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29-03-2025 Vol 19

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

हम हिंदू कितना बरदाश्त कर सकते हैं?

वैश्विक पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ में जलवायु परिवर्तन को ले कर एक रिपोर्ट छपी है। शीर्षक है ‘मानव के सहने की सीमा’ (At the limits of human endurance)।

सिंधु-गंगा घाटी का कड़ाव कितना उबलेगा?

लोग क्यों कड़ाव में उबलेंगे? एक उपन्यासकार किम स्टेनली रॉबिन्सन ने जलवायु परिवर्तन पर एक किताब लिखी है। शीर्षक है 'द मिनिस्ट्री फॉर द फ्यूचर'।

भ्रष्टाचार बरदास्त ही नहीं वह तो जीवन!

लोगों के लिए रिश्वत लेना और देना दोनों सहज, स्वाभाविक और सार्वजनिक शिष्टाचार का हिस्सा लगता है। 

लावारिश सभी मुश्किलों को बरदास्त भ्रष्टाचार के कारण हैं

भारत में रिश्वत की लेन-देन ने लोगों का जीवन कुछ मामलों में आसान बनाया है, लेकिन देश की सामूहिक बुद्धी इस बात को नहीं समझती हैं कि उनकी सारी...

गरीबी, बेरोजगारी बरदाश्त करने की अंतहीन सीमा!

इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं तो एक नारा लगता था- आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा को जिताएंगे। यानी भूखे रह लेंगे लेकिन इंदिरा गांधी को जिताएंगे। वह दौर अभी तक खत्म...

मोदीजी, मेरी दुकान भी चला दीजिए!

मेरे पास जवाब नहीं है। इसलिए क्योंकि मैं वह सनातनी हिंदू हूं, जिसने लुटियन दिल्ली का सत्ता धर्म नहीं निभाया। मैंने चारण परंपरा नहीं निभाई।

मोदी की ‘दुकान’ में अमृतपाल का अर्थ?

अमृतपाल और अतीक अहमद के चेहरे भगवा ब्रांड की खरीदारी को कैसे चमकाए हुए हैं यह हम सब जानते है, सामान्य ज्ञान की बात है! 

मोदी का ‘पल’ तो अकाल तख्त, केजरीवाल, राहुल, ममता का भी मोमेंट!

जब राष्ट्रसत्ता और राजनीति खरीद फरोख्त की दुकान है तो स्वभाविक जो हर जात, हर धर्म, हर समूह अपने अस्तित्व की चिंता करे।

राहुल के लिए निर्णायक क्षण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिसे ‘द इंडिया मोमेंट्स’ कहा वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भी मोमेंट बना है। अमृतकाल राहुल की राजनीति की भी निर्णायक घड़ी है।

ममता का मोमेंट कैसे बनेगा?

तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अगले साल यानी 2024 के लोकसभा चुनाव के समय 69 साल की होंगी।

केजरीवाल के ठानने का वक्त

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक यात्रा के बिल्कुल शुरुआती दिनों में लक्ष्य बनाया था कि उनको नरेंद्र मोदी का विकल्प बनना है।

हम हिंदू और रूसी एक से, तभी जैसे पुतिन वैसे मोदी!

रूसियों के बंधुआ जीवन का इतिहास यों भारत से कुछ सदी कम है मगर उनका गुलाम जीवन का सर्फडोम अनुभव बहुत त्रासद।

2024 में भारत बिना विपक्ष का दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र?

सन् 2024 भारत का टर्निंग प्वाइंट है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बिना विपक्ष के होगा। नोट रखें मेरी इस बात को कि सन् 2024 के लोकसभा चुनाव में...

विपक्षी पार्टियां हारेंगी या टूटेंगी!

भाजपा की पुरानी रणनीति है कि प्रादेशिक पार्टियों को या तो हरा कर खत्म करना है या तोड़ कर खत्म करना है।

बतौर प्रयोगशाला बिहार

भाजपा ने जो काम महाराष्ट्र में शिव सेना के साथ किया वही काम बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में करने की तैयारी थी।

एजेंसियों के जरिए टेंटुआ दबाना है

कितने विपक्षी या पक्ष-विपक्ष से तटस्थ नेताओं की गर्दन पर केंद्र सरकार यानी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के पांव हैं।

जो झुकेगा नहीं वह टूटेगा

विपक्ष की जो पार्टी भाजपा के साथ समझौता नहीं करेगी और उसको प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मदद नहीं पहुंचाएगी उसके नेताओं की खैर नहीं है।

भीड़ के लिए क्या जिंदगी, ‘मृत्यु’ और ‘मोक्ष’!

कोई कितनी ही कोशिश करे, भारत की भीड़ को दुनिया से कनेक्ट करे, क्योटो और काशी में करार कराए, काशी को कितना ही आधुनिक बनाए, सब मिथ्या।

‘डिपार्चर लाउंज’ है मोक्ष!

जिंदगी की आखिरी फील, उसका उपसंहार क्या? जवाब में सोचना होगा कि फील याकि बोध करने वाला कौन? व्यक्ति के सांस लेते हुए क्या उसके द्वारा जिंदगी पर उपसंहार...

भारत में दौड़ेगी कृत्रिम बुद्धि!

आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस के चैटजीपीटी का जो शुरुआती अनुभव है तो वह इस नाते कमाल का है कि मशीनी दिमाग भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में बुद्धि देते हुए है।

चीन के कारण चौतरफा घिरा भारत

चीन की वजह से भारत का ओवरऑल रक्षा खर्च बढ़ रहा है, भारत का कुल रक्षा बजट 72.6 अरब डॉलर का है, जबकि चीन का रक्षा बजट 225 अरब...

देश, समाज पर कोरोना का बड़ा असर

देश में आर्थिक असमानता बढ़ी, गरीबी में इजाफा हुआ और सरकार के ऊपर लोगों की निर्भरता बढ़ी, कोरोना महामारी के समय महानगरों और बड़े शहरों में लाखों की संख्या...

कोरोना से बदली आर्थिक व्यवस्था

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने छह राज्यों को चिट्ठी लिख कर हिदायत दी है कि उनके यहां कोरोना बढ़ रहा है और ऐहतियात बरतनी चाहिए।

न सतह पर ठीक और न सतह से नीचे! भारत में भी!

भारत की हकीकत बूझें। कोविड से भारत में लोगों की लावारिस मौतों का पहलू खौफनाक अनुभव था।

कोविड (चीन) से तबाह, बदली दुनिया!

एक महामारी ने पूरी पृथ्वी और इक्कीसवीं सदी का कैसा भुर्ता बनाया है, इसकी गहराई में जाएं तो लगेगा मानो बरबादी की सदी, दूसरी बात, वायरस के अलावा चीन...

डॉ. वैदिकः हिंदी पत्रकारिता और खाली!

सोचें, ‘नया इंडिया’ का पहले पेज का बॉटम आज से बिना डॉ. वैदिक की उपस्थिति के होगा।

केजरी, अखिलेश, ममता, केसीआर, हेमंत, राहुल का अहंकार जेल से खत्म होगा या चुनावी सफाये से?

अहंकार अपनी वोट गणित से नरेंद्र मोदी को हरा देने का। पर तय माने हिंदूशाही विपक्ष को मिटा देने वाली  है।

हिंदू विकास दर पर बिलबिलाना!

सोचें अमृत काल बनाम हिंदू विकास दर पर! हिंदू विकास दर मतलब हिंदुओं के आगे बढ़ने की कछुआ रफ्तार।

हिंदू विकास दर का सच

भारत की सच्चाई का नाम है हिंदू विकास दर! इसका प्रमाण क्या है और इससे विकास हुआ कहां है?

जीडीपी के आंकडे और इंडियागेट, एम्स के चेहरे!

अब जरा करोलबाग-रैगरपुरा के सोमवार बाजार को देंखे। सोमवार की छुट्टी के दिनतीस साल पहले भी फुटपाथ बाजार लगाता था।

रघुराम राजन ने क्या गलत कहा?

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा की दुखती रग पर हाथ रखा है।

नेहरू विकास दर कहने से हकीकत नहीं बदल जाएगी

रघुराम राजन ने ज्योंहि हिंदू विकास दर का जिक्र किया तो तमाम तरह के लंगूर उन पर टूट पड़े।

हे राम! अमृत काल का (पुस्तक) मेला

तय मानें मेले में जितनी पुस्तकें नहीं खरीदी गई होंगी उससे असंख्य गुना मोदीजी के हाथों से पुस्तक लेते हुए लोगों ने अपनी फोटो खिंचवाई।

अखंड भारत अब चीन का उपनिवेश!

साम्राज्य और वर्चस्व का इक्कीसवीं सदी का नुस्खा साहूकारी-लाठी तथा वैचारिक दबंगी है। आदर्श प्रमाण चीन है।

जी-20 बैठक: मरी चूहिया भी नहीं!

न क्वार्टर-फाइनल में कुछ और न सेमी-फाइनल बैठक में कुछ! देशों के साझे समूह काएक साझा बयानभी नहीं।अब सितंबर में फाइनल है।

अवसर है पर कही लम्हे की खता तो नहीं?

जी-20 की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सुनहरा मौका है। वे अपनी इमेज को दुनिया में वैसे ही चमका सकते है जैसे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडोकी चमकी।

चीन-रूस की धुरी पर पूरा दक्षिण एशिया

पूर्वी, दक्षिण पूर्वी और मध्य एशियाई देशों की तरह अब पूरा दक्षिण एशिया भी चीन की धुरी पर घूमने लगा है।

रूस से कारोबार करें या उसका विरोध!

दुनिया दो खेमे में बंटगई है। भारत रूस के साथ जुड़ा हुआ है। पिछले एक साल में कारोबार के मामले में रूस से बहुत लेन-देन हो गया है।

जयशंकर की बड़बोली कूटनीति!

विदेश मंत्री एस जयशंकर आजाद भारत के सर्वाधिक बड़बोले विदेश मंत्री हो गए हैं। याद करें उनकी तरह बोलता हुआ विदेश मंत्री पहले कौन था?

भला भारत में राजनीति से संन्यास!

रायपुर के कांग्रेस अधिवेशन में सोनिया गांधी ने ‘पारी खत्म’ होने की बात कही। राजनीति से रिटायर होने का संकेत दिया। पर क्या यह संभव है?

खड़गे जी, बात नहीं करके दिखाएं!

शायद ही कोई सियासी जानकार हो जो नगालैंड में मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के इन वाक्यों पर चौंका नहीं हो कि 2024 में केंद्र में गठबंधन सरकार होगी।

राहुल से काम लें तो जयराम व कन्हैया एंड पार्टी पर अंकुश बनाएं!

रायपुर अधिवेशन के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के रियल मालिक हैं।

कांग्रेस की चुनाव की मशीनरी कहां है?

विपक्षी पार्टियों के बीच गठबंधन बनाने से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे की सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस में चुनाव लड़ने वाली मशीनरी के नहीं होने की है।

मुद्दा एक ही है- अदानी का, उसे घर घर पहुंचाएं

राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा में बार बार वैकल्पिक दृष्टि देने की बात कर रहे थे। लेकिन वह वैकल्पिक दृष्टि क्या है?

वाह! यूक्रेन का मानव जज्बा, सलाम

कुल मिलाकर यूक्रेन मानव जज्बे की नई मिसाल है तो यूरोपीय संघ और ब्रिटेन, अमेरिका की पश्चिमी सभ्यता के इरादों का खुलासा भी है।

अपने ‘दोस्त’ टोनी नहीं रहे

यही शुभब्रत भट्टाचार्य का मैसेज (We lost our friend Tony Jesudasan) था।

गुलाम संस्कारों के हिंदुओं के लोकतंत्र की क्यों अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन चिंता करें?

दिल्ली में बीबीसी पर छापे के दिन एयर इंडिया के विमान खरीद सौदे के मौके पर अमेरिका के बाइडेन, फ्रांस के मैक्रों और ब्रिटेन के ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री...

सच्चा सिर्फ मॉर्निंग कंसल्ट है

अमेरिका की एक तकनीकी कंपनी है डिलॉयट। इसने कुछ साल पहले एक बिजनेस इंटेलीजेंस यूनिट बनाई थी। इसका नाम है मॉर्निंग कंसल्ट।