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10-03-2025 Vol 19

संपादकीय

editorial article in hindi

 

प्रतिबंध तेरे रूप अनेक!

प्रतिबंध तेरे रूप अनेक!

सत्ता पक्ष को डॉक्यूमेंटरी से संबंधित अपनी मौजूदा रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।
देसी दवाएः वाजिब सवाल

देसी दवाएः वाजिब सवाल

कोरोना वायरस के खिलाफ एक अभियान के रूप में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पारंपरिक चीनी चिकित्सा को बढ़ावा दिया है।
रोजगार पर गहरी मार

रोजगार पर गहरी मार

यह खबर सचमुच परेशान करने वाली है कि अमेरिका में बड़ी टेक कंपनियों में जा रही नौकरियों का सबसे बड़ा शिकार वहां रहने वाले भारतीय हुए हैँ।
आर-पार की जंग?

आर-पार की जंग?

ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जजों की नियुक्ति के मामले में न्यायपालिका की स्वायत्तता को लेकर आर-पार की जंग छेड़ रखी है।
तो कैसे होगा मुक्त व्यापार?

तो कैसे होगा मुक्त व्यापार?

बेडेनोच पिछले महीने भारत आई थीं और यहां मुक्त व्यापार समझौते को लेकर उनकी वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत हुई थी।
पाकिस्तान की बदहाली

पाकिस्तान की बदहाली

कपड़ा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के मुताबिक ये कारोबार बंद होने के कगार पर है। इस कारण हजारों की संख्या में कर्मचारी निकाले जा रहे हैं।
उठे सवाल जायज हैं

उठे सवाल जायज हैं

बीबीसी ने 2002 के गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि में नरेद्र मोदी के राजनीतिक जीवन पर अभी डॉक्यूमेंटरी क्यों बनाई, यह सवाल जायज है।
जलवायु परिवर्तन की मार

जलवायु परिवर्तन की मार

जलवायु परिवर्तन का असर अब दुनिया पर इतनी तेजी से दिखने लगा है कि ऐसी आपदाएं अब आम खबर जैसी हो गई हैं।
ये कैसा डेमोग्राफिक डिविडेंड?

ये कैसा डेमोग्राफिक डिविडेंड?

यह आम निष्कर्ष रहा कि आधे से ज्यादा बच्चे अपनी क्लास से दो क्लास नीचे के टेक्स्ट ठीक से नहीं पढ़ पाते।
सद्भावना का बुलबुला

सद्भावना का बुलबुला

अचानक यथार्थ से परिचित कोई नेता सद्भावना भरी बातें कह डालता है, लेकिन उसकी भावनाएं क्षणिक बुलबुला ही साबित होती हैं।
विज्ञान की बड़ी सफलता

विज्ञान की बड़ी सफलता

भारत में हर साल सैकड़ों लोग बिजली गिरने से मर जाते हैं। पिछले साल आई खबरों के मुताबिक इस कारण नौ सौ से अधिक मौतें हुईं।
कोई राह निकलेगी?

कोई राह निकलेगी?

स्विट्जरलैंड के दावोस में हर साल होने वाला 'वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम' एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है, जिसकी चर्चाएं अक्सर सुर्खियों में रहती हैं।
ये सीधा प्रहार है

ये सीधा प्रहार है

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजुजू का कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधि की भागीदारी के लिए सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखना न्यायिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार माना जाएगा।
इसका उपाय क्या है?

इसका उपाय क्या है?

सवाल यह चर्चित रहा है कि जिस समय सीमा पर तनाव बढ़ता चला गया है, उस समय आखिर व्यापार संबंध और प्रगाढ़ होने को कैसे स्वीकार किया जा सकता...
अब प्रश्न औचित्य का

अब प्रश्न औचित्य का

नदी में पानी आता है, तो सबकी नाव ऊंची होती है- यह कहावत अक्सर नव-उदारवादी अर्थव्यवस्था के औचित्य को सही ठहराने के लिए कही जाती है।
ये कारगर उपाय है?

ये कारगर उपाय है?

भारत सरकार कश्मीर में हजारों ग्रामीणों को हथियारबंद करने की योजना पर फिर अमल कर रही है।
‘हाथ’ से जुड़ेंगे हाथ?

‘हाथ’ से जुड़ेंगे हाथ?

कांग्रेस के नजरिए से यह अच्छी बात है कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ ही संगठन को सक्रिय रखने की योजना पार्टी नेतृत्व ने घोषित कर दी है।
जटिल समस्या, कठिन समाधान

जटिल समस्या, कठिन समाधान

उत्तराखंड में जोशीमठ के बाद खबर है कि कर्णप्रयाग में भी कई मकानों में दरार आ गई है।
भड़की भावनाओं का टकराव

भड़की भावनाओं का टकराव

जब किसी देश या समाज में ‘भावनाएं’ राजनीति और संस्कृति के केंद्र में आ जाती हैं, तो उसका क्या नतीजा होता है, इसकी एक ताजा मिसाल झारखंड में देखने...
चीन में कोरोना नियंत्रित?

चीन में कोरोना नियंत्रित?

निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि देश को फिर से खोलने से 17 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में फिर से जान आ सकती है
नेपाल से नई चुनौती

नेपाल से नई चुनौती

कम्युनिस्ट पार्टियों और कई अन्य दलों को एक मंच पर लाने के पीछे चीन की भी भूमिका रही है।
एक खतरा यह भी

एक खतरा यह भी

बेकार पानी को साफ करके पीने के पानी में बदलने वाले ट्रीटमेंट प्लांट एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) पैदा करने का बड़ा ठिकाना बन रहे हैं। इसकी वजह पानी में एंटीबायोटिक...
एकरूपता थोपने की जिद

एकरूपता थोपने की जिद

तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को जो हुआ, वह कतई अच्छा संकेत नहीं है। इस घटना से राज्यपालों की भूमिका एक बार फिर सवालों के घेरे में आई है।
डिजिटल भारत की हकीकत

डिजिटल भारत की हकीकत

डिजिटल भारत का शोर हकीकत से दूर है। असल सूरत यह है कि भारत में इंटरनेट का प्रसार लगभग स्थिर हो गया है। और यह सूरत खुद सरकारी आंकड़ों...
लोकतंत्र का यह दौर!

लोकतंत्र का यह दौर!

यह लोकतंत्र का कैसा दौर है? समाजों में बढ़ते ध्रुवीकरण के साथ चुनाव नतीजों को सहजता से स्वीकार कर लेने का चलन कमजोर पड़ता जा रहा है।
चीन के दावे पर चिंता

चीन के दावे पर चिंता

अगर सचमुच चीन के शोधकर्ताओं ने दुनिया के किसी भी ऑनलाइन इन्क्रिप्शन (पासवर्ड) को भेदने की सक्षता हासिल कर ली है, उससे तमाम देशों का चिंतित होना लाजिमी है।
सार्वजनिक या निजी हित?

सार्वजनिक या निजी हित?

बीते हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी। ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 19,744 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है।
यूरोप का असमंजस

यूरोप का असमंजस

चीन को दंडित करने का जब कभी मौका सामने आए, यूरोप में उत्साह दौड़ उठता है। लेकिन जब उसके आर्थिक परिणामों पर ध्यान जाता है, तो यूरोपीय देशों का...
यूएनः सवाल और भी हैं

यूएनः सवाल और भी हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा ढांचे पर वाजिब सवाल उठाए हैं। उनकी इस बात से शायद ही कोई असहमत होगा कि यह ढांचा वर्तमान विश्व...
विपक्षी स्वरों को जोड़ना

विपक्षी स्वरों को जोड़ना

भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले यह सवाल उठा कि क्या राहुल गांधी का यह प्रयास विपक्षी दलों को एक साथ लाने में कामयाब...
ये रहस्यमय मौतें!

ये रहस्यमय मौतें!

ओडिशा में एक के बाद एक तीन रूसी नागरिकों की मौत की खबर रहस्यमय है। अगर आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी को मानें, तो यह महज एक संयोग...
नोटबंदी पर अपेक्षित फैसला

नोटबंदी पर अपेक्षित फैसला

इस निर्णय से विपक्षी समूहों को यह सबक लेना चाहिए कि हर चीज को न्यायपालिका के दायरे में ले जाना सही रणनीति नहीं है।
आर्थिक तर्क के अनुरूप

आर्थिक तर्क के अनुरूप

एक अमेरिकी अखबार के विश्लेषण के मुताबिक बीते साल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में चीन को अलग-थलग करने की अमेरिकी रणनीति एशिया में कामयाब नहीं हुई।
अब यूक्रेन युद्ध किधर?

अब यूक्रेन युद्ध किधर?

यूक्रेन में रूस की विशेष सैनिक कार्रवाई पिछले साल की सबसे चर्चित अंतरराष्ट्रीय घटना रही। उसके प्रभाव लंबे समय तक दुनिया में देखने को मिलेंगे।
काल्पनिक भेड़िये का भय?

काल्पनिक भेड़िये का भय?

कोरोना संक्रमण की नई लहर को लेकर भारत में बनाभय, इस बात की ही मिसाल है कि देश में मेडिकल हालात के राजनीतिक दुरुपयोग की प्रवृत्ति किस हद तक...