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25-03-2025 Vol 19

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

पहले जुगाड़, अब आगे मशीनी दिमाग तब भारत का भविष्य में बनना क्या है?

यों मसला वैश्विक है। मगर मेरी चिंता भारत है। वह भारत जो अब दुनिया की सर्वाधिक 140 करोड़ आबादी लिए हुए है। जहां दिमाग और बुद्धि का न्यूनतम उपयोग...

एक अकेला अदानी सब पर भारी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलत कहा। गुरूवार को राज्यसभा में विपक्ष की ‘मोदी-अदानी भाई-भाई’ की नारेबाजी पर उनका स्टैंड सही नहीं था।

सन् 1723 में जगत सेठ और 2023 में इंडिया इज अदानी!

जगत सेठ की संपदा ब्रितानी आर्थिकी से ज्यादा थी तो सन् 2023 के गौतम अदानी भी दुनिया के तीसरी बड़े खरबपति का रिकॉर्ड लिए हैं।

तो अदानी पर लगे आरोप सही हैं!

संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुल मिलाकर कोई तीन घंटा बोले लेकिन उन्होंने एक बार भी अदानी का नाम नहीं लिया।

आपत्तियों के बावजूद अदानी को हवाईअड्डे

अदानी समूह की मौजूदा सरकार से नजदीकी को लेकर कई मिसालें सामने आ रही हैं। राहुल गांधी ने कई सवाल उठाए, जिनकी जांच की जरूरत है।

राहुल और खड़गे उभरे, विपक्ष एकजुट हुआ

लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनको लगता था क् राजनीति और चुनाव के कारण विपक्ष एकजुट होगा लेकिन ईडी ने विपक्ष को एकजुट कर दिया।

दुनिया का क्या है भारत नजरिया? विश्व में भारत पहचान क्या? क्या बन रही होगी भारत आइडेंटिटी?

ये सवाल नरेंद्र मोदी और गौतम अदानी की वजह से आज प्रासंगिक है? भारत में जो हुआ है और जो होता हुआ है उस सबमें भारत को ले कर...

मोदी-शाह समझें, अदानी से छुड़ाएं पिंड, अब और न पालें!

मोदी को भी अपना भरोसा खूटे पर टांग कर अदानी ग्रुप की पड़ताल वैसे ही करानी चाहिए जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी आदि की हुई है। 

मोदी के सपने तार-तार

विशालकाय हाथी, मतलब दुनिया का नंबर दो अमीर अदानी! और हाथी की पीठ के हौदे पर बैठे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी!

अदानी को बचाने कौन आया?

सवाल है गौतम अदानी की कंपनी का एफबीओ सब्सक्राइव नहीं हो रहा था तब कौन उनको बचाने आया?

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से ज्यादा दिक्कत

आमतौर पर जब कोई बड़ा वित्तीय घोटाला खुलता है तो सरकार की कानून प्रवर्तन एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं और जांच शुरू होती है।

पूंजी में ठगी के बाद कमाई के लिए लूट होगी

दुनिया का मीडिया लिख रहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुला है।

अदानी को बचाने या तो आज सरकार उढेलेगी पैसा या…..

आज या तो मोदी सरकार अपने बैंकों तथा एलआईसी से अदानी ग्रुप के शेयरों की अंधाधुंध खरीद करवाएगी या बैंकों-एलआईसी की बरबादी रोकने के लिए उन्हें अदानी के शेयरों...

यदि अदानी सच्चे हैं तो अमेरिकी कोर्ट में हिंडनबर्ग पर मुकदमा करें!

भारत की गरिमा व उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख दांव पर है तो खुद गौतम अदानी का वैश्विक खरबपति होने का रूतबा भी दांव पर है!

चमका रहेगा चांदी का अदानी जूता!

क्या हिंडनबर्ग रिसर्च से अदानी ग्रुप के बाजे बजेंगे? कतई नहीं। इसलिए क्योंकि पहली बात भारत लूटने के लिए है।

क्या जवाब देंगे अदानी?

दुनिया की प्रतिष्ठित रिसर्च संस्था की ओर से लगाए गए आरोपों का बिंदुवार जवाब दें।

धन शोधन और वित्तीय गड़बड़ी के आरोप गंभीर

शेयर बाजार में अपनी कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ाने के लिए जोड़-तोड़ करने के आरोप न अदानी समूह पर नए हैं और न ऐसा है कि यह पहली...

भारतीय एजेंसियां कुछ नहीं करेंगी!

लाख टके का सवाल है कि हिंडनबर्ग रिसर्च में हुए खुलासे के बाद भारत की एजेंसियां क्या करेंगी? मेरा मानना है कुछ नही।

दिल्ली सत्ता है ही हिंदूओं की गुलामी के लिए!

सत्ता के अनुभव का ऐसा इतिहास। तभी कौम को क्या यह सामूहिक संकल्प नहीं बनाना चाहिए कि कुछ भी हो जाए वे दिल्ली की सत्ता को सर्वशक्तिमान नहीं बनने...

और 400 दिन, चुनाव के!

सत्ता, पैसे और लाठी का चाहे जो सुख और वैभव मिला हो मगर हैं तो सब राजा नरेंद्र मोदी की पालकी उठाए कहार।

जेसिंडा अर्डर्न भी एक प्रधानमंत्री हैं!

जेसिंडा अर्डर्न की घोषणा कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी क्योंकि उनके पास अगले चार साल योगदान देने के लिए कुछ खास नहीं बचा है।

चार सौ दिन बनाम 31 सौ दिन!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साढ़े तीन हजार दिन भी पूरे होंगे, जिसमें से अब तक 31 सौ दिन गुजर चुके है। तो सवाल है गुजरे 31 सौ दिनों में...

क्या हुआ और क्या ढिंढोरा पीटा गया?

निसंदेह मोदी सरकार ने अपनी पार्टी की ओर से किए गए कुछ वादों को पूरा किया है। जैसे जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला।

अभी से चुनाव में सरकार!

प्रधानमंत्री ने चार सौ दिन का जुमला बोला, जबकि चुनाव की घोषणा में उससे थोड़ा ज्यादा समय बाकी है।

ताकि हिंदू मूल (मूल ढांचा) गंवा एनिमल फार्म की भेड़-बकरी बने!

इन दिनों भारत (हिंदुओं) को जानवरों का बाड़ा बनाने के कई प्रयास हैं! सर्वोपरि नंबर एक कोशिश मनुष्य दिमाग को ठूंठ बनाना है।

उफ! हाशिए का असल भी खौफनाक!

मैं बार-बार सोचता हूं कि इस बार गपशप अलग हो। मतलब भारत दुर्दशा को छूने वाली नहीं। उसमें मोदी, उनकी सरकार, हिंदूशाही का जिक्र नहीं आए।

शरद यादवः मंडल के पितामह!

दिवगंत आत्मा को श्रद्धांजलि में यह ग्लानि दिल-दिमाग को छलनी कर दे रही है कि कैसे उनके सादे सहज-सरल परिवार को धैर्य बंधाऊं। कैसे शरदजी को याद करूं?

मुख्यधारा और पूर्वोतर के छोटे प्रदेश

फरवरी में त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में विधानसभा चुनाव हैं। इनकी राजनीति और नतीजों का मुद्दा महत्व का नहीं है।

हाशिए के मुद्दे आगे बहुत सताएंगे।

भारत के सामाजिक, राजनीतिक विमर्श में पहाड़, नदी, हवा, पानी, जंगल, पर्यावरण, जलवायु आदि की चर्चा नहीं के बराबर होती है।

विपक्षी एकता की परीक्षा भी

त्रिपुरा में कांग्रेस के साथ तालमेल की घोषणा खुद सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने की है।

पूर्वोत्तर के राज्यों से मिलेगा संकेत

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में चुनावों का महत्व इसलिए है क्योंकि इससे10 राज्यों के चुनावों की शुरुआत है।

नया वर्षः वही जात, वही मंदिर!

सन् 2023 का पहला सप्ताह। और सात दिनों की क्या सुर्खियां? बिहार में जाति जनगणना शुरू। दिल्ली के मेयर चुनाव में मारपीट, जन प्रतिनिधियों को खरीदती भाजपा। विदेशी विश्वविद्यालयों...

भारत का टर्निंग वर्ष है 2023

हां, सन् 2023 के अप्रैल महीने से भारत दुनिया में नंबर एक होगा। पृथ्वी का वह देश, जिसकी सर्वाधिक आबादी।

140-170 करोड़ लोगों में कमाने वाले और खाने वाले!

भारत में पिछले पच्चीस वर्षों में नौजवान आबादी तेजी से बढ़ी है। अगले चालीस सालों में और बढ़ेगी। मतलब काम कर सकने की उम्र की वर्कफोर्स का बढ़ना!

बेरोजगार नौजवानों से बरबादी के खतरे!

ध्यान नहीं आ रहा है कि आबादी से जुड़े आंकड़ों के अलावा भारत किसी और मामले में दुनिया में नंबर एक है। भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी है,...

सेहत और स्वास्थ्य का संकट बहुत बड़ा होगा

भारत बिना तैयारी के सबसे बड़ी आबादी वाला देश बनने जा रहा है। हिसाब सेशिक्षा, कौशल और रोजगार के विकास के साथ स्वास्थ्य-चिकित्सान पर ध्यान बनना चाहिए।

क्या मजदूर सप्लाई करने की फैक्टरी बनेगा?

आखिर अभी भी प्रवासियों की संख्या के लिहाज से भारत दुनिया का नंबर एक देश है। दुनिया के अलग अलग देशों में रहने वाले प्रवासियों की भारत की संख्या...

कितना रोए? किस-किस पर रोइए?

लिखना मेरा कर्म, धर्म और आदत है। मेरा यह शगल 1976 से है। तभी कोई 45 वर्षांत और नव वर्ष! मैं साल-दर-साल देश-दुनिया की समीक्षा में कलम घसीटता आया...

वह मजेदार दिल्ली तब… और अब?

मैं साल पचहत्तर में दिल्ली आया। उसके पांच-आठ साल बाद नरेंद्र मोदी दिल्ली आए होंगे। वे 11, अशोक रोड के पार्टी दफ्तर के पिछवाड़े में रहते छे।

किस किस का जिक्र कीजिए?

यह सिर्फ वर्ष 2022 की बात नहीं है, हर साल की बात है। भारत वह देश है जिसे  किसी बात से फर्क नहीं पड़ता।

रोइए जार जार क्या, कीजिए हाय हाय क्यों

देश के 81 करोड़ लोग इस बात से संतुष्ट और खुश हैं कि उनको पांच किलो अनाज मुफ्त में मिल रहा है और आगे भी मिलता रहेगा।

की फर्क पैंदा!

कोई 42 करोड़ लोग भारत में फेसबुक इस्तेमाल करते हैं। ट्विटर, गूगल और यूट्यूब का इस्तेमाल करने वाले भी करोड़ों में हैं।

भले न माने, सबकुछ खत्म होता हुआ!

ऐसे ही सन् 2022 के भारत में कला और संस्कृति में ऐसा क्या है, जिसे देख कर दुनिया वाह करे? क्या कोई नया एमएफ हुसैन या सैयद हैदर रजा...