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25-03-2025 Vol 19

सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

अमृत कुंभ की विकट खोज

mahakumbh 2025: ‘अमृता कुंभेर संधाने’ फ़िल्म में हादसे के बाद अपने किसी परिजन को खो चुके पात्र पूछते दिखते हैं कि हम उसके बगैर कैसे लौटें?

हमारी फ़िल्में हमें कहां ले आईं

जिस 2024 से हम हाल में गुज़र कर आए हैं, उसकी शुरूआत ‘मेरी क्रिसमस’ से हुई थी जो बॉक्स ऑफ़िस पर अपनी लगभग 30 करोड़ की लागत तक भी...

क्लासिक फ़िल्मों के शीर्षक कौन बचाएगा?

सलमान खान ने सलीम-जावेद पर बनी डॉक्यूमेंट्री में फराह खान से बातचीत में ‘शोले’ और ‘दीवार’ के रीमेक बनाने की ख़्वाहिश जताई।

रीमेक की धुंध में पुरानी फ़िल्में

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का ‘देवदास’ ऐसा उपन्यास है जिस पर देश में बार-बार और कई भाषाओं में फ़िल्में बनी हैं।

औसत फ़िल्मों के यूनिवर्स में दर्शक

रोहित शेट्टी फिर अपने कॉप यूनिवर्स में लौट गए हैं। ‘सिंघम’ के बाद आईं ‘सिंघम रिटर्न’, ‘सिंबा’ और ‘सूर्यवंशी’ इसी यूनिवर्स का हिस्सा थीं।

लेखन और निर्देशन के बदलते रंग

आलिया भट्ट की नई फ़िल्म ‘जिगरा’ की सबसे बड़ी ख़ूबी इसका निर्देशन ही है।

आशंकाओं से घिरी उम्मीद

वाशु भगनानी और जैकी भगनानी पर अनेक लोग उन भुगतान नहीं करने के आरोप लगा रहे हैं।

सब कहीं चल रहा एक नाटक

एक सफल मंचन के बाद मंडली के एक सदस्य के दो दोस्त पूरी मंडली को अपने रिसॉर्ट पर पार्टी करने और रात गुज़ारने का न्योता देते हैं।

कॉमेडी-हॉरर धारा का नया पड़ाव

‘स्त्री-2’ की सफलता ने इस बात को नए सिरे से स्थापित किया है और कई लकीरें खींची हैं।

अटल को भी पूरा नहीं दिखाती ‘मैं अटल हूं’

वास्तव में, इस फ़िल्म में कहानी कहने की कला ही गायब है। यह तो बस घटनाओं का एक सिलसिला भर है। 

फ़िल्मी विमर्श में पिछले साल की छाया

 यह फ़िल्म महिलाओं का और पुरुषों का जैसा चित्रण करती है उस पर कंगना रनौत को छोड़ हमारी तमाम अभिनेत्रियों ने खुल कर प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह अपने...

ज़रूरत ‘कस्तूरी’ को पहचानने की

इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि फ़िल्म का प्रकार क्या है। वह कॉमेडी है, सस्पेंस है, हॉरर, साइंस फ़िक्शन या कोई प्रेम कहानी है, कुछ भी है, लेकिन अगर...

हमें कैसा हीरो चाहिए?

इस फ़िल्म का हीरो और विलेन इस हद तक जानवर हैं कि दर्शक विचलित हो उठें।

रेलवे के वे लोग

यूनियन कार्बाइड के कारखाने में धांधली की हद तक जो लापरवाही बरती जा रही थी, इसके लिए वह कंपनी जितनी जिम्मेदार थी, उतना ही हमारा सिस्टम भी था।

बाहरी और भीतरी का द्वंद्व

कंगना रनौत, प्रियंका चोपड़ा आदि के आरोपों से इस मामले में सबसे ज़्यादा करण जौहर घिरे लगते हैं, लेकिन ऐसे और भी फ़िल्मकार हैं।

कहानी अपने-अपने यूनिवर्स की

जिस तरह का मनोरंजन हमारे बड़े फिल्मकार पहले से चला रहे थे, उसी को इन यूनिवर्स ने एक संगठित शक्ल और दिशा दी है।

सबसे पीछे फ़िल्मी ख़बर

संजय तालकटोरा गार्डन जाते, स्कूल की यूनीफॉर्म उतार देते और एक गमछा जैसा लपेट कर सरिया मोड़ने के काम में जुट जाते। वहां उनका मन सिर पर पत्थर ढोने...

हर मन के पिछवाड़े बहती एक उदास नदी

आमिर ‘तारे ज़मीन पर’ से मिलते-जुलते विषय पर एक कॉमेडी फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ बना रहे हैं।

क्या व्यर्थ गए ‘जवान’ के संदेश?

आखिरकार शाहरुख खान की ‘जवान’ दुनिया भर में बॉक्स ऑफ़िस पर ग्यारह सौ करोड़ से ऊपर जुटा कर ‘पठान’ से आगे निकल गई।

वहीदा- संवाद कम, अभिव्यक्ति ज़्यादा

दादा साहब फाल्के पुरस्कार जो 1969 में शुरू हुआ, अब तक 52 फ़िल्मी हस्तियों को दिया गया है जिनमें वहीदा को मिला कर केवल आठ महिलाएं हैं।

‘जवान’ के संदेश – राजनीतिक या व्यावसायिक?

एक तरफ़ शाहरुख खान के प्रति ज़बरदस्त दीवानगी का आलम है। सिनेमाघरों के भीतर लोग डांस कर रहे हैं और बाहर भीड़ पटाखे चला रही है।

एक और घोटाले की यादें

‘स्कैम 2003: द तेल्गी स्टोरी’ की शुरूआत होती है जो बताती है कि हमारे सिस्टम में खामियों के अनेक सिस्टम छुपे हुए हैं।

आतंकियों से लड़ता ‘द फ्रीलांसर’

दिलचस्प बात यह है कि ‘द फ्रीलांसर’ भी एक किताब पर आधारित है। यह है ‘अ टिकिट टू सीरिया’ जिसके लेखक हैं शिरीष थोटे।

राष्ट्रीय पुरस्कारों में ‘रॉकेट्री’ नंबर वन

देशद्रोह और जासूसी के आरोपों का सामना करने के बाद भी इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने पीएसएलवी का इंजन तैयार किया था।

प्रतिभा और व्यक्तित्व का ‘घूमर’

सैयामी खेर उन कलाकारों में हैं जो मौका मिले तो अपनी प्रतिभा से चकित कर दें। उन्हें लोग खास कर अनुराग कश्यप की फिल्म ‘चोक्ड’ और मयंक शर्मा की...

देश भर में गांधी का भूत

महात्मा गांधी के संदेशों को वापस लेकर आ रहे हैं ताकि लोग जान सकें कि इन संदेशों के जरिये कैसे देश को बेहतर बनाया जा सकता है।

सनी देओल और पाकिस्तान की जोड़ी

बस पहली ‘गदर’ को और ज़्यादा शोर के साथ परोस दिया है। शायद उन्हें केवल उन तालियों से मतलब है जो थिएटर में बार-बार गूंजती हैं।

रजनीकांत से बड़ा कोई नहीं

कई शहरों में रजनीकांत के विशाल होर्डिंग लगाए गए और दूध से उनका अभिषेक किया गया। कम से कम दो दर्जन कंपनियों ने इस फिल्म की रिलीज वाले दिन...

शिवभक्ति और देशभक्ति का मुक़ाबला

शिवभक्ति की इस फ़िल्म को देशभक्ति से ओतप्रोत ‘गदर 2’ से मुकाबला करना है। यानी इस मुक़ाबले में कोई भी आगे निकले, जीतेंगे भक्त ही।

दिलीप कुमार पर एक निजी म्यूज़ियम

बरसों से हम सुन रहे हैं कि पेशावर में जो दिलीप कुमार का घर था उसे वहां की सरकार म्यूज़ियम बनाएगी।

ज़िंदगी की फ़िल्म पर किसी का वश नहीं

उनके बारे में जानने की किसी को फ़ुरसत नहीं। कहा नहीं जा सकता कि आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई ने आत्महत्या नहीं की होती तो क्या उनके जाने की इतनी...

अपरिवर्तनीय करण जौहर

करण जौहर का धर्मा प्रोडक्शन इन दिनों जिन फिल्मों के निर्माण में हिस्सेदार है, उनकी संख्या बहुत बड़ी है। उनमें कई बार छोटे बजट की अच्छी फिल्में भी होती...

भारत-पाकिस्तान और सनी देओल

सनी देओल आजकल खूब ट्रोल हो रहे हैं। उन्हें काफ़ी भला-बुरा कहा जा रहा है।

फ़िल्म पायरेसी पर सज़ा

वैसे इस कानूनी संशोधन में जुर्माने का पहलू दिलचस्प है। पकड़े जाने पर तीन साल की कैद के साथ फ़िल्म की लागत के पांच प्रतिशत के बराबर जुर्माना देना...

फिर बनेंगी ‘बावर्ची’, ‘मिली’ और ‘कोशिश’

ऋषिकेश मुखर्जी की ‘बावर्ची' व ‘मिली’ और गुलज़ार की ‘कोशिश’ जब बनी थीं तो मुख्यधारा के सिनेमा का हिस्सा नहीं थीं।

अपने-अपने रहस्यों का ‘कोहरा’

हमारी फिल्मों और वेब सीरीज़ में पिछले कुछ सालों से एक बड़ा अंतर आया है। अब कहानी या स्क्रिप्ट पात्रों के चरित्र चित्रण की बारीकियों में, उसकी तहों में...

हीरोइन केंद्रित फ़िल्मों का हश्र

‘तरला’ के साथ ही सोनम कपूर की ‘ब्लाइंड’ और विद्या बालन की ‘नीयत’ का भी आगमन हुआ है। इन तीनों फिल्मों की खूबी यह है कि इनकी केंद्रीय भूमिका...

निरर्थक हो चुके सवाल

फिल्म के प्रमोशन के दौरान एक चैनल पर हुमा कुरैशी से पूछा गया कि भारत में मुसलमानों की स्थिति कैसी है और क्या यहां मुसलमानों को किसी प्रकार की...

कितना महंगा होना चाहिए सिनेमा का टिकट?

समस्या यह है कि सिनेमा की टिकटें न केवल महंगी हो गईं बल्कि विभिन्न राज्यों, शहरों और अलग-अलग थिएटरों में उनकी दरें भी समान नहीं हैं।

सफलतम मलयाली फ़िल्म ‘2018’

पांच साल पहले साधारण लोगों की दिखाई यह असाधारण तत्परता ही ‘2018: एवरीवन इज़ अ हीरो’ की कहानी है।

कथा के सहारे सत्यप्रेम

निर्माता साजिद नडियाडवाला और निर्देशक समीर विद्वांस इस बात का पूरा ख्याल रखते हैं कि युवा दर्शक इससे बोर न हो जाएं। फिर भी, यह मुद्दा और महिलाओं के...

उदयनिधि की अंतिम फ़िल्म

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि अब फिल्मों में काम नहीं करेंगे। ग्यारह साल पहले परदे पर उनकी शुरूआत हुई थी औऱ अब तक उन्होंने लगभग डेढ़...

एआई बताएगा फ़िल्मों का भविष्य?

वार्नर ब्रदर्स ने सिनेलिटिक्स नामक कंपनी से अनुबंध किया है जो आर्टीफ़ीशियल इंटेलीजेंस के जरिए फिल्म से संबंधित हर तरह के फैसले लेने में मदद करेगी।

‘आदिपुरुष’ की विचित्र रामायण

आदिपुरुष’का हल्ला बहुत हुआ। मगर फिल्म फिल्म दर्शकों में वह सम्मान नहीं जीत सकती जिसकी आकांक्षा में इसे बनाया गया है।

एक सीट हनुमान की

निर्माताओं ने घोषणा की है कि देश-विदेश के जिस भी थिएटर में यह फिल्म दिखाई जाएगी वहां हनुमान जी के लिए एक सीट खाली रखी जाएगी।

अमीषा और सनी की उम्मीदों का ‘गदर’

अमीषा की सारी उम्मीदें इसी पर टिकी हैं। वही क्यों, सनी देओल और खुद निर्देशक अनिल शर्मा भी ‘गदर’ जैसा कमाल दोबारा नहीं दिखा पाए हैं।

बाथरूम का हैंडल बने फ़िल्म पुरस्कार

सार्थक या समानांतर या आर्ट सिनेमा राष्ट्रीय पुरस्कारों के खाते में चला गया जबकि लोकप्रिय सिनेमा को फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों ने संभाल लिया।

फ़िल्में भी लड़ेंगी चुनाव!

रणदीप इसमें खुद सावरकर बने हैं। उन्होंने खुद ही निर्देशन भी दिया है और आनंद पंडित व संदीप सिंह के साथ इसके सह निर्माता भी हैं।