Sunday

09-03-2025 Vol 19

संपादकीय कॉलम

गरीबी पर बहस हो

गरीबी पर बहस हो

पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया था, जिसमें बताया गया कि इस पैमाने पर भारत में गरीबों की संख्या घटकर 16.4 रह...
सिर्फ सिस्टम काफी नहीं

सिर्फ सिस्टम काफी नहीं

क्या यह सचमुच रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने और इस रूप में अमेरिकी डॉलर के एक विकल्प के रूप में खड़ा करने के लिहाज से पर्याप्त है?
डगमगाती विकासशील अर्थव्यवस्थाएं

डगमगाती विकासशील अर्थव्यवस्थाएं

चीन में पिछला पूरा साल कोरोना प्रभावित रहा था, जिसका उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा। इस वर्ष सुधार के संकेत हैं, लेकिन उतना नहीं, जिसकी उम्मीद की...
किस एकता में ज्यादा दम?

किस एकता में ज्यादा दम?

विपक्षी दलों का एकजुटता प्रयास बंगलुरू पहुंचने के मौके पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को भी अपने गठबंधन- नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) का ख्याल आया।
शहर बाढ़ से कैसे बचें?

शहर बाढ़ से कैसे बचें?

देश की राजधानी का बड़ा हिस्सा पिछले हफ्ते बाढ़ में डूब गया। बारिश हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हुई, जिससे यमुना में पानी आया।
मोदी व विभाजित फ्रांसिसी जनमत

मोदी व विभाजित फ्रांसिसी जनमत

फ्रांस के सबसे प्रतिष्ठित अखबार ला मोंद ने मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी, वामपंथी नेता ज्यां लुक मेलेन्शॉ ने बास्टिल डे समारोह में मोदी को बुलाने...
कर्ज का ये बोझ क्यों?

कर्ज का ये बोझ क्यों?

विकासशील दुनिया इस वक्त कर्ज के कैसे बोझ तले दबी हुई है, इसकी एक चिंताजनक तस्वीर अब सामने आई है।
हर जगह मौसम की मार

हर जगह मौसम की मार

जलवायु परिवर्तन का असर एक बार फिर यही जाहिर कर रहा है कि कुदरत किन्हीं सरहदों का ख्याल नहीं करती।
इंसाफ का नया अंदाज

इंसाफ का नया अंदाज

अगर मामला भारत सरकार या सत्ताधारी पार्टी की राजनीतिक विचारधारा से जुड़ा हो, तो  कोर्ट का फैसला कुछ ऐसा होता है, जिससे सत्ता पक्ष को ज्यादा परेशानी ना हो।
निर्णय कम, बातें ज्यादा

निर्णय कम, बातें ज्यादा

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के लिथुआनिया में हुए शिखर सम्मेलन में उग्र बातें तो खूब हुईं, लेकिन जिन दो फैसलों पर नजर थी, उन पर आखिर में ठोस...
ये जो हकीकत है

ये जो हकीकत है

भारत सरकार ने 'स्वच्छ भारत' अभियान के तहत 2019 में देश को खुले में शौच की समस्या से मुक्त घोषित कर दिया था।
उम्मीद और जमीनी हकीकत

उम्मीद और जमीनी हकीकत

अहम सवाल है कि अगर भारत पहली पसंद बना हुआ है, तो असल में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ क्यों नहीं रहा है?
क्योंकि जड़ कमजोर है

क्योंकि जड़ कमजोर है

ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन का गुजरात में वेदांता के साथ प्रस्तावित सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट से अलग होने का फैसला भारत की जमीनी कमजोरियों की तरफ एक और इशारा है।
इरादा बुलंद है, लेकिन

इरादा बुलंद है, लेकिन

इतिहास यह है कि मुद्रा की ताकत संबंधित देश की अंदरूनी अर्थव्यवस्था की ताकत से तय होती है।
नाटो सम्मेलन पर नज़र

नाटो सम्मेलन पर नज़र

आज से शुरू हो रही दो दिन की नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की शिखर बैठक पर सारी दुनिया की नजर है।
लंबी यात्रा ही रास्ता

लंबी यात्रा ही रास्ता

राहुल गांधी की इस समझ की पुष्टि होती है कि वर्तमान माहौल में सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत विपक्ष की राजनीति करना संभव नहीं रह गया है।
पर्यावरण की फिक्र नहीं

पर्यावरण की फिक्र नहीं

खुद जापान में नागरिकों का एक बड़ा हिस्सा टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टेप्को) के इस निर्णय का विरोध कर रहा है।
राजनीतिक पारिवार की कलह

राजनीतिक पारिवार की कलह

सवाल नहीं पूछा जाता कि किसी नेता ने अपनी पार्टी को अपने परिजनों और रिश्तेदारों से इस तरह क्यों भरा, जिससे उसकी परिवारिक कलह राजनीति के दायरे तक फैल...
‘चिप वॉर’ का नया मोड़

‘चिप वॉर’ का नया मोड़

चीन के खिलाफ अमेरिका ने जिस चिप वॉर की शुरुआत की, अब वह खतरनाक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है।
बर्बरता की ओर सफर?

बर्बरता की ओर सफर?

उन्होंने मानवता को शर्मसार करने वाली घटना पर दलगत भावना से ऊपर उठ कर तुरंत ‘कठोरतम’ कार्रवाई का आदेश दिया।
ये खतरा बढ़ रहा है

ये खतरा बढ़ रहा है

देखते-देखते “खालिस्तान” का साया फिर संगीन हो गयाहै, इस बात के साफ संकेत हैं। पिछले दिनों ब्रिटेन और अमेरिका में भारतीय राजनयिक ठिकानों पर हमले हुए थे।
‘मानवीय भूल’ का कारण?

‘मानवीय भूल’ का कारण?

ओडिशा के बालासोर में पिछले दो जून को हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना के बारे रेल सुरक्षा आयुक्त की जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि यह हादसा “मानवीय भूल”...
दाल की खेती क्यों घटी?

दाल की खेती क्यों घटी?

यह खबर चिंताजनक है कि बीते साल के मुकाबले भारत में धान और अरहर की खेती वाले इलाके इस साल घट गए हैं।
चरमराता संघीय ढांचा

चरमराता संघीय ढांचा

पिछले हफ्ते तमिलनाडु में जो हुआ, उसे भारत के चरमराते संघीय ढांचे की ही मिसाल कहा जाएगा।
पवारः‘गुगली’ किसकी?

पवारः‘गुगली’ किसकी?

कुछ रोज पहले शरद पवार ने स्वीकार किया था कि पिछले चुनाव से पहले गठबंधन के सवाल पर उनकी भारतीय जनता पार्टी से बातचीत हुई थी।
राहुल गांधी का मरहम

राहुल गांधी का मरहम

राहुल गांधी के मणिपुर दौरे से यह बात जाहिर हुई कि लगभग दो महीनों से हिंसा ग्रस्त इस राज्य के लोग किस हताशा और बेचैनी में हैं।
कर्नाटकः बदले की राजनीति

कर्नाटकः बदले की राजनीति

कर्नाटक सरकार की इस बात के लिए तारीफ की जाएगी कि चावल खरीद में केंद्र की ओर से डाली रुकावट को उसने अपने चुनावी वादे को पूरा ना करने...
असल समस्या है मोनोपॉली

असल समस्या है मोनोपॉली

आईएमएफ की तरफ से अर्थशास्त्रियों नील-जैकब हानसेन, फ्रेडरिक टोस्कानी और जिंग झाऊ ने कहा है कि पिछले दो साल के दौरान कंपनियों ने लागत मूल्य में वृद्धि की तुलना...
बराक ओबामा को आईना!

बराक ओबामा को आईना!

मॉब लीचिंग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में दिशा निर्देश जारी किए थे। मगर इसी महीने महाराष्ट्र में ऐसी दो घटनाएं हुई हैँ।
सुरक्षा आउटसोर्सिंग के खतरे

सुरक्षा आउटसोर्सिंग के खतरे

अमेरिका ने भी गुजरे दशकों में बड़ी संख्या में प्राइवेट आर्मी को अपने युद्धों में लगाया है।
विपक्ष के ब्लैक शीप

विपक्ष के ब्लैक शीप

अरविंद केजरीवाल की विपक्ष की पटना बैठक का माहौल बिगाड़ने के मकसद से वहां गए थे। इसका संकेत उनकी पार्टी पहले से ही दे रही थी।
जब सुना ही ना जाए!

जब सुना ही ना जाए!

मणिपुर के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की मनोदशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। खास बात यह कि इन प्रतिनिधियों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता भी शामिल हैं।
बात हुई, यही काफी

बात हुई, यही काफी

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन की चीन यात्रा से क्या कोई ठोस नतीजा निकला, यह कहना कठिन है।
कठघरे में रिजर्व बैंक

कठघरे में रिजर्व बैंक

एक खबर यह है कि आरबीआई ने बैंकों को उन डिफॉल्टरों से समझौता कर मामला निपटाने का अधिकार दे दिया है, जिन्होंने जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाया।
तकनीक साझा करेगा अमेरिका?

तकनीक साझा करेगा अमेरिका?

हथियार कारोबार का हिसाब-किताब रखने वाली स्वीडन की प्रमुख संस्था- सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक 2018-22 की अवधि में भारत दुनिया में सबसे बड़ा हथियार आयातक देश रहा।
गलवान के तीन साल

गलवान के तीन साल

गलवान घाटी की दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद घटना की तीसरी बरसी एक उचित अवसर है, जब चीन के मामले में भारत की नीति का एक ठोस आकलन किया जाए।