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29-03-2025 Vol 19

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

हिंदी प्रदेशों में विपक्ष हारेगा!

इस गपशप को मई 24 तक सेव रखें। तब हिसाब लगा सकेंगे कि कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस और विपक्ष ने अपने हाथों अपने पांवों पर कब-कब कुल्हाड़ी...

क्या राजस्थान, मप्र, छतीसगढ़ में कांग्रेस जीतेगी?

सवाल पर जरा मई 2024 की प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी परीक्षा के संदर्भ में सोचें। तो जवाब है कतई नहीं। इन राज्यों में कांग्रेस को लोकसभा की एक सीट...

बिहार, झारखंड में क्या होगा?

केंद्र में किसी सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जब भी साझा राजनीति की बात होती है और बदलाव होजाता है तो सबसे अहम भूमिका बिहार की होती है।

जात और आरक्षण से भाजपा की मुश्किल

तीन दशक पहले भारत में मंडल बनाम कमंडल की राजनीति शुरू हुई थी। हैरानी की बात है कि अब भी यह उत्तर भारत की राजनीति का कोर तत्व है।

पुतिन, जिनफिंग से पल्ला छूटा?

भारत ने रूस-चीन की उस धुरी से पिंड छुड़ाने का वैश्विक मैसेज दिया है, जिससे पश्चिम की ठनी है।

मोदी हों या राहुल, सबका मक्का अमेरिका-लंदन!

भारत की विदेश नीति में जितना पाखंड, दिखावा और विश्वगुरू बनने की जुमलेबाजी हुई वह रिकार्ड है।

मोदी और राहुल का फर्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विदेश दौरे पर जाते हैं तो हर देश में सैकड़ों लोगों की भीड़ उनका स्वागत करने के लिए उमड़ती है।

ऑस्ट्रेलिया यात्रा से क्या हासिल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर क्यों गए, यह यक्ष प्रश्न है। उनको चार देशों के समूह क्वाड की बैठक में हिस्सा लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना था।

नौ वर्षो की बरबादियां!

तय कर सकना मुश्किल है। इसलिए भी क्योंकि मैं नोटबंदी के बाद से प्रधानमंत्री मोदी और उनकी रीति-नीति का आलोचक हूं।

मोदी की नौ उपलब्धियां!

उफ, वक्त ! पल-पल स्यापा, फिर भी गुजर गए नौ वर्ष। पता नहीं नौ वर्षों में 140 करोड़ लोगों में कितनों के दिन अच्छे थे कितनों की रात लंबी।

हिरोशिमा में तिहरे खतरे के बादल!

होमो सेपियन ने वह मशीनी दिमाग-माइंड बना डाला है जो जैविक मनुष्य दिमाग से सीमाहीन सुपरफास्ट है।

सत्ता जनविरोधी और बुद्धीनाशी

व्यंग में वैसे लिखना चाहिए कि अच्छा है जो प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और रेल मंत्री सब संघ-भाजपा के वोट आधार पर खुद कुल्हाडी चला रहे है।

बुद्धीनाशी राजनीति से रैवडियों का जंजाल!

केंद्र सरकार की गंगौत्री की देखादेखी हर प्रदेश सरकार अपनी-अपनी रैवडियां बना रही है।

एक ही मुर्गी बार-बार कई जगह हलाल!

वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगाने के बारे में पूछा जाता है तो उसका एक सपाट जवाब होता है कि वह टैक्स के पैसे का इस्तेमाल जनता की भलाई...

जनता के पैसे से बैंक मालामाल!

सरकार की ओर से इस बात का जोर शोर से प्रचार है कि पिछले नौ सालों में बैंकों की स्थिति ठीक हुई है। उनकी बैलेंस शीट अच्छी हुई है।

‘न्यू इंडिया’ में ‘नया इंडिया’, वर्ष-14, अंक-1

यदि वैदिकजी होते तो वे आज लिखते हुए हिंदी पत्रकारिता में ‘नया इंडिया’ के प्रयोग का अर्थ बताते। एक दफा उन्होंने ‘नया इंडिया’ को हिंदी पत्रकारिता का कंठहार बताया।

बांध फूटा! क्या मोदी मानेंगे?

भाजपा बह गई। मतदाताओं ने भाजपा को कांग्रेस से अधिक महाभ्रष्ट करार देकर उसे प्रदेश से बेदखल किया। पर मोदी क्या ऐसा मानते हुए होंगे?

मोदी राज में जात राजनीति वीपी सिंह राज से ज्यादा!

जातिय राजनीति उग्र होते हुए है। मोदी का हिंदू राष्ट्र वैश्विक तौर पर जातियों की ऊंच-नीच की हिंदू बदनामी बना बैठा है।

अदानी चिपका तो ब्राह्मणों पर ठीकरा!

कर्नाटक में भाजपा की दुर्दशा क्यों? इसके जवाब में मीडिया और मोदी-शाह के नैरेटिव में जातीय गणित है

दलित और आदिवासी बनने की होड़

दुनिया के किसी भी दूसरे देश के मुकाबले भारत में जाति गतिशीलता ज्यादा रही है।

सिर्फ जातियों की राजनीति

अच्छे दिन लाने के वादे वाली सरकार के नौ साल की एक सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि अब विकास के नाम पर चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है...

कहां कहां और कितना आरक्षण होगा?

ओड़िशा में भी सामाजिक, आर्थिक गणना का काम हो रहा है। इसके जरिए जातियों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जाएगा और उनको उसी अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा।

हम राक्षस बनेंगे या खत्म होंगे?

कल्पना करें अब मनुष्य का दिमाग, उसकी भाषा, भाषा से बनी कहानियों का काम मशीन करने लगे तो क्या होगा?

उफ! अब बजरंग बली भी दांव पर

ईश्वर ही मालिक है नरेंद्र मोदी और उनकी लंगूर सेना का! आखिर हिंदू इष्ट देवताओं के नाम के कटोरों से वोट मांगना क्या पाप की हद नहीं है

केजरीवाल जेल गए तब भी उनका वोट सुरक्षित!

भाजपा यदि आम आदमी पार्टी को तोड़ डाले, उसकी मान्यता खत्म कर दे तो अलग बात है वरना दिल्ली और देश में केजरीवाल के जो वोट बने थे वे...

कांग्रेस की किस्मत का क्या यू टर्न?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके बेटे प्रियांक खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जो हमला किया उसे बेंगलुरू से लेकर दिल्ली तक सुना गया है।

जीत का श्रेय राहुल, प्रियंका को मिलेगा

कर्नाटक में मतदान की तारीख नजदीक आते आते यह धारणा बन रही है कि कांग्रेस आलाकमान पार्टी को चुनाव लड़ा रहा है।

मोदी मैजिक की कर्नाटक में हो रही परीक्षा

जिस तरह से कर्नाटक का चुनाव कांग्रेस आलाकमान के लिए परीक्षा है वैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी यह परीक्षा की तरह है।

मोदी अधिक घायल या केजरीवाल?

किसी भी रूप में गालियों की खर-पतवार से वोट की फसल पकाने की कला दुनिया को यदि किसी से सीखनी चाहिए तो भारत की हिंदू राजनीति से सीखनी चाहिए।

बदलती राजनीति, प्रमाण कर्नाटक!

हां, पहले जरा दिसंबर 2022 के गुजरात-हिमाचल चुनाव के माहौल को याद करें। फिर उसके बाद से कर्नाटक चुनाव के मौजूदा माहौल पर गौर करें तो क्या लगेगा नहीं...

भाजपा के पास मोदी और राहुल!

तभी कर्नाटक और इसके बाद के विधानसभा चुनावों, सन् 2024 के आम चुनाव सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी की नायक या खलनायक इमेज पर होगा।

कांग्रेस हिम्मती और आक्रामक

कर्नाटक चुनाव की खास बात यह है कि पहली बार भाजपा रक्षात्मक है और कांग्रेस आक्रामक अंदाज में राजनीति कर रही है।

भाजपा के एजेंडे पर चुनाव नहीं

सबसे हैरानी की बात है कि भारतीय जनता पार्टी जिन मुद्दों को चुनाव के लिए तैयार कर रही थी उन पर चुनाव नहीं लड रही है।

आरक्षण का जवाब ज्यादा आरक्षण से

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को तेलंगाना में भाषण दिया तो कहा कि अगर भाजपा राज्य की सत्ता में आएगी तो मुस्लिम आरक्षण खत्म करेगी, जैसा उसने...

सत्यपाल मलिक तब पूरा सच क्यों नहीं बोले?

फरवरी 2019 में सत्यपाल मलिक ने नरेंद्र मोदी और अजित डोवाल की ही तरह राष्ट्रधर्म नहीं निभाया। कम-अधिक का अनुपात भले हो लेकिन तीनों भारतीय जवानों की बेमौत, मौत...

योगीः पच्चीस साला हिंदू भविष्य!

मोदी को प्रधानमंत्री होते देख रहा था वैसे ही अब मैं योगी आदित्यनाथ को हिंदू दिमाग में बतौर अवतार अवतरित हुए बूझ रहा हूं।

पर अमित शाह के रहते योगी भला कैसे?

हां, स्वाभाविक है सोचना कि दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साये के अमित शाह के रहते भला योगी आदित्यनाथ के प्रधानमंत्री बनने के कहा अवसर हैं?

जात राजनीति का जवाब हैं योगी

विपक्ष की जात राजनीति का जवाब भाजपा ज्यादा बड़ी जात राजनीति से देगी या उसका जवाब ज्यादा उग्र और आक्रामक हिंदुत्व से दिया जाएगा?

योगी की छवि उनकी ताकत या कमजोरी?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को लेकर दो तरह की धारणाएं हैं।

उदार, समावेशी नेता नीतिन, राजनाथसिंह के लिए कितनी जगह?

भारतीय जनता पार्टी और देश की राजनीति में भी शीर्ष के दो नेता नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं। उनके बाद जो तीसरे नेता उभर रहे हैं वे योगी...

मोदी व विपक्ष में डाल-डाल, पात-पात!

फरवरी में अमृतपाल, मार्च में राहुल गांधी तो अप्रैल में अतीक अहमद और मई में कर्नाटक व यूपी चुनाव। एक के बाद एक मोदी-शाह के मीडिया मैनेजमेंट की इन...

कर्नाटक में हारेंगे, पर यूपी में योगीजी जीता देंगे!

29 मार्च को चुनाव आयोग ने कर्नाटक विधानसभा का चुनाव कार्यक्रम घोषित कर 13 मई नतीजे का दिन तय किया

बिहार और हिंदी पट्टी की राजनीति

आजाद भारत के इतिहास में दो बार- 1977 और 1989 में विपक्ष ने एकजुट होकर सत्तारूढ़ दल को हराया है। दोनों बार के बदलाव में बिहार की बड़ी भूमिका...

कर्नाटक में शह-मात का खेल

कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व तो खैर कमजोर है लेकिन भाजपा का नेतृत्व नरेंद्र मोदी और अमित शाह संभाल रहे हैं।

महाराष्ट्र से समझें देश की राजनीति

अब महाराष्ट्र की राजनीति को देखने की जरूरत है। महाराष्ट्र की दोनों क्षेत्रीय पार्टियां कमाल की राजनीति कर रही हैं।

बुद्धिहीन-अशक्तकौम का दुकान सत्य!

आप देश के कोने-कोने में घूम जाएं, जिधर देखो-उधर दुकान! जीवन जीने का व्यवहार खरीद-फरोख्त, लालच, धंधे की वृत्ति-प्रवृत्ति लिए हुए मिलेगा?

भारतः एक दुकान!

जवाब में राजा नरेंद्र मोदी का यह सत्य वचन- चलिए, आज आपकी दुकान चला देता हूं। ये वाक्य क्या भारत की दुकान सच्चाई के पर्याय नहीं हैं?

अदानी भी सरकार हैं!

यह बात क्या आज लोगों के दिल-दिमाग में नहीं है? यदि नरेंद्र मोदी का नाम बतौर सरकार घर-घर में है तो अदानी भी भारत के घर-घर पहुंच गए है।