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09-03-2025 Vol 19

संपादकीय कॉलम

वादा कुछ और था

वादा कुछ और था

आशा यह की जाती थी कि जीएसटी काउंसिल मौजूद शिकायतों का हल निकालेगी। लेकिन और उलझाने वाले फैसले हो रहे हैं
नियम बदल परदा डाला?

नियम बदल परदा डाला?

भारतीय निर्वाचन आयोग की साख पर पहले से कई सवाल हैं, जिन्हें वह सिरे से नजरअंदाज करता आया है।
टॉल की आड़ में लूट

टॉल की आड़ में लूट

दिल्ली- नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) मार्ग पर टॉल वसूली में घपले पर सीएजी की रिपोर्ट और उस आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक मिसाल है।
अमेरिकी फैसले की आंच

अमेरिकी फैसले की आंच

अमेरिका में एक जिला कोर्ट ने जासूसी सॉफ्टेवेयर पेगासस की निर्माता कंपनी एनएसओ को मेसिंग माध्यम ह्वाट्सऐप की गोपनीयता तोड़ने का दोषी पाया है।
अश्विन की ऐसी विदाई!

अश्विन की ऐसी विदाई!

कोई बड़ा खिलाड़ी किसी बड़ी टेस्ट शृंखला के बीच तुरंत रिटायर होने का एलान करे, तो उसे अवकाश लेने की सामान्य प्रक्रिया नहीं माना जा सकता।
पटरी पर वापसी

पटरी पर वापसी

चार साल तक तनावपूर्ण रहने के बाद दोनों का रिश्ता अब पटरी पर लौट रहा है।
किसकी कीमत पर मौज?

किसकी कीमत पर मौज?

विमानन कंपनियां खुश हैं कि भारत में बिजनेस क्लास में यात्रा करने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। ट्रेवल एजेंसियां भी खुश हैं।
छोड़ें यह कृत्रिम एकरूपता

छोड़ें यह कृत्रिम एकरूपता

यह अच्छी बात है कि केंद्र सरकार ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ संबंधी संविधान संशोधन  विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने पर राजी हो गई।
श्रीलंका से आश्वासन

श्रीलंका से आश्वासन

संकेत साफ है। श्रीलंका के मार्क्सवादी राष्ट्रपति की विदेश नीति में भी भारत की अहमियत बनी रहेगी।
गिरता निर्यात, बढ़ता घाटा

गिरता निर्यात, बढ़ता घाटा

समाधान देश के अंदर ही पूरा सप्लाई चेन तैयार करना है। लेकिन यह धीरज के साथ दूरगामी निवेश और नियोजन से ही हो सकता है।
नसीहत पर गौर करें

नसीहत पर गौर करें

मुमकिन है, इसके पीछे प्रमुख कारण अडानी के खिलाफ राहुल गांधी के लगातार हमले और उनकी कुछ दूसरी नीतियां रही हों।
ट्रंप से नया मौका!

ट्रंप से नया मौका!

जीटीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- ‘डॉनल्ड ट्रंप के फिर राष्ट्रपति बनने से व्यापार की उभर रही सूरत भारतीय उद्योग जगत के लिए एक विशाल अवसर है
विषमता पर दो दृष्टियां

विषमता पर दो दृष्टियां

बढ़ती आर्थिक गैर-बराबरी पर राजधानी में एक गंभीर चर्चा हुई। इसमें दो नजरिए उभर कर सामने आए।
संविधान पर सियासी बहस

संविधान पर सियासी बहस

यही अपेक्षा होती कि इस संविधान के तहत 75 साल के अनुभवों पर सदस्य गंभीरता से मंथन करेंगे।
नए गवर्नर, पुराना रास्ता?

नए गवर्नर, पुराना रास्ता?

संजय मल्होत्रा लगातार दूसरे नौकरशाह हैं, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाया गया है।
स्वागतयोग्य, पर काफी नहीं

स्वागतयोग्य, पर काफी नहीं

महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारें ऑफिस कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सख्त नियमों और उन पर अमल के निरीक्षण की तैयारी में हैं।
मुद्दा कुछ और है

मुद्दा कुछ और है

तने बड़े स्तर पर गहराते जा रहे शक को कौन दूर करेगा? आयोग ने भी कभी आत्म-निरीक्षण करने की जरूरत महसूस नहीं की है।
पीछे की ओर दौड़

पीछे की ओर दौड़

फिर भी भारतीय की आर्थिक प्रगति का नैरेटिव पेश किया जाता है, तो उसे दुस्साहस ही कहा जाएगा।
गतिरोध का हल नहीं?

गतिरोध का हल नहीं?

संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खाई इतनी चौड़ी हो गई है कि उसके किसी समाधान की गुंजाइश फिलहाल नजर नहीं आती।
बांग्लादेश ने की अनसुनी

बांग्लादेश ने की अनसुनी

बांग्लादेश के साथ संवाद बनाने की भारत पहली कोशिश कोई खास नतीजा नहीं दे पाई।
बंटे आंदोलन का संघर्ष

बंटे आंदोलन का संघर्ष

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 20 महीनों तक संघर्षरत रहने के बाद एसकेएम को कामयाबी मिली।
भारत के चमकते अरबपति

भारत के चमकते अरबपति

जब मध्य वर्ग के ढहने और उपभोक्ता बाजार के मंद होने की चर्चा चिंता का कारण बनी हुई है, तभी भारतीय अरबपतियों का धन तेज रफ्तार से बढ़ा है।
बोलें ज़रा संभल कर

बोलें ज़रा संभल कर

भाजपा सत्ताधारी पार्टी है। उसे यह ख्याल अवश्य रखना चाहिए कि वह जो बोलती है, उससे भारत सरकार की राय से जोड़ कर देखा जाएगा।
देर से हुआ अहसास

देर से हुआ अहसास

सरकार के कर्ता-धर्ताओं को अहसास होने लगा है कि भारत की ‘ग्रोथ स्टोरी’ कहीं अटक गई है। वजह आबादी के बहुत बड़े वर्ग की उपभोग क्षमता में गिरावट है।
कानून का ये हाल!

कानून का ये हाल!

कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पहले जारी किए थे। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए, जिन्हें...
नहीं हुआ तो क्यों?

नहीं हुआ तो क्यों?

आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि ‘चाइना प्लस वन’ अवसर का लाभ उठाने में भारत को सीमित सफलता ही मिली है।
बेहतर होता बहस होती

बेहतर होता बहस होती

देशवासी यह तो समझने की अब बेहतर स्थिति में हैं कि चीन के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार का क्या रुख है, मगर उनके एक बड़े हिस्से के मन...
बांग्लादेश से गहरी चुनौती

बांग्लादेश से गहरी चुनौती

अब चूंकि बात मुस्लिम पहचान पर आ गई है, तो स्वाभाविक नतीजा है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के समान अधिकार की आकांक्षा पर चोट की जा रही है।
विपक्ष में बिखराव

विपक्ष में बिखराव

यह बात शायद ही किसी के गले उतरेगी कि दोनों सदनों में संविधान के 75 साल पूरा होने के मौके पर दो-दो दिन की बहस या समाजवादी पार्टी को...
सूचकांकों का संदेश

सूचकांकों का संदेश

धनी और सरकारी सहायता पर निर्भर वर्ग तबके बेहतर स्थिति में हैं। मगर जिनकी जिंदगी मेहनत या उद्यम पर निर्भर है, वे तबके अपने उपभोग में कटौती कर रहे...
उलटा ट्रंप कार्ड

उलटा ट्रंप कार्ड

ट्रंप ने डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने पर ब्रिक्स देशों के उत्पादों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी है।
मान-अपमान से आगे

मान-अपमान से आगे

कनाडा के रास्ते अमेरिका में अवैध प्रवेश की कोशिश करने वाले भारतीयों की संख्या में अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 22 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी।
स्वच्छ चुनाव का मुद्दा

स्वच्छ चुनाव का मुद्दा

चुनाव प्रक्रिया पर गहराया संदेह अभी देश के सामने एक बड़ा मुद्दा है। इस पर जन जागृति लाने की आवश्यकता है।
इंजीनियरिंग शिक्षा का संकट

इंजीनियरिंग शिक्षा का संकट

हर साल 15 लाख इंजीनियरिंग छात्र जॉब मार्केट में आते हैं। लेकिन रोजगार ढूंढना उनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
आंख खोलने वाले आंकड़े

आंख खोलने वाले आंकड़े

सरकार ने पेट्रोलियम की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की नीति पर सचमुच अमल किया होता, तो साढ़े 36 लाख करोड़ रुपये लोगों की जेब में बचते।
मध्य वर्ग की मुश्किलें

मध्य वर्ग की मुश्किलें

महंगाई और सामान्य आमदनी ना बढ़ने से ग्रस्त भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे पहली चोट 50,000 रुपये मासिक से कम आय वाले परिवारों पर पड़ी।
ट्रंप का व्यापार युद्ध

ट्रंप का व्यापार युद्ध

ट्रंप ने प्रस्तावित व्यापार युद्ध का पहला गोला दागा है। इससे दुनिया को संदेश दिया है कि उनका प्रशासन किसी समझौते का ख्याल नहीं करेगा।
प्रदूषण की आर्थिक मार

प्रदूषण की आर्थिक मार

प्रदूषण से भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है। दिल्ली में हर साल औसतन 275 दिन खराब हवा दर्ज की जाती है। ये मुश्किलें स्पष्ट हैं।
संभल में जो हुआ

संभल में जो हुआ

जब तक उपासना स्थल अधिनियम अस्तित्व में है, हर पूजा स्थल की 15 अगस्त 1947 को जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।
बाकू में वक्त बर्बाद?

बाकू में वक्त बर्बाद?

अजरबैजान के बाकू में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) में कार्बन गैसों का उत्सर्जन रोकने का मुद्दा निष्प्रभावी ही बना रहा।
अब बड़े मुश्किल सवाल

अब बड़े मुश्किल सवाल

इंडिया गठबंधन के सामने कठिन प्रश्न हैं। महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से यह सवाल गहरा गया है कि क्या ये गठबंधन बनने के डेढ़ साल बाद भी अपना कोई...
बड़ी घोषणा, बड़े सवाल

बड़ी घोषणा, बड़े सवाल

मुख्य मुद्दा यह है कि ये समस्या पैदा ही क्यों हुई है। स्पष्टतः इसकी जड़ें आपराधिक न्याय प्रक्रिया पर अमल से जुड़ी है।
यह गंभीर मसला है

यह गंभीर मसला है

उद्देश्य विपक्ष को आगाह करना भर है कि चुनावी हेरफेर का सवाल वे केवल पराजय के दिन उठाएंगे और फिर सब भूल कर अगले चुनाव की तैयारी में जुट...
उत्सव है या मखौल?

उत्सव है या मखौल?

स्पष्टतः एग्जिट पोल एजेंसियों, टीवी चैनलों और मीडिया संस्थानों को तनिक जरूरत महसूस नहीं हुई है कि हाल में जिस तरह वे झूठे साबित हुए हैं
अडानी पर बड़ा घेरा

अडानी पर बड़ा घेरा

अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि वहां सौर ऊर्जा संबंधी ठेके दिलवाने और उन परियोजनाओं में पैसा लगाने पर अमेरिकी निवेशकों को राजी करने के लिए अडानी...
करीब आता विश्व युद्ध

करीब आता विश्व युद्ध

पहले अमेरिका में निवर्तमान जो बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ एटीएसीएमसी मिसाइलों के इस्तेमाल का अधिकार दे दिया
अब आगे की बात

अब आगे की बात

सेनाओं के बीच आमने-सामने तैनाती की सूरत खत्म हो गई है, इसलिए भारत सरकार की राय में बुनियादी मसला हल हो गया है
2024 का सियासी पैगाम

2024 का सियासी पैगाम

प्यू के सर्वे में 24 देशों में अधिकांश लोगों ने कहा कि लोकतंत्र का आकर्षण कम हो रहा है।