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25-03-2025 Vol 19

सत्येन्द्र रंजन

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता में संपादकीय जिम्मेवारी सहित टीवी चैनल आदि का कोई साढ़े तीन दशक का अनुभव। विभिन्न विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता के शिक्षण और नया इंडिया में नियमित लेखन।

अमेरिका के आगे झुकने की इतनी क्या मजबूरी!

वर्तमान विश्व व्यवस्था को तार-तार करते ट्रंप प्रशासन के आगे भारत सरकार के इस व्यवहार को समर्पण के अलावा और क्या कहा जा सकता है?

मध्यमार्गी लिबरल दलों को लोग वोट दें भी तो क्यों!

इस बात की संभावना भी कम है कि ताजा चुनाव नतीजों के बाद जर्मनी की सूरत सुधरेगी।

चीन से जुड़े हैं कुछ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ भी?

भारत में चीन से पिछड़ने की चर्चा में इन पहलुओं को नजरअंदाज कर कोई समाधान नहीं ढूंढा जा सकता।

अमेरिका में सबकुछ इतनी आसानी से कैसे बदला?

अमेरिका में जिस तरह डॉनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालते ही दशकों में हासिल हुई सामाजिक प्रगति को पलट दिया है

डीपसीक से क्यों अमेरिका को इतना झटका?

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसे सिलिकॉन वैली के लिए चेतावनी बताया है, हालांकि उन्होंने चीन में इतना सस्ता मॉडल के तैयार होने को अच्छी घटना कहा। 

मोदी, अडानी और मोनोपॉली कथा

दुनिया में बहु-ध्रुवीयता की संभावना पर चल रही चर्चा के सिलसिले में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ रशियन फेडरेशन (सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तराधिकारी) ने हाल में एक विश्लेषण प्रकाशित किया।

ट्रंप अमेरिका की सूरत बदल देने को तैयार

अमेरिकी सत्ता के तमाम केंद्र आज ट्रंप के पीछे एकजुट नजर आ रहे हैं। इसका दूरगामी परिणाम अमेरिकी सियासत के साथ-साथ विश्व शक्ति संतुलन पर भी पड़ेगा।

नए अनुसंधान, गैर-बराबरी बढ़ रही

आज की दुनिया में बढ़ी आर्थिक गैर-बराबरी पर जो बहस छिड़ी थी, उसे उन्होंने तथ्यात्मक एवं शोध-परक आधार प्रदान किया।

मनमोहन सिंह की विरासत

डॉ. मनमोहन सिंह ने 15 साल तक (पांच वित्त मंत्री और दस साल प्रधानमंत्री के रूप में) प्रत्यक्ष ने रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रशासन (अथवा प्रबंधन) संभाला।

मेडिकल बीमा कंपनियों ने खुद मोल लिया है जन आक्रोश

सीईओ ब्रायन थॉम्पसन की चार दिसंबर की सुबह जब न्यूयॉर्क में एक होटल के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई

बदला हुआ बांग्लादेश और भारत

भारत और बांग्लादेश की सूरत यह है कि यहां उन प्रश्नों पर राजनीतिक को संगठित करने वाली विश्वसनीय ताकत का अभाव हो गया है।

भारतीय मध्य वर्ग का ऐसे ढहना!

भारत में मध्य वर्ग सिकुड़ रहा है, ये तथ्य अब देश की मार्केट एजेंसियां और कॉरपोरेट सेक्टर भी बताने लगा है।

कैसे धूल में मिल गईं वो उम्मीदें?

हर चुनावी जीत पर आह्लादित होना और हर पराजय की जिम्मेदारी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में हेरफेर और निर्वाचन प्रक्रिया में भेदभाव पर डाल कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त...

क्या जी-20 की अब कोई जरूरत?

ब्राजील का शहर रियो द जनेरो जी-20 की अप्रसांगिकता का गवाह बना। दरअसल, यहां यह जाहिर हुआ कि कैसे हर गुजरते साल के साथ इस मंच की उपयोगिता संदिग्ध...

रोजगार की बहस और अहम सवाल

आज भारत में जो हालात हैं, उनके बीच रोजगार के अधिकतम अवसर पैदा करने की सबसे व्यावहारिक योजना क्या हो सकती है?

ट्रंप जैसों का मुकाबला कैसे संभव?

अमेरिका के चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की लैंडस्लाइड जीत से भारत सहित दुनिया भर के लिबरल समुदाय सदमे में हैं।

‘ट्रंप फोबिया’ के सहारे कमला हैरिस?

ट्रंप अपने समर्थक समूहों में उत्साह भरने में कामयाब हैं, जबकि स्विंग वोटर्स का भी बड़ा हिस्सा उनकी तरफ खिंचता दिखा है।

ब्रिक्स में भारत की भूमिका बदली दिखी

कई वर्षों के बाद भारत इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत पूरे मनोयोग से भागीदारी करता नजर आया।

कजान में टूटेंगी “तोते” की टांगें?

अब यहां राक्षस की जगह पर अमेरिका और तोते की जगह पर अमेरिकी मुद्रा डॉलर को रख कर विचार करें।

फिर रोजी-रोटी के सवाल बेमतलब?

गैर-भाजपा दल अगर प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं, तो मौजूदा comfort zone से बाहर निकल कर उन्हें राजनीति को नए सिरे समझने और परिभाषित करने की प्रतिभा दिखानी होगी।

अब किस मुकाम पर पश्चिम एशिया का युद्ध?

पश्चिम एशिया में चल रहे युद्ध में सितंबर के दूसरे पखवाड़े में समीकरण नाटकीय रूप से बदले। निर्विवाद है कि इस अवधि में इजराइल ने बाजी पलट दी।

श्रीलंका में खारिज ‘पारंपरिक’ राजनीति

श्रीलंका में अनूरा कुमार दिसानायके का राष्ट्रपति बनना एक असाधारण घटना है। पिछले चार दशकों से देश अलगाववाद और उग्र राष्ट्रवाद के मकड़जाल में फंसा हुआ था।

पेजर अटैक से युद्ध को नया आयाम

अब यह साफ है कि लेबनान में पेजर, वॉकी-टॉकी, रेडियो उपकरण, सोलर पैनल आदि में जो विस्फोट हुए, वे साइबर हमले का नतीजा नहीं थे।

मोदी यूक्रेन-रूस युद्ध में क्या कर सकते है?

रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन का यह बयान दुनिया भर में सुर्खियों में आया है कि यूक्रेन में शांति के लिए भारत, चीन और ब्राजील को मध्यस्थ की भूमिका...

पैरालम्पिक्स की कहानी ही अलग है

पैरालम्पिक खेलों में इस बार भारत ने रिकॉर्ड कामयाबी हासिल की। सात स्वर्ण, नौ रजत, और 13 कांस्य पदकों के साथ पदक तालिका में भारत 18वें नंबर पर रहा।

हम हैरिस की जीत चाहें या ट्रंप की?

मतदान में लगभग दो महीने बाकी हैं, ओपिनियन पोल्स के आधार पर चुनाव के बारे में लगाए जा रहे अनुमानों का आधार बहुत मजबूत नहीं है।

अब भाजपा का हर दांव फेल!

तमाम घटनाएं इस बात की ही पुष्टि करती हैं कि चुनावी लोकतंत्र में नेताओं की हैसियत वोट खींच सकने की उनकी क्षमता से बनती है।

ऐसे तो खेलों में नहीं उठेगा भारत

अब कहा गया है कि आईओसी के प्रमुख थॉमस बैक भारत के प्रयास से सहमत हैं।  गौरतलब है कि हाल में अंबानी परिवार के बहुचर्चित विवाह समारोह में थॉमस...

यूक्रेन युद्ध के बीच भारत का क्या रोल?

उधर पश्चिमी कूटनीतिज्ञों ने संभावना जताई है कि भारत दोनों देशों के बीच संदेशों के आदान-प्रदान का माध्यम बन सकता है।

महाशक्तियों की होड़ हुए ओलंपिक

दुनिया में चल रही अन्य प्रतिस्पर्धाओं की तरह ही इस ओलिंपिक्स में सिर्फ दो महाशक्तियां मौजूद हैः चीन और अमेरिका।

भारत में भी क्या बांग्लादेश जैसा हाल?

लेकिन देश के जो संवेदनशील और समझदार समूह हैं, उन्हें खासकर बांग्लादेश में हुए जन विद्रोह पर अवश्य ही खुले दिमाग से विचार करना चाहिए।

समाज तोड़ने के खतरे हज़ार

भारत की राजनीति में आज शिष्टता, विपक्षी के लिए सम्मान का भाव, भाषा की मर्यादा और नागरिक स्वतंत्रताओं का सम्मान हालिया वर्षों में विजातीय तत्व बनते चले गए हैं।

भारत ‘विकसित’ नहीं चौतरफा लड़खड़ा रहा है!

लोकसभा चुनाव के दौरान ही ये बात जाहिर हो गई कि ‘विकसित भारत’ का नारा लोगों को उत्साहित या आकर्षित नहीं कर रहा है।

ट्रंप फिलहाल तो जीतते दिख रहे हैं

अमेरिकी मीडिया की खबरों के मुताबिक जोसेफ रोबिनेट बाइडेन राष्ट्रपति चुनाव से हटने के लिए बढ़ते गए दबाव के आगे अब झुक गए हैँ। दबाव बहुतरफा है।

दुनिया को युद्ध में झोंकने पर आमादा नाटो

नाटो है, तो दुनिया में बड़े युद्ध हैं, जिनसे अमेरिका के मिलिटरी-इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स का धंधा फूलता-फलता रहता है।

शंघाई सहयोग संगठन में असहज हो गया है भारत?

अब यह साफ हो चुका है कि 24 साल पहले एससीओ का गठन भले एक क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन के रूप में हुआ, लेकिन अब इसका प्रभाव क्षेत्र काफी फैल...

कौन चला रहा है अमेरिका का शासन?

बाइडेन की जो दिमागी हालत है तो उसके मद्देजनर सवाल है कि  अभी अमेरिका का शासन कौन चला रहा है?

सियासी स्थिरता हुई पर जमीनी असंतोष का क्या करेंगे?

लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके रणनीतिकारों ने सुनियोजित ढंग से यह संदेश देने की कोशिश की है कि चुनाव में...

यूरोप में क्यों धुर दक्षिणपंथ लोकप्रिय हो रहा?

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इन नतीजों से इतने हिले कि उन्होंने नतीजों वाली रात ही संसद भंग कर मध्यावधि चुनाव कराने का एलान कर दिया।

मोदी लड़खड़ाए तो गड़बड़ाएं उन पर लगे बड़े-बड़े दांव

आम चुनाव के नतीजों से नरेंद्र मोदी के रुतबे पर स्थायी किस्म का प्रहार हुआ है। मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे।

मोदी युग के अंत की हुई शुरुआत

मोदी पर अब तक दांव लगाने वाले धनी-मानी तबके अब इस सवाल पर सोचने पर मजबूर होंगे कि क्या एकमात्र उसी चेहरे पर दांव लगाए रखना बुद्धिमानी होगी

चुनाव 2024 में दिखी आम दुर्दशा की हकीकत

आम मतदाता अपनी बढ़ती जा रही दुर्दशा से भलिभांति परिचित हैँ। सवाल यह है कि क्या वोट डालते वक्त उनका निर्णय इस दुर्दशा से प्रभावित हुआ है?

शासक की जब ऐसी सोच तो भविष्य क्या?

मोदी के सामने यह आरोप भी रखा गया कि उनकी सरकार कुछ उद्योगपति घरानों के फायदे लिए काम करती है।

मोदी की ताकत की धारणाएं सच से उलट

पिछले लगभग दस साल से यह कथानक देश के अंदर प्रचलित है कि नरेंद्र मोदी के शासनकाल में भारत की इज्जत बढ़ी है और मोदी ने अपनी हैसियत एक...

भारत में बौद्धिक पिछड़ेपन की नायाब मिसाल!

भारत में अगर कभी विषमता का सवाल सुर्खियों में आता भी है, तो ऐसा फ्रांस स्थित इनइक्लिटी लैब या ऑक्सफेम जैसी संस्थाओं की रिपोर्टों से होता है।

आज के सबसे जरूरी सवाल पर छिछली बहस

प्रधानमंत्री ने अपने चुनावी भाषणों में कांग्रेस के धन के पुनर्वितरण के कथित इरादे का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह असल में “अर्बन नक्सल”, “माओवादियों” और “कम्युनिस्टों”...

मतदाता मोदी को क्यों नहीं मानते दोषी?

आम चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से ठीक पहले संभवतः एकमात्र ऐसा जनमत सर्वेक्षण सामने आया, जिसमें ध्यान सिर्फ वोट प्रतिशत और सीटों का अनुमान लगाने पर केंद्रित...

क्या चीन से मेल-मिलाप के प्रति गंभीर हैं मोदी?

अमेरिकी धुरी से जुड़ने से जोड़ी गई अपेक्षाओं के पूरा ना होने के बाद उन्होंने एक नया दांव खेला हो। फिलहाल, हम इस बारे में किसी ठोस निष्कर्ष तक...