Tuesday

25-03-2025 Vol 19

ओमप्रकाश मेहता

मोदी का नया राजनीतिक दांव… परिसीमन प्रस्ताव.?

delimitation pm modi : केन्द्र का फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नही है, सिर्फ राजनीतिक धमक है। किंतु अब यह ‘राष्ट्रीय मुद्दा’ बनाने की तैयारी अवश्य की जा रही है।

अपना वजूद और साख खोती कांग्रेस…?

rahul gandhi:  क्या अगले एक दशक में भारत में सरकार प्रतिपक्ष विहीन होकर निरंकुश पथ की ओर अग्रसर होगी?

आज की आर्थिक नीतिः ‘कर्ज लो घी पियो’…!

budget 2025 : हर साल बजट में दिन-दूनी-रात-चौगुनी वृद्धि हो रही है। किंतु इसकी चिंता सरकार में विराजित राजनेताओं को नही बल्कि भारतवासियों को अधिक हो रही है

वोटों की भीख मांगने वाले, वोटर को भिखारी बता रहे…?

इसलिए यह एक गंभीर चिंतन का विषय है, जिस पर समय रहते गंभीर चिंतन कर इस परम्परा को खत्म करने का प्रजातंत्र की मजबूती व दीर्घायु के लिए आज...

कुम्भ से सबकः सिंहस्थ की तैयारी….!

करीब एक माह तक चलने वाले इस धार्मिक अनुष्ठान के लिए अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने भी सरकार को सुझाव पत्र भेजा है

मध्यप्रदेशः कुल बजट के बराबर ही कर्ज….?

madhya pradesh budget : मध्यप्रदेश पर मौजूदा हालात में पहली बार चार लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है और संयोग यह भी कि इतना ही हमारे राज्य का...

रेवड़िया: प्रजातंत्र के लिए वरदान या अभिशाप…?

freebies scheme : किंतु मेरी नजर में तो देश विरोधी सिलसिला है जिसके लिए रेवड़ियां बांटने वाले कम उसे हासिल करने वाले ज्यादा दोषी है

सदन के सामने से कतराते हमारे जनप्रतिनिधि…!

parliament session 2025 : राजनीति से लोकसेवा की भावना खत्म हो जाने से यह व्यवसाय सभ्य समाज में ‘गाली’ बनता जा रहा है।

….और अब छाँछ को फूँक कर पीने की मजबूरी….!

mahakumbh stampede: अगला महाकुंभ 2028 में उज्जैन में होगा, जिसे सिंहस्थ नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि उस समय सूर्य सिंह राशि स्थान पर अवस्थित रहता है

मानव की सबसे ‘कमजोर नस के सहारे’ शराबबंदी…?

भारतीय राजनीति में संभवतः पहली बार मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ दल ने अपने उद्धेश्य की पूर्ति हेतु मानव मनोविज्ञान का सहारा लिया है

भाजपा सबसे धनवान, जो सत्ता में वहीं सिकन्दर…!

राजनीतिक दलों के ये आर्थिक आंकड़े हाल ही में चुनाव आयोग ने जारी किए है।

क्या न्यायपालिका मोदी सरकार से नाराज है…?

आखिर सर्वोच्च न्यायालय को सरकार से ऐसे तीखे सवाल करने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या सरकार या किसी राजनीतिक दल ने इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने की कौशिश की?

नदां की राजनीति देश के लिए जंजाल…?

उन्हें इस हद तक नही जाना चाहिए था, यह तो अलगाववादी संगठनों वाली भाषा है, यह किसी से भी छिपा नही कि इस तरह की भाषा नक्सली संगठन एवं...

चुनावी लुभावने वादे किसके दम पर….?

आज का सबसे अहम् सवाल यही है कि केन्द्र व राज्यों की ये मुफ्त योजनाऐं वोट की खरीद-फरोख्त नही तो फिर क्या है

नज़र लागी ‘रानी’ तेरे बंगले पर…!

अब इस राजनीति का स्तर निचले पायदन की ओर अग्रसर है, जिसका स्तर राजनीति से गिरकर बंगलों तक आ गया हैI

अपने मूल दायित्व के प्रति उदासीन ‘माननीय’..?

हमारा देश लोकतंत्र या जनतंत्र के मामले में चाहे विश्वगुरू माना जाता रहा हो, किंतु हम ही यह जानते है कि इस प्रजातांत्रिक व्यवस्था में हमारे जन प्रतिनिधियों की...

मोदी का नया दांव….एक देश-एक चुनाव…!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी अब अपने तीसरे कार्यकाल को यादगार बनाने के लिए एक नई पहल शुरू करने जा रहे है

देश को कौन सी दिशा में ले जाने का प्रयास..?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी के तीसरे कार्यकाल में आखिर देश के मुस्लिम आराधना स्थलों के सर्वेक्षण की आवश्यक्ता क्यों महसूस की जा रही है?

राजनीति के लिए ‘एक’: सत्ता के लिए ‘अलग’..!

कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि महाराष्ट्र में अब सत्ता की लड़ाई पक्ष-विपक्ष के बीच नही बल्कि पक्ष के बीच ही है तो कतई गलत नही होगा

मोदी के हाथ..झारखंड में झाडू, महाराष्ट्र में मोदक.!

चुनाव परिणामों ने जहां मोदी जी की कथित ‘एक-छत्रता’ की स्थिति को स्पष्ट कर दिया है वहीं देश का वास्तविक राजनीतिक चरित्र भी लाकर सामने खड़ा दिया है।

‘हम’ उसी राह पर: सुप्रीम कोर्ट की सफाई…!

भारत की न्याय पालिका हमारे संविधान की मंशा के अनुरूप ही काम कर रही है तथा भारत का सर्वोच्च न्यायालय अमेरिका जैस नही है

न्यायपालिका ही प्रजातंत्र की सही संरक्षक…!

भारत में प्रजातंत्र का एकमात्र आधार स्तंभ न्यायपालिका ही रह गया है और इसकी न्यायिक व्यवस्था ने भारतीय प्रजातंत्र पर अपनी छाप छोड़ी है

फसल बड़ी हुई: लग गए कीड़े….?

इन दिनों देश पर राज कर रही भारतीय जनता पार्टी में दल बदलकर आने वाले दागी नेताओं कार्यकर्ताओं का भीषण दौर जारी है

कोऊ नृप होंऊ हमें का हानि…?

अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में चार साल बाद पुनः डोनाल्ड ट्रम्प का चुना जाना अपने आप में एक सुखद आश्चर्य है

न शर्म न हया: संविधान की रोज हत्या.?

इस तरह कुल मिलाकर आज की राजनीति से ‘जनसेवा’ का पूरी तरह लोप हो चुका है और वह पूरी तरह ‘स्व-सेवा’ बनकर रह गई है

महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव…नब्ज पर हाथ…?

मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली ‘अग्नि परीक्षा’ नवम्बर माह में दो प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र व झारखण्ड के विधान सभा चुनावों के साथ होने जा रही है।

‘हम’ उसी राह पर: सुप्रीम कोर्ट की सफाई…!

भारत का सर्वोच्च न्यायालय अमेरिका जैस नही है, जहां मामले दशकों तक लम्बित रहते है, हमारी ओर से दिन में जितने मामलों का निराकरण होता है

कहीं पे निगाहें… कहीं पे निशाना

कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना... जीने दो जालिम बनाओं न दीवाना

डॉ. मोहनराव भागवत: उपेक्षा जनित सक्रियता…?

अब उन्होंने यह चेतावनी भी देनी शुरू कर दी है कि यदि हम दुर्बल और असंगठित रहे तो वह हमारे लिए अत्याचार को निमंत्रण देने जैसा होगा

हरियाणा-जम्मू-कश्मीरः परिणाम अप्रत्याशित नहीं….?

देश के दो प्रधान धर्मों हिन्दू व मुस्लिम के बाहुलय मतदाताओं वाले राज्यों की विधानसभा चुनावों के परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन राज्यों के मतदाता...

अपनी उपेक्षा के प्रति चिंतित संघ…?

इन्हीं दो प्रसंगों ने संघ की चिंता बढ़ा दी हे, यद्यपि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अब तक इन दोनों घटनाक्रमों के संदर्भ में कुछ नही कहा है

जाँच एजेंसियों पर सरकारी ‘ठप्पा’ क्यों…?

यहाँँ यह भी कटु सत्य है कि सरकार के अधिकांश ‘दुष्कर्म’ के मामलों की जांच का उत्तरदायित्व भी इन्हीं जांच एजेंसियों को सौंपा जाता है

भ्रष्टाचार मिटें कैसे.? वैसी सरकारी पहल भी तो हों.?

स सवाल का अब कोई महत्व नही है, क्योंकि इसका उत्तर किसी के पास भी नही है, चिंतित है तो केवल और केवल भ्रष्टाचार से पीडि़त देशवासी।

मोदी का नया राजनीतिक दांव: एक देश-एक चुनाव…

नरेंद्र भाई मोदी ने जवाहरलाल की ही 6 दशक पुरानी रणनीति एक देश एक चुनाव को अपनाने का फैसला लिया है

आज प्रजातंत्र का मुख्य आधार-स्तंभ न्यायपालिका…?

यह सहज ही महसूस होता है कि प्रजातंत्र की परिभाषा के चार अंगों से तीन अंग करीब-करीब निष्क्रीय हो चुके है

नादां की राजनीति देश के लिए जंजाल…?

देश में प्रजातंत्र मात्र एक मीठी औपचारिकता बनकर रह गया है और देश के रहनुमां अपनी मौज मस्ती में उसी प्रजातंत्र का मजाक उड़ा रहे है

क्या अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं रही…?

अब भाजपाध्यक्ष जगतप्रकाश नड्ड़ा के इस तल्खी भरे बयन के राजनीतिक क्षेत्रों में कई अर्थ निकाले जा रहे है

ममता का संवैधानिक अतिक्रमण…?

भारतीय प्रजातंत्र में इससे बड़ा मजाक क्या होगा कि अब राज्य सरकारें संसद के अधिकारों पर अतिक्रमण कर संविधान में संशोधन अपनी विधानसभा के माध्यम से कराये?

संघ की सक्रियता बढ़ने के मायने….?

भारत की आजादी के बाद से अब तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कई विवादस्पद दौरों से गुजरा है, जिसके तहत् इस संगठन को प्रतिबंधात्मक दायरे से भी गुजरना पड़ा...

पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन संभव…?

केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के अश्वमेद्य यज्ञ का घोड़ा रोकने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भाजपा की आँख की किरकिरी बनी हुई है

मौजूदा महाभारत में ‘अभिमन्यू’ बना भारत….?

अकेला बंग्लादेश ही था, जिसने हमारी दोस्ती पर कभी शक नही किया, आज बदले हालातों में वह भी हमारे दुश्मनों की कतार में खड़ा नजर आ रहा है

‘‘निंदक नियरे राखिए…’’ पर मोदी को भरोसा नहीं…?

आज की सत्ता के अहम् के सामने इस कहावत या कविता की पंक्तियों का कोई महत्व नही है, किंतु यह याद रखना जरूरी है कि भारत के भविष्य के...

…और अब नाम – पहचान पर धर्मयुद्ध…?

हमारा देश हमेशा से धर्मपरायण रहा है, इसीलिए ऋषि-मुनियों ने अपना दबदबा कायम रखा, किंतु अब माहौल एकदम उलट गया है

सीबीआई जाँच के लिए, राज्य की मंजूरी जरूरी.?

अब सर्वोच्च न्यायालय के इस अहम् फैसले के बाद उम्मीद है कि केन्द्र द्वारा सीबीआई के राजनीतिक दुरूपयोग पर अंकुश लग जाएगा

यदि आम (आदमी) कच्चा है तो चटनी चाटों, अगर पका है तो उसे पूरी तरह चूसो..?

क्या उनके दिल-दिमाग में राष्ट्रभक्ति का चिराग प्रज्वलित किया? क्या उन्हें हमारी आजादी के इतिहास व स्वतंत्रता संग्राम व उनके सैनानियों के बारे में बताया?

दावों-प्रतिदावों के बीच मतदान…!

इन दिनों देश पूरी तरह चुनावी रंग में रंगा हुआ है, देश की आधी लोकसभा सीटों के लिए चुनाव निपट चुका है और अगले तीन सप्ताह में शेष सीटों...

मेरी अपील : प्रजातंत्र के महायज्ञ में अपनी आहूति अवश्य डालें….!

ऐसी घड़ियां वास्तव में कभी-कभी ही उपस्थित होती है और यही मतदाता की बुद्धिमत्ता के परिचय का वक्त होती है।

चर्चित चर्चा : सवाल…. हमारे संविधान की अहमियत का….?

क्या संशोधन की ‘शरशैय्या’ पर पड़े इस संविधान की गति भी द्वापर के महाभारत के भीष्म पितामाह जैसी ही होगी?