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15-04-2025 Vol 19

शकील अख़्तर

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।

सीपीएम और कांग्रेस क्या अधिवेशन से पाएंगी नई दिशा?

भाजपा संघ को लगता है कि देश की जनता उनके वृक्ष की छाया के बदले कांग्रेस के पेड़ की सबको समान छाया और लेफ्ट की गरीबों को खासतौर से...

बिहार में कांग्रेस सही रास्ते पर

bihar assembly election : भाजपा की कोशिशें असफल हो गईं। तो आपने देखा की सबसे बड़ी राजनीतिक खबर न तो टीवी में चली और न ही अखबारों में।

बिहार में नए अध्यक्ष से कांग्रेस की उम्मीदें जगी!

bihar new president : कांग्रेस कभी कभी जनता और अपने कार्यकर्ताओं की सुनती भी है। बिहार में प्रदेश अध्यक्ष बदलने का फैसला देखकर तो यह लगा।

मीडिया ने होली पर भी चढ़ाए नफरत के रंग !

होली भारत का सबसे अधिक उमंग, जोश और उल्लास का त्यौहार है। मगर अफसोस जो इसका उपयोग भी नफरत बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

बाहर कुछ न हाथ लगे, पर घर में शान बघारें!

modi trump : भारत का कृषि बाजार अमेरिका के लिए खोलने को कह रहा है अगर यह हो जाता है तो भारत का किसान और बरबाद हो जाएगा।

थरुर की कोई विश्वसनीयता नहीं!

राहुल कहते हैं चले जाओ। मगर जाएगा कोई नहीं। जो लोग पार्टी का नुकसान कर रहे हैं उन्हें निकलाने की हिम्मत राहुल और खरगे को दिखानी होगी। 

अंधों को भारतीयों की हथकड़ी-बेड़ी नहीं दिख रही!

प्रधानमंत्री मोदी कहते थे कि 2014 से पहले भारत में जन्म लेना शर्म की बात थी।

डरो मत के मंत्र से ही विपक्ष बचेगा!

शोले फिल्म का डायलाग राजनीति में बिल्कुल सही साबित हो रहा है। जो डर गया समझो वह मर गया!

पत्रकारिता भारत में सबसे जोखिम का काम

देश में पत्रकार और पत्रकारिता इस समय अपने सबसे कमजोर समय में है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत लगातार गिरता जा रहा है।

कांग्रेस हरियाणा नहीं हारती तो 25 की शुरूआत अलग होती

अगर हरियाणा नहीं गंवाया होता तो महाराष्ट्र में भी सीन यह नहीं होता। और 2025 कांग्रेस बहुत उत्साह से शुरू करती।

बिना संगठन और सख्ती के राहुल की सारी मेहनत बेकार

अगर कांग्रेस कर्नाटक के उत्तर पश्चिम में बसे ऐतिहासिक बेलगाम या बेलगाव जाकर लेना चाहे तो उसमें भी कोई बुराई नहीं है।

अंबेडकर और अमित शाह का सेल्फ गोल!

यह सब बातें अपना असर कर ही रहीं थीं कि अमित शाह का यह बयान आ गया। सीधा अंबेडकर के खिलाफ।

अंधेरा और घना होता जा रहा है!

रिटायर हुए चीफ जस्टिस चन्द्रचूड़ ने सन् 2022 में ज्ञानवापी मामले में एक टिप्पणी करके 1991 के शांति और सौहार्द के कानून को कमजोर कर दिया।

जब तक ईवीम है तब तक मोदी हैं!

महाराष्ट्र में भाजपा की अविश्वसनीय स्ट्राइक रेट। और ईवीएम पर सवाल तेज हुआ तो सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट सवाल की शक्ल में आ जाता है कि जीतने पर चुप...

मोदीजी, मणिपुर की लाइव फिल्म देखिए!

प्रधानमंत्री कश्मीर फाइल्स, केरल स्टोरी, द साबरमती रिपोर्ट फिल्मों की तारीफ करते हैं मगर सामने वास्तविक रूप से घट रहे मणिपुर पर आंखे मूंदे हैं।

भारत को डरा हुआ देश बनाना हैं!

बेटी छीन लेने से ज्यादा डराने, अपमानजनक बात और क्या होगी? मगर जब मुकाबला गिरने का हो तो फिर आप कुछ नहीं कह सकते।

अमेरिका में डेमोक्रेटस और भारत में कांग्रेसी!

डेमोक्रेट हार के कारणों का विश्लेषण करेंगे। वहां के अख़बार भी करेंगे। न्यूज चैनल भी। समाज विज्ञानी भी।

अपना भी तआल्लुक है दिवाली से, तुम्हारे से !

दिवाली पर दिवाली के सिवा और क्या याद आता है? हालांकि समय बहुत खराब ला दिया है। दिवाली पर भी हिन्दू, मुसलमान कर रहे हैं।

प्रियंका का पहला ही चुनाव दक्षिण से

कभी आरएसएस का नारा था गर्व से कहो हम हिन्दू हैं। देश भर की दिवारों पर लिखवाया गया था।

ईवीएम पर ही नहीं खुद पर भी सोचे कांग्रेस!

कांग्रेस के मठाधीशों की यह कहानी लंबी है। लेकिन इसका तोड़ बहुत छोटा है।

राहुल अब नेता हो गए हैं

जिसने भी पिछले दो दिन राहुल की यात्रा देखी है उसकी समझ में आ गया है कि राहुल ने हरियाणा में कांग्रेस की हवा को आंधी में बदल दिया।...

कांग्रेसी क्षत्रप ही कांग्रेस को डुबोते हैं !

ताजा प्रसंग हरियाणा का है। वहां कांग्रेसियों ने बैठे बिठाए भाजपा को आक्सिजन दे दी। टिकट बंट गए।

राहुल के खिलाफ ऐसा भड़काऊ माहौल!

प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी को उनकी पार्टी के और सहयोगी पार्टी के नेता उनकी सरकार के मंत्री जान से मारने की बात कर रहे हैं।

मोदी क्यों नहीं वहा राहुल की तरह कांफ्रेस करते?

गोदी मीडिया को कहना चाहिए भगवन एक यहां कर लें बाकी किसी को आने नहीं देना और हम कुछ पूछेंगे नहीं। प्रेक्टिस हो जाएगी और फिर बस वहां अमेरिका...

आर्यन मिश्रा के मारे जाने पर लोग चौंके तो सही!

अभी नहीं सुनेंगे! मगर जब सत्ता में नहीं होंगे तब सुनना भी पड़ेगा और जवाब देना भी पड़ेगा।

ममता का विकेट गिरा तो मोदी में लौटेगा दम!

सीबीआई ने चार्जशीट सौंपी है एक आरोपी के खिलाफ उसके अलावा अभी तक कोई सबूत नहीं है। मगर आंदोलन को और तेज और लंबा किया जा रहा है।

240 की मजबूर, विभाजक मोदी सरकार!

मीडिया के अंध सपोर्ट के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी को लैटरल एंट्री का आदेश वापस लेना पड़ा।

15 अगस्त को 15 अगस्त की चिंता!

क्या यह 15 अगस्त रहेगा या आजादी का कोई दूसरा दिन घोषित होगा? और क्या यह देश मुसलमानों का नहीं है?

विश्वासघात से बड़ा पाप कोई नहीं!

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बहुत बड़ी बात कह दी। सब धर्माचार्यों को इस तरह सच बोलने का साहस दिखाना चाहिए।

राहुल की चढ़ती कला, मोदी की घटती हुई!

राहुल प्रधानमंत्री मोदी के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने के कोशिशों पर हमेशा प्रहार करते रहे हैं।

विपक्ष का चेहरा खिला-खिला रहेगा?

विपक्ष को जनता ने जिताया नहीं मगर मजबूत बहुत कर दिया। संख्या से तो जितना किया उतना कियाही मगर हौसले बहुत बढ़ा दिए।

प्रियंका का पहला चुनाव ही दक्षिण से

दक्षिण भारत से अभी तक गांधी नेहरू परिवार का इतिहास रहा है जीतने का। मगर यहभी सच है कि वहां से पहला चुनाव किसी ने नहीं लड़ा।

खुशफहमी न पाले, कांग्रेस अब अपने को ठिक करें!

राहुल के पास अब टाइम ही टाइम है। क्या करना है? मगर करने को कुछ सबसे जरूरी काम हैं। उनमें संगठन मजबूत करना सबसे टॉप प्राथमिकता पर होना चाहिए।

मोदी-योगी का भौकाल टूटा, राहुल-अखिलेश का जलवा बना

जनता ने मोदी और योगी दोनों का अहंकार तोड़ दिया। बता दिया कि वोटकाम करने से मिलते हैं। बातों से नहीं। बुलडोजर लोगों का दिल नहीं जीत सकता।

मीडिया इतना कभी नहीं गिरा !

इन लोकसभा चुनावों में मीडिया जितना चर्चा में रहा उतना पहले कभी नहीं रहा। मीडिया खुद ज्यादा चर्चा में रहने के लिए नहीं होता।

मोदीजी मुसलमान छोड़ो! हिन्दू भाईयों का तो भला करो !

मोदी जी मुसलमानों से आपको क्या चाहिए बता दो! मगर हिन्दू भाईयों को तो परेशान करना बंद करो।

बार-बार गोल पोस्ट बदलना, कश्मीर को भी ले आना!

इसलिए चुनाव के आखिरी दौर में अब कश्मीर को लाना मोदी जी को शायद ही कोई फायदा पहुंचाए। चार दौर के चुनाव में करीब करीब फैसला हो चुका है।

मोदी मोदी नहीं क्योंकि नौकरी, नौकरी

। बेरोजगारी, काम नहीं, जेब खाली। यही असल मसला है। ...महंगाई इसीलिए दूसरे नंबर पर है। जेब में पैसा ही नहीं है तो क्या महंगा क्या सस्ता।

बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार किसकी सरकार?

.प्रधानमंत्री मोदी जिस प्रजव्वल रैवन्ना के लिए वोट मांगते हुए कह रहे थेकि इन्हें दिया हुआ हर वोट मुझे मजबूत करेगा वो तो हकीकत का अल्टिमेट है।

वोट के लिए मोदी और कितना गिरेंगे ?

चर्चिल ने कहा था, भारत के नेताओं की भाषा तो मीठी होगी मगर दिल चालबाजियों से, बेवकूफियों से भरा होगा। वे भारत को खत्म कर देंगे। उनका कहां आज...

चुनाव में भुलाया जा रहा कोरोना का समय

क्या जनता बिल्कुल ही सोई हुई है? उसे अपना हित -अनहित कुछ नहीं मालूम?

कांग्रेस को चाहिए दिग्विजय जैसे अथक मेहनती!

अभी बात कांग्रेस में कौन कौन लड़ सकता है पर हो रही है। लड़ सकता है मतलब विपरीत परिस्थिति में, हर हाल में पार्टी केसाथ खड़े होना। नेतृत्व के...

राहुल गांधी की हिम्मत, विपक्ष की हिम्मत

विपक्ष की एकता और राहुल की विश्वसनीयता इस चुनाव में सबसे बड़ी ताकत हैं। मोदी और हैटट्रिक के बीच बड़ी दीवार!

कांग्रेस ओबीसी राजनीति छोड़े, पुरानी समावेशी बने!

इन्दिरा गांधी की बात यहीं याद आती है कि कमजोर वर्ग के बीच जाकर काम करो। उनका सामाजिक नेतृत्व करो। कांग्रेस को यही करने की जरूरत है।

चुनाव बेरोजगारी और महंगाई पर होगा

शहर से लेकर गांवों तक हर जगह शिक्षित, उच्च शिक्षित बेरोजगार युवाओं की भीड़ है। इनकी संख्या करोड़ों में है। ऐसे ही महंगाई की समस्या है। Lok sabha Election

बीजेपी के पास ध्रुवीकरण के अलावा और कुछ नहीं

हरियाणा में उसने अपना मुख्यमंत्री बदल दिया है। उससे पहले जिस नागरिकताकानून को ठंडे बस्ते में डाल रखा था उसे अचानक निकाल कर लागू कर दिया।

मीडिया बीस साल से राहुल का विरोधी

राहुल का विरोध तब भी ऐसा ही होता था। और जिस तरह आज कांग्रेसी उनकी मदद नहीं करते उसी तरह उस समय भी नहीं करते थे। Rahul Gandhi congress

समय बड़ा बलवान, युवा उठ रहा बेरोजगारी मुद्दे पर?

युवाओं का नशा एकदम से उतरा दिखने लगा है। यूपी में पुलिस भर्ती का पर्चा लीक होने के बाद बेरोजगारों पर चढ़ा धर्म का नशा काफूर हो गया।