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25-03-2025 Vol 19

शंकर शरण

हिन्दी लेखक और स्तंभकार। राजनीति शास्त्र प्रोफेसर। कई पुस्तकें प्रकाशित, जिन में कुछ महत्वपूर्ण हैं: 'भारत पर कार्ल मार्क्स और मार्क्सवादी इतिहासलेखन', 'गाँधी अहिंसा और राजनीति', 'इस्लाम और कम्युनिज्म: तीन चेतावनियाँ', और 'संघ परिवार की राजनीति: एक हिन्दू आलोचना'।

जो पैरों से वोट दे रहे हैं

election 2025 : कोई गरीब यूरोपीय अपनी किस्मत आजमाने भारत नहीं आता। जबकि संपन्न भारतीय भी पश्चिम का रुख करते हैं। यह वस्तुत: अंग्रेजी-राज को बेहतर मानना ही है।‌

संघ परिवार: विचित्र व्यवहार

जब हिन्दुओं पर सीधी चोट पड़ती है, तो संघ परिवार के नेता चुप रहते हैं। बयान तक नहीं देते।

संघ परिवार: “पता नहीं, कोई मजबूरी होगी!”

यदि संघ सत्ता में हिन्दुओं के विरुद्ध नीतिगत भेदभाव, असहायता बढ़े, और उस पर सब मौन रहें - तो यह किस के अच्छे दिन हुए?

जिन्ना मुरीद थे मुस्तफा कमाल के!

खलीफत खात्मे के सौ साल होने पर इसके सबक से सब को शिक्षित करना चाहिए। .... मुस्तफा कमाल ने तुर्की संसद में कहा था, हमें हर हाल में नया...

तुर्की में मुल्ले-मौलवियों का खात्मा और गांधी का स्यापा

मुस्तफा कमाल का स्पष्ट विचार था कि मजहब देश की आत्मा को जकड़ कर उसे फलने-फूलने से रोकता है।

कैद में सोल्झेनित्सिन का आत्मसुधार

सोल्झेनित्सिन ने लिखा है कि ''आदमी पर घमंड उसी तरह सहज चढ़ता है जैसे सुअर पर चर्बी चढ़ती है।'' यानी अनायास। ...

करोड़ों लोगों की पीड़ा, यंत्रणा की बीती का दस्तावेज

नाजी दस्ते केवल यहूदियों का खात्मा करते थे, और अपने संदिग्ध विरोधियों को।

रूस तब नयी-नयी यंत्रणाओं की प्रयोगशाला था

सोवियत व्यवस्था में विविध शहरों को कोटा देकर भी गिरफ्तारियाँ और दंड दिए जाते थे। फलाँ शहर या जिले में इतनी संख्या में 'जनता के दुश्मनों' को पकड़ना है।

‘गुलाग आर्किपेलाग’ से दुनिया सिहर गई थी

स्तालिन द्वारा देहातों पर इस उत्पीड़न में कुल मिलाकर एक करोड़ से अधिक जानें गईं!

भारत एक ‘गप्पी गाय’ है

हम लोग बातें बनाने वाले, परन्तु दरअसल निरीह, नासमझ, और निकम्मे हैं।

हिन्दी धीमे-धीमें मृत्यु की ओर बढ़ रही!

अब भारत में हिन्दी भाषा और समाज के हित में आवश्यक है कि इसे झूठे, दिखावटी राजत्व की अपमानजनक स्थिति से मुक्त कर दिया जाए।

वाचाल नेता, लाचार शिक्षा

कुछ पहले एक ऐतिहासिक अकादमिक संस्थान में भाषण देते हुए एक नेता ने तैश से कहा: "आप ने इतनी पुस्तकें प्रकाशित की हैं। मगर उस में काम की कितनी...

संघ-परिवार: हिन्दुओं से कपटाचार

हिन्दू समाज की अभूतपूर्व विडंबना है कि जिस संघ-परिवार के वर्चस्व में वह अपने ही देश में आठवें दर्जे का हीन नागरिक बन कर रह गया है

हिटलरी नाजीवाद और बंगलादेश – एक तुलना

बंगलादेश (पूर्वी बंगाल) में हिन्दुओं का सामूहिक, पर धीमा सफाया तब से चल रहा है जब बराक ओबामा स्कूल में पढ़ते थे। ईरान में शाह का सेक्यूलर शासन था।

‘हत्या’ दिवस अनुचित संज्ञा है

कांग्रेस को निशाना बनाने के लिए उन्होंने एक 'हत्या' दिवस ही देश पर थोपा है! यह मूढ़ता की पराकाष्ठा है।

सच्चे संघवाद की समझ कब होगी?

शिक्षा और संस्कृति में राजकीय अधिकार और बढ़ते केंद्रीकरण का ही नजारा समय-समय पर लज्जाजनक समाचारों में दिखता है।

संघ और भाजपा का मिलाजुला खेल है!

कुछ बड़े संघ नेताओं द्वारा इशारों में भाजपा नेताओं पर तंज कसना विचित्र लगता है। विपक्ष के प्रति सम्मान दिखाना और बनावटी।

असली और नकली राजा

भाजपाई अपने सभी कुकर्मों का बचाव कांग्रेस का उदाहरण देकर ही करते हैं! जो अचेत स्वीकृति है कि असली राजा कांग्रेस है। नकली, इम्पोस्टर, तो बस नकल ही कर...

सत्य बनाम सेंसर

ऐसे ह्वाट्सएप ग्रुप के 'संगठन' बनाकर संघ-परिवार ने अपना चाहे जो स्वार्थ साधा हो, पर उसका यह काम समाज की भारी बौद्धिक-नैतिक हानि कर रहा है।

2004 और 2024: सात समानताएं

कांग्रेस नेता का मजाक उड़ाना तब भी था कि 'जब तक सोनिया नेता है, भाजपा की मौज है' क्योंकि वह बेचारी विकल्प दे ही कैसे सकती है!

राष्ट्रवाद एक गंभीर खतरा है

पृथ्वी पर नेशन का निर्माण तो सत्य के जोर से हुआ, लेकिन नेशनलिज्म सत्य नहीं है।

संघ परिवार: क्षुद्र मानसिकता का प्रसार

हिन्दी फिल्म उद्योग पर कोलतार पोतना संघ-परिवार की फूहड़ 'नरेटिव' योजना का ही ट्रेडमार्क नमूना है।

भाजपा में पाकिस्तानी मानसिकता?

आज यहाँ जैसी शत्रुता दिख रही है, यह पाकिस्तान में होता रहा है (और कम्युनिस्ट देशों में)। कोई पिछले नेता को बदनाम करे, जेल दे, या मरवा डाले।

दल-बदल विरोधी कानून खत्म हो!

दल-बदल रोक कानून मानवीय स्वतंत्रता और गरिमा के विरुद्ध है। यह सांसदों, विधायकों को अनुचित बंधन में रखता है। Anti defection law

चुनाव आयोग कर सकता है!

मंत्रियों का केवल अपने चुनाव क्षेत्र में, मात्र अपने प्रचार के सिवा कहीं भी प्रचार करना वर्जित हो। अन्यथा सत्ता-विहीन उम्मीदवारों के विरुद्ध जाने-अनजाने सरकारी ताकत लगती है।

राष्ट्रवादी आंदोलन और बौद्धिक पतन

नीरद बाबू की आत्मकथा के दोनों भाग समकालीन भारत का वास्तविक इतिहास समझने के लिए एक अनिवार्य स्त्रोत-ग्रंथ हैं।

नीरद सी. चौधरी का लिखा सही साबित हुआ

ब्रिटिश राज में हमारी भाषाओं में श्रेष्ठ साहित्य रचे जाते रहे। नई साहित्य विधाएं पनपीं। देश-विदेश की सर्वोत्तम रचनाओं का अध्ययन-अध्यापन होता था।

अरुण, यह क्षरता देश हमारा!

भारत विश्व-गुरू बन रहा है, या विश्व-मजदूर जो अपना पेट पालने और चमड़ी बचाने के सिवा कोई विशेष काम नहीं जानता? Social political issue

… कस्मै देवाय हविषा विधेम?

अधिकांश नेताओं, बौद्धिकों के लिए पार्टी-प्रचार ही आदि-अंत बन गया है। यह सब 'अधर्मेण समूलस्तु विनश्यते' की दिशा है, अथवा ऊपरी बाढ़ के नीचे कोई नई भूमि भी?

संघ परिवार: मंदिर का व्यापार

इस्लामी आक्रांताओं ने सदियों से हजारों हिन्दू मंदिर तोड़े, और अनेक प्रमुख मंदिर-स्थलों पर मस्जिदें खड़ी कर दी। पर किसी के लिए हिन्दुओं ने वह संघर्ष नहीं किया, जो...

मैकॉले की झूठी बदनामी

भारतीय ज्ञान, चिंतन, और साहित्य का औपचारिक शिक्षा-प्रणाली में ह्रास होता चला गया। पर इस के लिए आज भी मैकॉले को दोष देकर हमारा रोना-गाना हास्यास्पद है।‌

संघ सुखानुभूति का सच

संघ-परिवार, और उस के उत्साही समर्थक सुखानुभूति में सराबोर हैं। ऐसे कि एक भी असुविधाजनक सत्य सामने रखने वाले पर व्यंग्य/धमकी की बौछार करने को तैयार, चाहे वह शुभचिंतक...

संघ परिवार: हिन्दुओं पर प्रहार

नित झूठे बयानों से ऐसे संघ-भाजपा नेता कौन सा 'चरित्र निर्माण' कर रहे हैं, यह सभी के लिए विचारणीय है।

क्या नीरद चौधरी गलत थे?

भारतीय शासकों ने सत्ता लेते-लेते ही देश के टुकड़े कर करोड़ों भारतीयों को देश बाहर, लाखों को शरणार्थी बनाकर बेतरह अपमान का शिकार होने की हालत में पटक दिया।

राज्य और पार्टी का घालमेल रोकें-2

राजनीतिक दलों को क्यों अदृश्य देशी-विदेशी धन लेते रहने की ऐसी छूट रहे कि कभी कहीं हिसाब न देना हो?

क्या पार्टियां देवमंदिर और नेता देवता है?

जनीतिक दल अन्य संस्थाओं, नागरिकों से ऊपर और वित्तीय हिसाब देने से परे हैं? इस से बड़ी जबरदस्ती और सत्ता का दुरुपयोग क्या होगा

क्या इजराइल मिट जाएगा?

जैसे इजराइल को मिटा देना ईरान और कई मुस्लिम देशों, शासकों का मंसूबा है, उसी तरह भारत को तोड़ना मिटाना पाकिस्तान और कई जिहादी-आतंकी संगठनों का उतना ही खुला...

संघ-परिवार: हिन्दुओं का बंटाधार

यदि कोई 'भाजपा समर्थन' की कसम खाए हैं तो शौक से रहे, पर न भूले कि उस के भाई, संबंधी, सहकर्मी हिन्दुओं को भी ईश्वर ने विवेक और संविधान...

लोकतंत्र पर रोना/गाना हास्यास्पद है

तब यदि लोकतंत्र की क्लासिक आलोचना अखंडित हैं, तो लोकतंत्र को ही मानदंड मानना स्वत: एक छल है।

क्या मीडिया बिकाऊ है?

मीडिया के सदस्य उसी हद तक बिकाऊ हैं जिस हद तक अन्य संस्थाओं के सदस्य।...यदि हमारा मीडिया अपने पर छोड़ दिया जाए तो अभी भी बिकाऊ नहीं है।

संघ-परिवार: विषकन्या का शिकार

भारत में वोट-बैंक लालसा के पहले शिकार गाँधी थे। जिस से देश की अकूत हानि के सिवा कभी कुछ न मिला। 1919-48 तक की घटनाओं के आकलन से यही...

संघ परिवारः मुस्लिम मोह में गिरफ्तार

इतिहास और वर्तमान, सभी दिखाते हैं कि यहाँ अधिकांश सूफी पक्के इस्लामी राजनीतिक रहे हैं। रिचर्ड ईटन की प्रसिद्ध पुस्तक 'सूफीज ऑफ बीजापुर'  में सदियों के वर्णन है।

धर्म नीचे, मूर्ति ऊपर!

कारण जो भी हो, यह कहना सर्वथा उचित है कि जगह-जगह हिन्दू महापुरुषों, आचार्यों की मूर्तियाँ लगाने में उन्हें धर्म या समाज की कोई चिन्ता नहीं।

भाजपा बनाम इन्डिया: गलती कहाँ?

अभी 'इन्डिया' बनाम भारत’ विवाद में भी, भाजपाई प्रचारक इन्डिया शब्द को गुलामी का प्रतीक, और यह शब्द अपनाने के लिए विपक्षी दलों को अंग्रेजों का पिट्ठू बताने में...

लोकतंत्र का सच झूठ

हमारे कुछ लोग विदेशी नेताओं के जमावड़े में भारत के लोकतंत्र का गौरव बखानने की तैयारी कर रहे हैं। इस दावे से कि भारत में ही लोकतंत्र पैदा हुआ,...

डफर संस्कृति का गौरव!

यदि हमारे प्रायोजित बॉन्ड महोदय इस मतवाद को सचमुच जानते, तो इसे भारतीय संस्कृति का गौरव कहकर अपने देशवासियों को अपमानित नहीं करते।

‘कठुआ वाली लड़की’: गजवा-ए-हिन्द का नया अध्याय

उस से भी अधिक अविश्वसनीय ‘कठुआ वाली लड़की’ की घटना है। जनवरी 2018 में जम्मू के रसाना गाँव में एक मुस्लिम बालिका की लाश निकट जंगल में मिलती है।

संघ परिवार: निर्बलता का प्रसार

संघ-भाजपा अपने आई.टी. सेल द्वारा सोशल मीडिया पर, तथा अपने संगठन-पार्टी के सदस्यों के बीच जो भी मौखिक मिथ्या प्रचार, दोषारोपण, और आडंबर करते हैं, वह समाज को कमजोर...