे हैं। जबकि नए दौर में बने मंचों...
दो पाटन के बीच में…

दो पाटन के बीच में…

पाकिस्तान सरकार के लिए यह समझना टेढ़ी खीर हो गया है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) उसे 6.5 बिलियन डॉलर के मंजूर कर्ज की किस्तें जारी क्यों नहीं कर...
टूटते सपने, बिखरती आशाएं

टूटते सपने, बिखरती आशाएं

भारत के लिए जी-20 की बैठकों का आयोजन गौरव की बात है, अवसरों की दस्तक है तो जबरदस्त रस्साकशी में उलझना भी है।
उत्तर-पूर्व का संदेश

उत्तर-पूर्व का संदेश

उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों से एक बार फिर भारतीय राजनीति के बदले संदर्भ बिंदु की पुष्टि हुई है।
खतरे में जैव विविधता

खतरे में जैव विविधता

जैव विविधता खतरे में है, यह कोई नई जानकारी नहीं है। लेकिन इस बारे में आने वाली हर नई जानकारी चिंता बढ़ाती है, तो इसलिए कि इसका असर मनुष्य...
अब तो खुला खेल है

अब तो खुला खेल है

प्रसार भारती ने अपने सूचना स्रोत के लिए हिंदुस्थान समाचार नाम की एजेंसी का चयन किया, इसे सूचना स्रोतों को विविध बनाने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में...
कारोबारी करार की तलाश

कारोबारी करार की तलाश

यह साफ है कि जर्मनी के चांसलर ओलोफ शोल्ज भारत में सौदों की तलाश में आए थे।
कानूनी या सियासी कार्रवाई?

कानूनी या सियासी कार्रवाई?

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। इससे देश में तनाव और ध्रुवीकरण का माहौल लगातार तीखा हो रहा है।
दुनिया में बढ़ती दूरियां

दुनिया में बढ़ती दूरियां

पश्चिम ने रूस को अलग-थलग करना चाहा, लेकिन नाकाम रहा। दुनिया के हर देश ने यूक्रेन युद्ध पर क्या रुख लिया, इसका विवरण इसमें दिया गया।
इरादों के दस्तावेज

इरादों के दस्तावेज

कांग्रेस पार्टी ने अपने रायपुर महाधिवेशन में “देश को वर्तमान पीड़ा और अंधकार से मुक्त” कराने का संकल्प जताया।
यह कैसे संभव है?

यह कैसे संभव है?

‘वारिस पंजाब दे’ नाम के संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अपनी उग्र गतिविधियों और बयानों से जरनैल सिंह भिंडरावाले की याद दिला दी है।
यह कैसे संभव है?

यह कैसे संभव है?

पंजाब में एक व्यक्ति खुलेआम खालिस्तान की वकालत करे, उसके एक साथी को रिहा कराने के लिए उसके सैकड़ों समर्थक अमृतसर में एक थाने पर धावा बोल दें
लोकगीत से सरकार का डरना!

लोकगीत से सरकार का डरना!

नेहा को नोटिस इस बात का प्रमाण है कि सरकारी नैरेटिव से अलग कोई बात समाज में जाए, यह सरकार को मंजूर नहीं है।
चीन की पहलकदमियां

चीन की पहलकदमियां

पिछले साल अप्रैल में चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने वैश्विक विकास पहल की धारणा पेश की थी।
खतरा गहराने का संकेत

खतरा गहराने का संकेत

सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस में अमेरिका की तर्ज पर स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन की शुरुआत की गई थी।
चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी!

चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी!

अडानी प्रकरण में जब से राहुल गांधी के पूछे सवालों को संसद की कार्यवाही से हटाया गया
ब्रिटेन की ये बदहाली

ब्रिटेन की ये बदहाली

यह सुनना आश्चर्यजनक लगता है कि जिस देश के साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था, वहां के लोग आज दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहे हैँ।
बस अच्छा-अच्छा देखो!

बस अच्छा-अच्छा देखो!

भारतीय मीडिया के एक हिस्से ने जिस तरह इंटरव्यू में से भारतीय अर्थव्यवस्था की सकारात्मक छवि निकालने की कोशिश की है
निष्पक्षता पर गहराते प्रश्न

निष्पक्षता पर गहराते प्रश्न

जबकि लोकतंत्र का टिकना न्याय में भरोसे के आम सिद्धांत पर आधारित है। यह भरोसा कमजोर पड़ता दिख रहा है।
गृह युद्ध का रास्ता

गृह युद्ध का रास्ता

म्यांमार में पहले से गृह युद्ध जैसी स्थितियां हैं। अब ऐसा लगता है कि वहां सैनिक शासकों ने इसे भड़काने की राह चुनी है।
बदहाली का फैलता दायरा

बदहाली का फैलता दायरा

इस खबर की खास चर्चा हुई है कि कैसे बीते पांच साल में भारत के 72 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम कारोबारियों की आमदनी बिल्कुल नहीं बढ़ी है।
इतनी नज़ाकत ठीक नहीं

इतनी नज़ाकत ठीक नहीं

अडानी प्रकरण के भारत की राजनीति पर संभावित परिणाम के बारे में सोरस ने जो कहा, वह विशुद्ध रूप से उनकी अपनी राय है, जिससे असहमत हुआ जा सकता...
उठी आवाजें महत्त्वपूर्ण हैं

उठी आवाजें महत्त्वपूर्ण हैं

प्रेस फ्रीडम के बारे में जब अगली इंडेक्स रिपोर्ट आएगी, तब भारत सरकार उसे फिर चुनौती देगी, यह अनुमान लगाया जा सकता है।
ये स्लोडाउन के संकेत हैं

ये स्लोडाउन के संकेत हैं

इस वर्ष जनवरी में भारत का निर्यात गिरा और आयात उससे भी ज्यादा गिरा। नतीजा यह हुआ कि व्यापार घाटा उसके पहले के महीने की तुलना में कम हो...
बदहाली का यह आलम

बदहाली का यह आलम

अफसोस सिर्फ यह है कि यह दुर्दशा फिलहाल राष्ट्रीय चर्चा के एजेंडे पर कहीं नजर नहीं आती।
उनसे उम्मीद ना रखें

उनसे उम्मीद ना रखें

एयर इंडिया, बोइंग और एयरबस तीनों प्राइवेट कंपनियां हैं। एयर इंडिया ने विमान खरीदने का सौदा अमेरिका की बोइंग और फ्रांस की एयरबस से किया है।
सतर्क होने की जरूरत

सतर्क होने की जरूरत

कोरोना महामारी अपने पीछे कुछ समस्याएं ऐसी छोड़ गई है, जिसके परिणाम लोगों को लंबे समय तक भुगतने पड़ सकते हैँ
एतराज की बात तो है

एतराज की बात तो है

जस्टिस एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाए जाना बेनजीर घटना तो नहीं है, फिर भी उस पर जताए जा रहे एतराज का संदर्भ है।
जब निशाने पर गुब्बारे हों!

जब निशाने पर गुब्बारे हों!

यह तो साफ है कि अमेरिकी वायु क्षेत्र में चीनी गुब्बारे के प्रवेश ने दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ा दिया है।